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Nirmala Pant
White पंख हैं तो उड़ान है वरना.... उड़ना तो हर कोई चाहता है ©Nirmala Pant #udaan 22/4
Dr Anoop
White "ना तुझको खबर हुई ना ज़माना समझ सका" "हम चुपके_चुपके तुझ पर कई बार मर गये"!! ©Dr Anoop #City 22 good morning
Priya Gour
White इंसान जब तक जीवित रहता है हर पल मोह में लिप्त रहता है ये मेरा है इसके लिए ये करना है और जब प्राण त्याग हर बंधन से आजाद होता है अपने परिजनों के बीच ऐसे सोता है किसीको नहीं पहचानता हैं किसीसे उसका कोई सरोकार नहीं रहता है जबकि जीवन भर उसे ख्याल नहीं आता हैं कि ऐसे सबसे एक दिन नाते रिश्ते समाप्त होते हैं आत्मा परमात्मा से मिलने को व्याकुल होती है जीवन में कभी विचार नहीं आता हैं मृत्यु के आगमन से सब खत्म होना है अब जिसको जैसे रहना जैसे रहे फिर किसीसे कोई मतलब नहीं रहता हैं जीते जी इंसान भाग भी नहीं सकता जिम्मेदारी से और भागना अपनी जिम्मेदारी से मूर्खता हैं पर हम सब जीवन भर इतना मेरा मेरा करते हैं हम सबको इतना अभिमान होता हैं कि बस जीवन भर धन संचय करते चलते हैं पर अंत में ये संचय उत्तम तरीके से संस्कार और सम्मान पूर्वक विदाई के लिए ही काम आता है बाकी ना कफन में जेब है और ना कोई अपने साथ कुछ लेकर गया है हाँ अन्य संचय अच्छे कर्मों का है या बुरे कर्मों का वो हम सब इंसान पर है क्योंकि कर्म ही है जो मृत्यु के बाद भी पीछा नहीं छोड़ते हैं एक आत्मा है जो अजर अमर अविनाशी है और मृत्यु जीवन का आखिरी संस्कार ही नहीं परम सत्य है। ©Priya Gour 🌸 #19April 22:19
Dev Rishi
ऋतु के बाद फलों का रूकना डालों का सड़ना है मोह दिखाना देय वस्तु पर आत्मघात करना है देते तरू इसलिए कि रेशो में मत कीट समायें रहे डालियां स्वस्थ और फिर नये नये फल आयें... ©Dev Rishi #रशमिरथी ,(भाग 4)
Harpinder Kaur
लेकिन वो मर्द नहीं नामर्द होता है...... जिसे माँ- बहन लगती है सिर्फ एक गाली बेहद भद्दी गाली चाहे फिर वो माँ- बहन अपनी हो या दूजे की नामर्द के लिए सिर्फ एक गाली है क्योंकि गाली में छुपाता है वो अपनी कमज़ोरी.......................... ! ©Harpinder Kaur # भाग-3....... ✍️
Harpinder Kaur
लेकिन पुरुष की सोच में वो हिस्सा केवल एक वस्तु है जिसे प्रयोग करता है वो गाली रूप में.... अन्य उसके द्वारा दी गई माँ - बहन की गालियाँ उसे माँ- बहन, औरत का अपमान नहीं लगती उसे लगती है अपने मर्द होने की निशानी जिसे देने के बाद वो फूलाता है अपनी छाती यूँ जैसे कोई महान कार्य को किया गया हो ©Harpinder Kaur # भाग-2...... ✍️
Harpinder Kaur
गाली पुरुष को लगता है कि गाली उसके पुरूष होने का एक पहचान पत्र है उसकी मर्दानगी है एक औरत के नाम पर दी गाली में वो अपना पौरूषार्थ समझता है माँ - बहन की गालियों को वो अपने गुस्से का सुकून समझता है वो देता है......... औरत के उस हिस्से को गाली जिस हिस्से से वो दुनिया में आता है और अपना वंश बढ़ाता है ©Harpinder Kaur # भाग -1 ..... ✍️
Anjali Jain
Village Life श्रीमद रामायण में अभी सीता-हरण प्रसंग चल रहा है स्वर्ण मृग को पाने व लाने के लिए राम व सीता का वार्तालाप, तर्क -वितर्क इस तरह गूंथा गया है कि किसी का भी विचार या तर्क अनुचित या अनावश्यक नहीं लगा। अंततः राम का मृग के पीछे चले जाना, मारीच का बीच -बीच में "लक्ष्मण, सहायता करो" की पुकार के बाद,सीता का राम की चिंता में लक्ष्मण से संवाद, वाद विवाद,इसमें भी कोई असंगत बात नहीं। सीता पहले भी राम को भेजने के लिए आतुर, अब लक्ष्मण को भेजने के लिए व्याकुल व आतुर! हम दर्शकों के मन में भी तरह तरह-तरह के विचार व विकल्प उठते रहते हैं। राम को जब मृग की माया का पता चला तो वो उसे छोड़कर लौट क्यों न पड़े? ©Anjali Jain #villagelife 24.03.24 भाग 01