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MANJEET SINGH THAKRAL
बच्चे भी कितने मासूम होते हैं। उसकी पूरी दुनिया उजड़ गयी, फिर भी माँ के साथ ठिठोली कर रहा। जब ये बड़ा होगा और पता चलेगा कि भूख और शरीर में पान
Parul Sharma
चापलूसी की चासनी में डींगे घोल घोलकर वो घुट्टी पिला देते है बार बार झूठ बोलकर पहले से पता कर लेते है पोल की झोल क्या है अपने सारे करा लेते है उनकी राज खोल कर निर्बल को डराना,मारना,धमकाना बखूबी आता उनके जैसे बहुत है ये लौट आयेगे डोल डोल कर खत्म हो जाता गुरूर, ओददा, काया और माया जहर तो जहर है कितना भी दो दौलत में तोलकर मानवता ही गड़ी जाती है आदर्शों की कहानी में ये मीठा जहर पीने या पिलाने की तू ना भूल कर ©Parul Sharma चापलूसी की चासनी में डींगे घोल घोलकर वो घुट्टी पिला देते है बार बार झूठ बोलकर पहले से पता कर लेते है पोल की झोल क्या है अपने सारे करा लेत
Divyanshu Pathak
भावों के धरातल पे "संकल्प" और "विकल्पों" की लहर में बहने लगा हूँ ....... डूब जाऊंगा या दूसरा किनारा छू जाऊंगा.....… ......... "श्याम" रंग की चूनर ओढ़े 'तुम मेरे' या 'मैं तेरा' हो ही जाऊंगा....... ........... मैं 'नर' हूँ तुम 'नारायण' मैं 'प्रकृति' तुम 'परमात्मा' बताओ क्या तुमसे 'अलग' कभी रह पाऊंगा... 😊👨☕🍨💐🍫 "संवाद" की बात आती है तो 'दो' का होना वहुत जरूरी होता है।जब तक कोई साथ न हो या बात न करे तो संवाद असम्भव है लेकिन कभी कभी हम "अपने आप" से ह
DR. SANJU TRIPATHI
जिंदगी में किसी के सामने बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने से बेहतर है कुछ करके दिखाओ, मेहनत से काम करोगे तो तुम्हारा काम बोलेगा तुम्हें बोलने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो
Pnkj Dixit
आयोजन : "हम कितने दूर कितने पास" दिनांक - ०७/०७/२०१९ दिवस - रविवार विधा - कविता जब - जब मिलते रिश्तेदार मुस्कान मुख पर रहती है। मन के भीतर द्वेष भरा है जिह्वा पर निन्दा रहती है ।। मतलब का अनुबंध सभी का मुसीबत में साथ रहते नहीं । धन-दौलत की डींग हांकते पर नीयत बचकानी रहती है ।। स्वाभिमान घर के कोने में अभिमान सड़क पर रहता है । स्वार्थ हित में पुरुषार्थ भूलकर मानवता भटकती रहती है ।। सृष्टि की अनुपम रचना है मानव पर प्रकृति अनुकूल रहती नहीं । मन से हम कितने दूर कितने पास हर पल कवि मन चिंता रहती है।। संस्कार सभ्यता वेदों की ज्योति प्राणी में सहयोग भावना भरती है। सृष्टि में मानव का प्रयोजन क्या है विज्ञ कवि कलम बताती रहती है।। 🌷👰💓💝 ... ✍ कमल शर्मा'बेधड़क' मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश। आयोजन : "हम कितने दूर कितने पास" दिनांक - ०७/०७/२०१९ दिवस - रविवार विधा - कविता जब - जब मिलते रिश्तेदार मुस्कान मुख पर रहती है। मन के भ
भुवनेश शर्मा
सुंदर सृष्टि, उसमें भी हम इंसान अनुपम कृति और उस देव की संतान मुस्कुराए हर पल, बढ़ाएँ मदद को हाथ "डींग हाँकने" से क्या लाभ, कुछ कर दिखाएँ जग को -प्रियतम ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो
Vedantika
डींग हाँकना उनकी आदत बहुत पुरानी है जिनकी ज़िंदगी बस एक झूठी कहानी है दिखाते हैं बहुत कुछ खास खुद को ज़माने में लेकिन उनके पास भी हम जैसी परेशानी है ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_146 👉 डींग हाँकना मुहावरे का अर्थ --- बढ़ चढ़ कर कहना। ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ दो