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Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी वोटो तक सीमित,अधिकार हमारे उसमे भी छल बल हजारो है जाति धर्म भाषा हावी ,नेताओ को खूब सुहाते है संसद तो रखेल है उद्योगपतियों के लिये जनता को सकून नही दिया जाता है चन्दा पार्टियो का इतना बढ़ गया मगर जनता को हाशिये पर रखा जाता है चोरी और हेकड़ी इतनी बढ़ गयी वोटो की दलों की घोषणाओं में दमन दिखता है लोकतंत्र की खूबसूरती बदरंग लगती आम आदमी घुट घुट कर मरता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #VoteForIndia वोटो तक सीमित अधिकार हमारे,उसमे भी छल बल हजारो #nojotohindi
usFAUJI
Aacky Verma
खुद को खुद मे संजो लिया अपने को अपनो तक सीमित कर लिया अनुभव से लोगो का व्यक्तित्व पढ़ लिया और गोर करना अपनी अनेको लेखनी से मैंने आज खुद को व्यक्त कर लिया insta: @aackyshayari www.aackyshayari.in ©Aacky Verma खुद को खुद मे संजो लिया अपने को अपनो तक सीमित कर लिया अनुभव से लोगो का व्यक्तित्व पढ़ लिया और गोर करना अपनी अनेको लेखनी से मैंने आज खुद को व
Divya Joshi
कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्यक्ति छीनी है। उन्मुक्तताएँ लील गया ये। इस वक़्त ने हँसी छीनी है। इसने आत्मविश्वास छीना है। बुद्धिमत्ता से लेकर स्मरण शक्ति जो मेरी सबसे बड़ी विशेषता थी, वो भी छीन ली। इसने जो रिक्तियां भरी हैं, कभी मिट नहीं पाएंगी। मैं जो लिखना चाहती थी वे शब्द, वे भाव इसने छीने और भर दी गहरी नीरसता, उदासी और अनिश्चितताएं। पर हाँ! इतनी नकारात्मकताओं के बावजूद इस वक्त ने मुझमें जो साहस पैदा किया उसके लिए इसकी आभारी हूँ। समर्पण का भाव मुझमें शुरू से रहा, लेकिन इस वक़्त ने मुझमें बसे उस समर्पण भाव को दुगुना किया। इसने रिश्तों की अहमियत बताई और अपने पराए का बोध कराया। इसी वक्त ने बताया कि मैं उतनी कमज़ोर नहीं हूँ, जितना मैं खुद को समझती हूँ। बल्कि हर आँसूं को पोंछ कर चट्टान की तरह हर मुसीबत के सामने खड़े रह जाने की काबिलियत भी है मुझमें। ये वक्त ही है जिसने मुझे बताया कि जितना...... नीचे कैप्शन में पढ़ें... ©Divya Joshi #Time मनकही: एहसान वक्त के कुछ ख्वाब बस ख्वाब ही रह जाते हैं। समय कितना परिवर्तित कर देता है सब कुछ। इस वक़्त ने मुझसे मेरी स्वतंत्र अभिव्य
Instagram id @kavi_neetesh
क्या तुम मौन नहीं रह सकते थे , जरूरी था कहना , *देखो कितनी सुंदरता छाई है, गगन मे* क्या तुमने सुंदरता को, परिभाषित करने के लिए, गणितीय भाषा का, प्रयोग कर, एक सीमित दायरे मे ला, खड़ा नहीं कर दिया? क्या तुमने, नारी बीच सारी है के , सारी बीच नारी है, बिहारी जी को, नहीं पढ़ा? ©Instagram id @kavi_neetesh अचार्चिक दर्शन,,, क्या तुम मौन नहीं रह सकते थे , जरूरी था कहना , *देखो कितनी सुंदरता छाई है, गगन मे* क्या तुमने सुंदरता को, परिभाषित करन
Sandeep Kothar
अँधेरा चाहे कितना भी गहरा हो, रोशनी में नहीं टिकता.. फर्क सिर्फ इतना है, टॉर्च एक सीमित क्षेत्र को रोशन कर सकती है, लेकिन ज्ञान का प्रकाश सारे संसार को। ©Sandeep Kothar अँधेरा चाहे कितना भी गहरा हो, रोशनी में नहीं टिकता.. फर्क सिर्फ इतना है, टॉर्च एक सीमित क्षेत्र को रोशन कर सकती है, लेकिन ज्ञान का प्रका
Sandeep Kothar
अँधेरा चाहे कितना भी गहरा हो, रोशनी में नहीं टिकता.. फर्क सिर्फ इतना है, टॉर्च एक सीमित क्षेत्र को रोशन कर सकती है, लेकिन मन का प्रकाश सारे संसार को। ©Sandeep Kothar अँधेरा चाहे कितना भी गहरा हो, रोशनी में नहीं टिकता.. फर्क सिर्फ इतना है, टॉर्च एक सीमित क्षेत्र को रोशन कर सकती है, लेकिन ज्ञान का प्रका
Rishu singh
प्यार मोहब्बत वादे ये सिर्फ सीमित समय के लिए होते है 🤏🤏🤏 ©Rishu singh #MoonShayari प्यार मोहब्बत वादे ये सिर्फ सीमित समय के लिए होते है 🤏🤏🤏
Manvi (voice of a silent Heart !)
जब कोई पूछता है मुझसे खुश है तु ? मैं कह देना चाहती हूं हां शायद या शायद नही तुम्हारें बाद कहां रंगों ने सवारा है मुझे तुम्हारे बाद कहां बारिश ने पहले सा छुआ है मुझे तुम्हारे बाद कहां किसी खुशनुमा क्षण से जुड़ पाई हूं मैं...! ©Manvi (voice of a silent Heart !) तुम तक ही तो सीमित है मेरी दुनिया तुम्हारे बाद खुद में यूं गहरा उतरना मैनें छोड़ दिया...! 28 oct 2023 N! #ChaltiHawaa