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Bhupendra Deep
मेहबूब बहुत दिनों से गायब इस शायर की दास्तान आज सुनाता हूं , मेहबूब से मेरे आज जरा मैं आपको रूबरू कराता हूं । तारीफ जरा भी पसंद नहीं सीरत पर जो मरती है , सूरत से जिसे फ़र्क नहीं अपनी मोहब्बत के लिए जो लड़ती है। यू अक्सर सादगी में वो रहना पसंद जो करती है , श्रृंगार करे जब मौको पर तो अप्सराओ सी लगती है। यू दुख दर्द में वो भला ,कहाँ किसे देख सकती है , क्या कहूँ उसके बारे में जो बेजुबानो को भी समझती है। हां कभी बेचैन कभी उदास कभी परेशान हुआ करती है , पर मुस्कुराते उसे देख मुझे लगे मेरी जिंदगी उसी में बस्ती है। बहुत दिनों से गायब इस शायर की दास्तान आज सुनाता हूं , मेहबूब से मेरे आज जरा मैं आपको रूबरू कराता हूं। है छोटी उम्र में जरा पर नानियो सा ख्याल वो रखती है, जिम्मेदरी सारी खुद लेकर जो पूरे घर के काम वो करती है । हां थोड़ी नादान, बचपना थोड़ी बेवकूफो सी हरकते भी करती है , मैं जीना चाहता हूं उस पागल के साथ बस यही मेरी खुदा से अर्जी है।। जिसे नहीं देखता एक दिन भी तो वो ख्याल बेपनाह तड़पाती है, उस सख्श का और क्या जिकर करूं जो मेरी रूह रूह में समाती है...। बहुत दिनों से गायब इस शायर की दास्तान आज सुनाता हूं , मेहबूब से मेरे आज जरा मैं आपको रूबरू कराता हूं। ©Bhupendra Deep #Love मेहबूबएडिटेडबाट
Mahendrasinh(Mahi)
उस मुकाम से गुजरा में, जहा से वापस आना मुश्किल था, धोखा खाया प्यार में मेने, उस बेवफा को भूलना मुश्किल था। ©Mahendrasinh(Mahi) #माही #mahi #मेहबूब_की_यादें
Mahendrasinh(Mahi)
मेरे ख्वाबों में,जिंदगी में वो समाता गया, में खुदको खुद से जुदा करता गया। ©Mahendrasinh(Mahi) #माही #Mahi #मेहबूब_की_यादे
Mahendrasinh(Mahi)
ख़ुदा से मैने मांगी थी मन्नत , तुझे पाने के लिए, भूल गया खुदा को, तुझे खुदा मान ने के लिए, छोड़ गई जो तू मुझे, वापस गया में मेरे खुदा के पास, खुदा ने मुझे अपना लिया, थोड़े आंसू बहाने के बाद। ©Mahendrasinh(Mahi) #माही #mahi #मेहबूब_की_यादें #Krishna
Tumhari zubaan ka shayar
है रीत ये उल्टी दुनिया की ज़िंदा लोगो को कुचलती है मुर्दों पे फूल चढ़ाती है, अपनी महबूबा भी ऐसी ही है आशिक़ को तड़पाती है और गधे से पत्त जाती है।। मेहबूबा
Ravi Nikam
मैं करता हूँ,जिससे प्यार वो चाँद जैसी तो नहीं मगर हाँ उसके जैसी कोई चाँदनी भी नहीं पुरे गगन में।। मैं करता हूँ,जिससे प्यार वो फुल जैसी तो नहीं मगर हाँ उसके जैसा कोई गुलाब भी नहीं पुरे चमन में।। मेरी मेहबूबा