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Rajendra Prasad Pandey Kavi
Pnkj Dixit
यादों की ककड़ी प्यार की रबड़ी एहसास रुमानी आजकल । खिड़की की चौखट सूरज का आना चाँद है गायब जीवन अमावस दिन-रात पागल दिल है घायल बन जाना मन का हिरन आंख का सावन धड़कन है पावन खिला है कंवल पर बुझा है कमल खिड़की की चौखट अभिलाषा है घायल । २०/०९/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' । यादों की ककड़ी प्यार की रबड़ी एहसास रुमानी आजकल । खिड़की की चौखट सूरज का आना चाँद है गायब जीवन अमावस
Sunil itawadiya
हमारे गुनाहों का हिसाब न लगाइये जनाब........, किताब आपकी भी इतनी साफ़ नहीं है.....! .......😁😂😁 कैप्शन में पड़े 👇 हमारे गुनाहों का हिसाब न लगाइये जनाब........, किताब आपकी भी इतनी साफ़ नहीं है.....! ....... शरीर कहता है कसरत कर ले और आत्मा को रबड़ी, जले
Lamha
भाई कल ना सुबह सुबह तैयार होकर शुद्धांशु भैया मिठाई लेने गए परचूनी की दुकान पर जाकर भैया का रिएक्शन ; ohh री अम्मा राजनीकांतन है r बोले तो भैया एक cake मिलेगा क्या?? पर सवाल ये है भैया परचूनी वाले से 🍰🍰 केक काहे ले??? तो आइए चलते हैं मामले की तह तक आपकी दोस्त और होस्ट चुहिया के साथ। तो सूत्रों से खबर मिल रही है मूछन मुरारी बता रहे हैं की सुबह सुबह भैया की लगी पिटाई मम्मी ने होली के कपड़े धुलवाए भैया से उसी के लिए घड़ी साबुन का केक लेने गए थे।।😰 तो ये थी भैया के धमाकेदार बर्थडे की शुरुआत। अब एक गिफ्ट भैया के दरवाजे की ओर आते हुए। सौरव भैया का भेजा हुआ गिफ्ट!! अरे ये तो पोहा निकला........ भैया क्या केक की जगह पोहा काटेंगे?? ©Tanya Sharma (लम्हा) जोक सपाट आप तलाशें मुट्ठीभर खुशी, खुशियों की गठरी मिले। तलाशें खुशियों का घर और,
Niharika singh chauhan (अद्विका)
" चुनावी मौसम " देखिए इस मुल्क में कैसा निजाम है लोकतंत्र फूंकने का इंतजाम है सत्ता पर काबिज हो पाएगा वही जिसके पास जितना बड़ा तामझाम है *
संगीत कुमार
(चलो बात करें) चलो बात करें इस वर्ष का। फैल गया महामारी 2019 का।। हर विद्यालय बना केन्द्र कोविड 19 का। बंद पड़ा अध्यापन सब विद्यालय का।। चलो बात करें इस वर्ष का। खत्म होगा कोरोना इस संसार से। सब दूर रहें, घर एकांत वास करें।। हाथ खूब धोते रहें, स्वच्छता बनाये रहें। मुँह नाक कान आँख न छूये।। चलो बात करें इस वर्ष का। घर में ही रहें बाहर न निकले। मास्क मुँह में लगाये, पहने गलवश हाथ में।। इधर-उधर न छूये, छोड़ दें सब संसार का। सब दूर बने रहें , करते रहें चर्चा।। चलो बात करे इस वर्ष का। दृढ निश्चय कर घर आराम करें। कोरोना भाग जाएगा, फिर सब मिल त्यौहार मनायेंगे। होली मिल सब खेलेंगे, घर उत्सव मनायेंगे।। खुब खुशीयाँ मनायेंगे मिल बैठ मालपुआ खायेंगे। टल जाये एकबार कहर कोरोना का।। चलो बात करे इस वर्ष का। (संगीत कुमार /जबलपुर) 🖋️स्व-रचित कविता 🙏🙏 (चलो बात करें) चलो बात करें इस वर्ष का। फैल गया महामारी 2019 का।। हर विद्यालय बना केन्द्र कोविड 19 का। बंद पड़ा अध्यापन सब विद्यालय का।।
Priya Kumari Niharika
ईमान ध्यान और जान लगा, मैं काज करूं दिन रात अगर फिर भी वेतन के बदले ग़र, मिलता जाए आघात अगर तो बेजुबान बनकर कब तक, आखिर इसको बर्दाश्त करू या रोजगार ठुकराकर मैं, दाने का भी मोहताज बनू अब तो अकादमिक शिक्षा का, कोई भी मूल्य न होता है डिग्रियों का भार भी रद्दी सा, कौशल के तुल्य न होता है परिणाम भले उत्कृष्ट रहे, फिर भी बहुमूल्य न होता है कौशल विकास से ज्यादा अब, डिग्री अतुल्य न होता है आधी जीवन शिक्षा लेकर, बिल्कुल आराम न मिलता है डिग्री पाकर खुश मत होना, उसका भी दाम न मिलता है प्रतिभा का सम्मान यहां, शिक्षित को काम न मिलता है और सरकारी नियुक्ति न हो, तो समाज में नाम न मिलता है डिग्रीधारी नारी अक्सर, बन जाती है निर्भर,निर्बल निर्णय की शक्ति छीन जाती, कर पाती न कष्टों का हल कौशल की ओर बढ़ो अब तुम, यह देगा तुम्हें आत्मबल तो पराधीन परजीवी नहीं, स्वच्छंद उड़ोगी तुम भी कल इस प्रतिस्पर्धा के युग में, डिग्रियां जलाई जाती है कौशल की बुनियाद पे ही, रोजगार दिलाई जाती है या रिश्वतखोरो को अक्सर, रेबड़ीया खिलाई जाती है तब जाकर फॉर्मल सूट पैंट,और टाई सिलाई जाती है ©Priya Kumari Niharika ईमान ध्यान और जान लगा, मैं काज करूं दिन रात अगर फिर भी वेतन के बदले ग़र, मिलता जाए आघात अगर तो बेजुबान बनकर कब तक, आखिर इसको बर्दाश्त करू
saurabh
संग्राम लिखो.......... !! यह सहज भावना कहती है अब इस मन का संग्राम लिखों जिसमे खुद को ही हारे हो अब वह भी अपने नाम लिखो टूटा टूटा हर भाव रहे दो गज दूरी पर छाव रहे ऐ
Monali Sharma
तभी छोटा बेटा भागता आ कमरे में आया (अनुशीर्षक) केवल गुलाल नहीं, शब्दों संग भी होली मनाएेंगे साथ रंग पिचकारी हम तो,डायरी भी लाऐंगे लिखेंगे लिखवाऐंगे , पढे़ंगे पढ़वाऐंगे कविताओं की नदियों