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Anjali Singhal
White "अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब है ज़िन्दगी, रोज जो पढ़ी जाए वो किताब है ज़िन्दगी। बीत रहे जीवन का राज़ है ज़िन्दगी, आने वाले कल का आज है ज़िन्दगी। खट्टी-मीठी यादों का खज़ाना है ज़िन्दगी, आती-जाती साँसों का ताना-बाना है ज़िन्दगी। कल, आज और कल का चक्कर है ज़िन्दगी, मौत से सीधा लेती टक्कर है ज़िन्दगी। ऊपर वाले के हाथ की कठपुतली है ज़िन्दगी, जैसा वो नचाता है वैसा नाचती है ज़िन्दगी।।" ©Anjali Singhal Zindagi ✍️ #poetry #hindipoetry #AnjaliSinghal #nojoto "अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब है ज़िन्दगी, रोज जो पढ़ी जाए वो किताब है ज़िन्दगी। बी
Zindagi ✍️ #Poetry #hindipoetry #AnjaliSinghal nojoto "अच्छे-बुरे कर्मों का हिसाब है ज़िन्दगी, रोज जो पढ़ी जाए वो किताब है ज़िन्दगी। बी
read moreSHAILESH TIWARI
White हुस्न क्या है बुलबुला है मुझे तेरी रूह से प्यार है ये कागज़ के ग्रीटिंग कार्ड तो सब देते है मेरे हाथों मे मेरा दिल आज है ... तोड़ना , सहेजना चाहत है, अब तेरी अब दिल जो लग गया लग गया , सो लग गया ©SHAILESH TIWARI # हुस्न क्या है
# हुस्न क्या है
read moreRuhi
White जरुरी है क्या हर सफ़र पे चलना। सिर्फ़ एक रास्ता काफ़ी नही क्या।। कभी कभी बेमौसम बरसात भी होता है। हर मौसम का रंगीन होना ज़रूरी है क्या।। कभी दूरियों में भी प्यार दिखाया करो। हर बार मिल कर बताना ज़रूरी है क्या।। कभी आंखों में आंसू होना भी सही है। हर दिन मुस्कुराता जाए ये जरुरी है क्या।। कुछ ख्वाबों का अधूरा रहना भी सही है। हर सपनों का पूरा होना ज़रूरी है क्या।। फरिश्ता बन कर हज़ार ख़्वाब दिखाकर। झूठे वादे करना ज़रूरी है क्या।। रिश्तेदारी तो सब जानते हैं। ये बताओ सबको अपना कहना जरुरी है क्या।। बरसों पहले जो आइना टूटा था। आज वापस जुड़ने लगे तो मुश्किल है क्या।। तुमने तो मोहब्बत का अंजाम देखा है। ये बताओ दोबारा इश्क़ करना सही है क्या।। ©Ruhi ज़रूरी है क्या ?? #Thinking
ज़रूरी है क्या ?? #Thinking
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
ज़िंदगी फिर से उलझने लगी है बात सारी फिर बिगड़ने लगी है हलचलों का दौर थमता ही नहीं वक्त की रफ्तार फिर थमने लगी है अपने अब अपने से लगते ही नहीं। दिल में सबके दूरियां पलने लगी है। बात अच्छी ही नहीं लगती कोई बातें सबकी सबको ही चुभने लगी है। अपनी है दुनिया, है अपनी ज़िंदगी रिश्तों की कीमत बदलने लगी है। अपना होकर भी नहीं अपना कोई बस जरूरत के लिए ढलने लगी है। खो गए रिश्ते मिटा सब अपनापन रिश्ते ख़ुदग़र्ज़ियों पर चलने लगी है। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©रिपुदमन झा 'पिनाकी' #ज़िन्दगी
शुभम द्विवेदी
जीना क्या है? कल किसी दार्शनिक की भांति एक मित्र ने जिज्ञासा जाहिर की मैं असमंजस में पड़ गया क्या जवाब दूँ सहसा मेरे अंतर्मन से जवाब आया कि नफरतों की बाज़ार में मोहब्बत की दुकान हो कोई निर्धन या धनवान हो पूरे सभी के अरमान हों बूढा या जवान हो राजा या प्रजा हो सबका का अपना झोपडी या मकाँ हो। साक्षर हो या निरक्षर विरोधी हो या पक्षधर बराबर सम्मान हो ख़ुद पे न गुमान हो। अंत में मैंने कहा यही तो जिंदगी है अहा!अहा!अहा! वह बोला वाह!!! ©शुभम द्विवेदी #rayofhopeजीना क्या है
#rayofhopeजीना क्या है
read moreहिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
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