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Stories related to ढूंढती फिरे मारी हेली

dilkibaatwithamit

हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थ

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White हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे
सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे

ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का
सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थे

गुमान था कि समझ लेंगे मौसमों का मिज़ाज
खुली जो आँख तो ज़द पे सभी ठिकाने थे

हमें भी आज ही करना था इंतिज़ार उस का
उसे भी आज ही सब वादे भूल जाने थे

चलन था सब के ग़मों में शरीक रहने का
अजीब दिन थे अजब सर-फिरे ज़माने थे

©dilkibaatwithamit हवाएँ तेज़ थीं ये तो फ़क़त बहाने थे
सफ़ीने यूँ भी किनारे पे कब लगाने थे

ख़याल आता है रह रह के लौट जाने का
सफ़र से पहले हमें अपने घर जलाने थ

Diya

#Sad_Status #किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों में। फिर ना जाने #कहां गुम हो #गया #यादों में। मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही स्मृ

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White  किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों 
में।
फिर ना जाने कहां गुम हो गया यादों में।
मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही 
स्मृति पटल में।
मुझे याद आ जाए वो अक़्स जो पल भर
रहा आँखों में।
जिस अक़्स को देखा था मैंने अपने ख्वाबों 
में।

©Diya #Sad_Status 
 #किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों 
में।
फिर ना जाने #कहां गुम हो #गया #यादों में।
मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही 
#स्मृ

dilkibaatwithamit

तेरे बग़ैर हम भला, इन‌ दुआओं का क्या करें ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी चाँदनी रात औ इन चाँ

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White तेरे बग़ैर हम भला, इन‌ दुआओं का क्या करें
ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें

गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी
चाँदनी रात औ इन चाँद सितारों का क्या करें

दिल कि,अब मरघटी विरानों में भटकता फिरे 
गुलशन से वास्ता क्या, गुलज़ारों का क्या करें

जब ग़म ही है नसीब अपना दर्द ही मोहतरम
मौसम ए खिजां है,सब्ज़ चनारों का क्या करें

सिमटा हुआ मकान,और दरकी हुई दीवारें हैं
बारिश से बचें कैसे, और शरारों का क्या करें

डूब जाने का इरादा कर लिया फिर डर कैसा
कश्ती की ज़रूरत नहीं पतवारों का क्या करें

हम कोई मुंसिफ तो नहीं फैसला कर दें कोई
दुनिया ही समझे ,इन गुनहगारों का क्या करें

©dilkibaatwithamit तेरे बग़ैर हम भला, इन‌ दुआओं का क्या करें
ये रेशमी मौसम,मखमली बहारों का क्या करें

गुमशुदा तलाश रह गई जब ये ज़िंदगी अपनी
चाँदनी रात औ इन चाँ

Akram Qumar

#lovelife पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है,

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Unsplash यू आसान नहीं होता अलविदा कहना... 

पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है, मामूली दर्द में भी जिसको ढूंढती हो नजरें,  फिर जब वही सबसे बड़ी पीड़ा बन जाती है,

जब अपनों के बीच भी जो सबसे अपना हो, वो गैरों के बीच भी सबसे ज्यादा गैर लगने लगता है, तब जाकर कहीं अलविदा कहने की हिम्मत आती है।

कितना मुश्किल होता होगा, दर्द से सुकून और सुकून से दर्द का सफर...
शायद तभी तो यूँ आसान नही होता अलविदा कहना...

©Akram Qumar #lovelife पहली बार मिलने पर आंखों में उभरी चमक जब आंखों की उदासी में बदल जाती है, पहले स्पर्श की रूमानियत को सोचकर जब रूह छलनी होने लगती है,
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