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Ashish Maurya

दादरी मेला #nojotovideo

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Afzal Rana

#दादरी ग्रेटर नोएडा #शायरी

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☺️☺️☺️
अब किया लिखूं तेरी तारीफ में 
तू वो था जो हमे खुद से 
ज्यादा पसंद था। 
हम तेरे न हो सके तो किया हुआ 
तू भी तो हमारा न हो सका।।

©Arsh saifi #दादरी ग्रेटर नोएडा

Afzal Rana

अफजल चौधरी #City दादरी नोएडा #शायरी

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हम भी अपना दिल किसी से 
लगाए हुए थे। 

और दिन प्रतिदिन उस दिल को
ये सपना दिखाए हुए थे। 

किया पता था। ऐसा भी होता है। 
इस बे रंग दुनिया में ।

जिसको हम अपना कहते थे।
वो तो पहले से ही कही और दिल को 
लगाए हुए थे।।

©Arsh saifi अफजल चौधरी

#City दादरी नोएडा

Afzal Rana

अफजल चौधरी #City दादरी ग्रेटर नोएडा #शायरी

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तेरा हमारे लिए बदलना  लाजमी था।
हम इसे वक्त की गलती नही बताते।  
क्यू की एक अजीब से घुटन  
तुझे मेरे साथ होती थी। 
तेरे दिल का सुकून तेरी आंखों की ठंडक 
कोई और था। 
तेरे दिल का सुकू तेरी आंखों की वो ठंडक।
कोई और था। 
जिस में तेरी जान बस्ती थी। 
हम तो सिर्फ दिल बहलाने 
का सामन थे। 
आपकी उसमे और उसमे आपकी जान 
बस्ती थी।  
कभी हम भी उस महफिल की शाम हुआ करतें थे।
कभी हम भी उस महफिल की शाम हुआ करते थे। 
जिस को आज किसी और के नाम कर दी। 

आज उसी महफिल को हमने सरेआम नीलाम कर दी। 
सरेआम नीलाम कर दी। 

अफजल चौधरी@

©Afzal Rana अफजल चौधरी

#City दादरी ग्रेटर नोएडा

DHAKAD HAI HARYANA

#भिवानी मे बारिस के साथ पड़े ओले #दादरी गेट #बावड़ी गेट @कोण्ट रोड़ पर हुई ओलावृष्टि #न्यूज़

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JASBIR BOXER

https://youtu.be/dVxIaRVG6hA (sc a) लागू करो #sawdesh kirar #Sushil #dhanak #riwari #park #Nehru #jasbir #Boxer #sahuwas #चरखी #दादरी

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https://youtu.be/dVxIaRVG6hA
   (sc a) लागू करो #sawdesh kirar #sushil #dhanak #riwari #park #nehru
#jasbir #boxer #sahuwas 
#चरखी #दादरी

स्वतन्त्र यादव

आप सभी को अंग्रेजी नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं, extualy beleted Happy new year दो तीन इंतजार किया था कि लोग नया साल इत्ती धूमधाम स

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वो कमरे में बैठा आग सुलगाता था लफ़्ज़ों से
बाहर किसी का दम घुट गया,किसी का जिस्म जल गया
इसलिए कलम हर लम्हा गवाही देगी स्वतन्त्र
जो भी लिख ईमान से लिख इत्मीनान से लिख आप सभी को अंग्रेजी नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं, extualy beleted Happy new year
दो तीन इंतजार किया था कि लोग नया साल इत्ती धूमधाम स

Swatantra Yadav

आप सभी को अंग्रेजी नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं, extualy beleted Happy new year दो तीन इंतजार किया था कि लोग नया साल इत्ती धूमधाम स

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वो कमरे में बैठा आग सुलगाता था लफ़्ज़ों से
बाहर किसी का दम घुट गया,किसी का जिस्म जल गया
इसलिए कलम हर लम्हा गवाही देगी स्वतन्त्र
जो भी लिख ईमान से लिख इत्मीनान से लिख आप सभी को अंग्रेजी नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं, extualy beleted Happy new year
दो तीन इंतजार किया था कि लोग नया साल इत्ती धूमधाम स

Mohd Akhtar Razaa

अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा सिर्फ़ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा...। ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो अहले इमां हो तो शैता

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अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा
सिर्फ़ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा...।

ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो
अहले इमां हो तो शैतान से डरते क्यों हो..?

