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Manju Rathore
Manju Rathore
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्री कृष्ण की और चलना व उनकी खोज में आनंद की अनभूति का होना, यह हमारे लिए परम् सत्ता की प्राप्ति के लिए, भगवान नारायण की किरपा हैं।। ©N S Yadav GoldMine {Bolo Ji Radhey Radhey} भगवान श्री कृष्ण की और चलना व उनकी खोज में आनंद की अनभूति का होना, यह हमारे लिए परम् सत्ता की प्राप्ति के लिए,
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ ‼️शुभ प्रभात‼️ ‼️शुभ सोमवार‼️ सभी सनातनी भाई-बहनों को भगवान नारायण के जागृतिदिवस देवप्रबोधनी एकादशी एवं तुलसी-विवाह की हार्दिक शुभकामनाएं...। 🏵🙏जय माँ तुलसी🙏🏵 🏵🙏जय जय भगवान हरि विष्णु🙏🏵 ✍️Vibhor vashishtha Vs Meri Diary #Vs❤❤ ‼️शुभ प्रभात‼️ ‼️शुभ सोमवार‼️ सभी सनातनी भाई-बहनों को भगवान नारायण के जागृतिदिवस देवप्रबोधनी एकादशी एवं तुलसी-विवाह की हार्
Anil Siwach
Vikas Sharma Shivaaya'
एक परमात्मा ही अनेक रूप में प्रविष्ट होता है जिस रूप या उपाधि से वह समस्त ब्रह्मांडो असख्य ब्रह्मांडो का स्वामी या प्रभु रहता है तब वह महाविष्णु कहलाता है और जब वह प्रत्येक ब्रह्मांडो का स्वतंत्र रूप से पालन करता है तब विष्णु कहलाता है..., परमेश्वर सदाशिव (शिव, शंकर, रुद्र या महेश नहीं) के तीन प्रकट रूपों में से प्रथम भगवान विष्णु के 24 अवतार माने गए हैं, उनमें से ही दो अवतार हैं- नर और नारायण- हम जिन्हें नारायण कहते हैं वे विष्णु के अवतार हैं..., भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु एक ही हैं परंतु बैकुण्ठ में तथा गोलोक वृंदावन में व्यावहारिक सम्बन्ध अलग-अलग हैं। वह धाम जहाँ उनके स्वांश (विष्णु या नारायण) निवास करते हैं, बैकुण्ठ कहलाते हैं, जहां भगवान नारायण रूप में रहते हैं..., माना गया है कि विष्णु के दो रूप हुए। प्रथम रूप-- प्रधान पुरुष और दूसरा रूप 'काल' है, ये ही दोनों सृष्टि और प्रलय को अथवा प्रकृति और पुरुष को संयुक्त और वियुक्त करते हैं..., 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' एक परमात्मा ही अनेक रूप में प्रविष्ट होता है जिस रूप या उपाधि से वह समस्त ब्रह्मांडो असख्य ब्रह्मांडो का स्वामी या प्रभु रहता है तब वह महावि
Mili Saha
// भस्मासुर को शिव का वरदान // पूर्व काल में भस्मासुर नाम का हुआ करता था एक राक्षस, समस्त विश्व में राज करने की प्रबल इच्छा जिसमें भरकस, इसी प्रयोजन हेतु करने लगा, भगवान शिव की घोर तपस्या, शिव ने तब प्रसन्न होकर उसकी गहन तपस्या का फल दिया, वर मांगने कहा जब, भस्मासुर ने मांगा अमरत्व का वरदान, शिव बोले नहीं दे सकता यह वर, है यह सृष्टि विरुद्ध विधान, अमृत्व के अतिरिक्त जो मांगना मांग लो बोले शिव भगवान, तब भस्मासुर ने, दौड़ाई बुद्धि और बदल कर मांगा वरदान, जिसके भी सिर पर मैं, हाथ रखूँ, वो वहीं पर भस्म हो जाए, दीजिए मुझे यही एक वरदान जिससे मेरा कल्याण हो जाए, भगवान शिव से वरदान लेकर, उन्हीं को भस्म करने चला, भ्रष्ट हुई बुद्धि भस्मासुर की, त्रिकाल देव को ही हराने चला, जैसे -तैसे खुद को बचा कर, शिव पहुंँचते नारायण के पास, संपूर्ण कथा सुनाकर नारायण को मदद करने की कही बात, तब विष्णु भस्मासुर का अंत करने को मोहनी रूप बनाते हैं, भगवान नारायण अपने रूपजाल में भस्मासुर को फंँसाते हैं, देख रूप मोहिनी का भस्मासुर रखता है विवाह का प्रस्ताव, उसी से विवाह करूंँगी जो नृत्य जाने मोहनी देती है ज़वाब, नृत्य नहीं जानता था भस्मासुर मांगी उसने मोहनी की मदद, तुरंत तैयार हो गई मोहनी, भस्मासुर की थी यह बेला सुखद, मोहनी ने अपने सर पे रख दिया हाथ नृत्य सिखाते सिखाते, भस्मासुर भूल गया शिव से मिला वरदान, नृत्य करते-करते, रख दिया उसने अपने सर पर हाथ, भस्म हो गया भस्मासुर, भगवान विष्णु की मदद से शिव की विकट समस्या हुई दूर। ©Mili Saha भस्मासुर को शिव का वरदान // भस्मासुर को शिव का वरदान // पूर्व काल में भस्मासुर नाम का हुआ करता था एक राक्षस, समस्त विश्व में राज करने की प
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
हरे कृष्ण हरे हरे ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust हरिनाम कीर्तन महिमा - नाम जपत मंगल दिशा दसहुँ By: Dr. Krishna भगवन्नाम अनंत माधुर्य, ऐश्वर्य और सुख की खान है। नाम और नामी में अभिन्नता होती