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Anjali Singhal
कवि मुकेश मोदी
White *बेईमानी की शर्त ने ईमानदारी का दामन थमा दिया* ईमानदारी के साथ रहना मुश्किल समझकर मैंने उसे छोड़ने का फैसला करके यही तय किया कि अब तो बेईमानी को अपनाकर जिन्दगी को आसान बनाऊंगा। मैंने बेईमानी की ओर कदम बढ़ाए ही थे कि वो सामने आ गई। उसे देखकर मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। मैंने उसे कहा कि आज ईमानदारी को छोड़ने का फैसला करके आया हूं। अब जीवन भर तुझे ही साथ रखूंगा। बेईमानी ने कहा कि अगर मुझे साथ रखोगे तो मेरे लिए बड़ी खुशी की बात होगी। मगर मुझे अपनाने से पहले मेरी एक शर्त है कि तुम मेरा साथ जीवन भर ईमानदारी से निभाओगे, मुझे छोड़कर मेरे साथ धोखा नहीं करोगे। मैंने सोचा ये बेईमानी भी मुझसे उम्मीद करती है कि मैं ईमानदारी से उसका साथ निभाऊं । इसका मतलब बेईमानी को भी ईमानदारी पसंद है । यानि कि मुझे बेईमानी अपनाने में भी ईमानदार रहना होगा । फिर तो ईमानदारी को छोड़ने के बावजूद ये मेरे साथ ही रहेगी। और ये बेईमानी कौनसी ईमानदार है जो मुझे हमेशा खुश रखेगी, चैन और सुकून से रहने देगी, मुझे किसी मुसीबत में फंसने नहीं देगी। बेईमानी को चाहने वाले तो बहुत हैं। किसी और का साथ देकर मेरे साथ ये बेईमानी भी धोखा कर सकती है। जब बेईमानी के साथ भी ईमानदारी से रहना है तो फिर क्यों ना पूरी ईमानदारी से ईमानदारी का साथ निभाया जाए। ईमानदारी का जेवर महंगा जरूर है मगर इसे पहनकर रखना अच्छा है। इस बेईमानी का शुक्रिया जिसने ईमानदारी की शर्त रखकर मुझे ईमानदारी का दामन थमा दिया। *ॐ शांति* *मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान* *मोबाइल नम्बर 9460641092* ©कवि मुकेश मोदी बेईमानी की शर्त ने ईमानदारी का दामन थमा दिया
CHOUDHARY HARDIN KUKNA
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२ लगाओ खूब नारे हिंद के अब । यहाँ कोई भी यूनानी नहीं है ।। ३ जरा सा हौसला करके तो देखो । कोई भी दरिया तूफ़ानी नहीं है ।।४ तुम्हीं से पूछने आये चले हम । हमीं पे क्यूँ मेहरबानी नहीं है ।।५ चुनावी खेल चालू हो गये तो । दिखा कोई भी अभिमानी नहीं है ।।६ लगे आरोप झूठे सैनिकों पे । हमारा देश बलदानी नहीं है ।।७ अदब से सर झुकाते हैं उन्हें बस । प्रखर की वह महारानी नहीं है ।।८ १२/०३ २०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- यहाँ कोई भी मतदानी नहीं है । बिके हैं सब बेईमानी नहीं है ।।१ गिरा जो आँख से पानी नहीं है । बयां करना भी आसानी नहीं है ।।२