Find the Latest Status about यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् meaning from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् meaning.
સુજલ પટેલ
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥ અધ્યાય ૪ શ્લોક ૭ જ્યારે જ્યારે પૃથ્વી પર અધર્મ પ્રવતશે ત્યારે ત્યારે હું જન્મ લઈશ એવો દીધેલ કોલ એ ભૂલી નથી ગયો માટેજ સાક્ષાત હતો એ ખાખી રંગમાં ફર્ક હતો માત્ર થોડા વસ્ત્ર અને શસ્ત્રનો બાકી વધ કરવાની કળા એ જ હતી જે વર્ષો પહેલા મહાભારતમાં આબેહૂબ વર્ણવી છે સુ "જલ" यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
GOOD TIME PAWAN KUMAR
Babulu Goud (Fitness Model)
Gaurav Kumar Sagar
Vandana Mishra
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं स्रजाम्यहम्। अर्थ .... हे भारत! जब जब थर्म की हानि और अधर्म की ब्रध्दि होती है। तब तब ही मै अपने रुपों को रघता हूं। अर्थात साकार रुप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं। ©Vandana Mishra यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं स्रजाम्यहम्। अर्थ .... हे भारत! जब जब थर्म की हानि और अधर्म की ब्रध्द
Anuj
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे जब-जब धर्म का क्षय व अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं धर्म की स्थापना हेतु अवतरित होता हूँ यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भ
Anurag Vishwakarma
Chapter 4, verse 7 यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ ४-७ Transliteration: yadā yadā hi dharmasya glānir bhavati bhārata। abhyutthānam adharmasya tadātmānaṁ sṛjāmy aham॥ 4-7 Hindi Translation: हे भरतवंशी, जब-जब जहाँ-जहाँ धर्म का ह्रास होता है और अधर्म का प्रबल उदय होता है, तब-तब मैं अवतरित होता हूँ English Translation: Whenever and wherever there is a decline in religious practice, O descendant of Bharata, and a predominant rise of irreligion – at that time I descend Myself. Follow for more... ♥️✍️ Thanks for Learning ©Anurag Vishwakarma #Holi #learn_English #bhagwatgeeta #Trending #motivatation #Love #L♥️ve #be_happy
N S Yadav GoldMine
White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्। अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} (श्रीमद्भा० ७।५।२३) जय श्री राधे कृष्ण जी...... 'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है? ©N S Yadav GoldMine #good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म
N S Yadav GoldMine
White यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥ प्रह्लाद ने कहा-पिताजी! मैंने जो पढ़ा है वह सुनिये-l श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पादसेवनम्। अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम्॥ {Bolo Ji Radhey Radhey} (श्रीमद्भा० ७।५।२३) जय श्री राधे कृष्ण जी...... 'भगवान् विष्णु के नाम और गुणों का श्रवण एवं कीर्तन करना, भगवान् के गुण, प्रभाव, लीला और स्वरूप का स्मरण करना, भगवान् के चरणों की सेवा करना, भगवान् के विग्रह का पूजन करना और उनको नमस्कार करना, दास भाव से आज्ञा का पालन करना, सखा-भाव से प्रेम करना और सर्व स्वसहित अपने-आपको समर्पण करना।' ऐसी बात सुनकर हिरण्यकशिपु चौंक पड़ा और उसने पूछा-यह बात तुझे किसने सिखायी? मेरे राज्य में मेरे परम शत्रु विष्णु की भक्ति का उपदेश देकर मेरे हाथ से कौन मृत्यु मुख में जाना चाहता है? ©N S Yadav GoldMine #good_night यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥ परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्म
Kulbhushan Arora
पिता के नाम मेरा पत्र हे परम पिता श्री, यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। ये तो आपने ही कहा है ना, अब तो सारी हदें प