तुम भी महफूज़ कहाँ अपने ठिकाने पे हो
बादे अख़लाक तुम्ही लोग निशाने पे हो...।

सारे ग़म सारे गिले शिकवे भुला के उट्ठो
दुश्मनी जो भी है आपस में भुला के उट्ठो...।

अब अगर एक न हो पाए तो मिट जाओगे
ख़ुश्क पत्त्तों की तरह तुम भी बिखर जाओगे...।

खुद को पहचानो की तुम लोग वफ़ा वाले हो
मुस्तफ़ा वाले हो मोमिन हो खुदा वाले हो...।

कुफ्र दम तोड़ दे टूटी हुई शमशीर के साथ
तुम निकल आओ अगर नारे तकबीर के साथ...।

अपने इस्लाम की तारीख उलट कर देखो
अपना गुज़रा हुआ हर दौर पलट कर देखो...।

तुम पहाड़ों का जिगर चाक किया करते थे
तुम तो दरयाओं का रूख मोड़ दिया करते थे...।

तुमने खैबर को उखाड़ा था तुम्हें याद नहीं
तुमने बातिल को पिछाड़ा था तुम्हें याद नहीं..?

फिरते रहते थे शबो रोज़ बियाबानो में
ज़िन्दगी काट दिया करते थे मैदानों में...।

रह के महलों में हर आयते हक़ भूल गए
ऐशो इशरत में पयंबर का सबक़ भूल गए..?

अमने आलम के अमीं ज़ुल्म की बदली छाई
ख़्वाब से जागो ये दादरी से अवाज़ आई...।

ठन्डे कमरे हंसी महलों से निकल कर आओ
फिर से तपते हुए सहराओं में चल कर आओ...।

लेके इस्लाम के लश्कर की हर एक खूबी उठो
अपने सीने में लिए जज़्बाए ज़ुमी उठो...।

राहे हक़ में बढ़ो सामान सफ़र का बांधो
ताज़ ठोकर पे रखो सर पे अमामा बांधो...।

तुम जो चाहो तो जमाने को हिला सकते हो
फ़तह की एक नयी तारीख़ बना सकते हो...।

खुद को पहचानों तो सब अब भी संवर सकता है
दुश्मने दीं का शीराज़ा बिखर सकता है...।

हक़ परस्तों के फ़साने में कहीं मात नहीं
तुमसे टकराए "जौहर!" ज़माने की ये औक़ात नहीं...।

जौहर कानपुरी साहब अब फ़क़त शोर मचाने से नहीं कुछ होगा
सिर्फ़ होठों को हिलाने से नहीं कुछ होगा...।

ज़िन्दगी के लिए बेमौत ही मरते क्यों हो
अहले इमां हो तो शैता

Sachin Ratnaparkhe

यह बात उनके लिए है जो शाहीन बाग़ का बिना उनके इरादे को समझे खुलकर समर्थन कर रहे है। ऐसा क्या व्यवस्था है कि वहां लोग 2 महीने से ज्यादा बैठ

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सच को देखने के लिए आंखे खुली होनी चाहिए,
बंद आंखों से महज़ अंधेरा ही नज़र आता है। यह बात उनके लिए है जो शाहीन बाग़ का बिना उनके इरादे को समझे खुलकर समर्थन कर रहे है। 

ऐसा क्या व्यवस्था है कि वहां लोग 2 महीने से ज्यादा बैठ
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