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Rupam Rajbhar
कितने खुश होते होंगे उस जमाने के परिंदे। जिनके लिए पानी और प्यार दोनों ही प्रयाप्त था। - रूपम राजभर #वर्ल्ड वॉटर डे
कुमार रंजीत (मनीषी)
🙏(आचार्य प्रशांत)🙏 चीरहरण किसने करा था? दुःशासन ने दुर्योधन की आज्ञा पर, पर दंड द्रोण को भी मिला, भीष्म को भी मिला, क्यों? क्योंकि वे उपस्थित थे, इसलिए मिला। तुम जिस काल में जीवित हो, उसी काल में पृथ्वी का नाश हो रहा है, भले तुमने नाश नहीं किया, पर तुम होता देख रहे हो। तुम्हें भी दंड मिलेगा। ©कुमार रंजीत दर्द तो सबको मिलेगा #पॉल्यूशन #Nojoto Dard Divya Patel R K Mishra " सूर्य " बाबा ब्राऊनबियर्ड chandni
Ravendra
सत्यवीर हसनपुरिया
बढ़ते प्रदूषण पर सुप्रीम काेर्ट ने खुद ही नया केस दर्ज किया - केन्द्र की मोदी सरकार और दिल्ली प्रदेश की आप सरकार अधिकारों और शक्तियों की लड
Neerav Nishani
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है। और तू मेरे गांव को गंवार कहता है।। ऐ शहर मुझे तेरी औकात पता है। तू चुल्लू भर पानी को वॉटर पार्क कहता है।। थक गया है हर शख़्स काम करते करते। तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है।। गांव चलो वक़्त ही वक़्त है सबके पास। तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है।। मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे है। तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है।। जिनकी सेबा में खपा देते थे जीवन सरा। तू उन ही मां बाप को अब भार कहता है।। वो मिलने आते थे तो कलेजा साथ लेट थे। तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है।। बड़े बड़े मसले हल करती थी पंचायतें। तू आंधी भ्रष्ट दलीलों को दरबार कहता है।। बैठ जाते थे अपने पराए बैलगाड़ी में। पूरा परिवार ना बैठ पाए उसे तू कार कहता है।। अब बच्चें भी बड़ों का अदब भूल बैठें है। तू इसे नए दौर का संस्कार कहता है।। ©Neerav Nishani तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है। और तू मेरे गांव को गंवार कहता है।। ऐ शहर मुझे तेरी औकात पता है। तू चुल्लू भर पानी को वॉटर पार्क कहता है।
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
शुभ दीपावली ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust खुशियां भरी दीपावली अभ्यंग स्नान अभ्यंग (अभि + अंग = तेल की मालिश) नरक चतुर्दशी या रूप चौदस के नाम से जाने जान
Dr Upama Singh
— % & सुनो ना प्राण प्यारी मेरे दिल की धक धक ओ नैन कटारी ओ रसवंती सुन ज़रा रूप-रस पिला ज़रा ओ मेरी मदिरा की प्याली