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Dhiraj singh
''एक लडकी खुद ही से लडनी है'' बात आगे तभी बढ़नी है, एक लड़की खुद ही से लड़नी है!!(2) मन के डर को डर नहीं समझना अब,(2) तुम क्या हो दुनिया को बताना अब !! हाथ भले ही उठे तुम पर, तुम घबराना मत,(2) नारी शक्ति सबसे बड़ी शक्ति है ये समझाना अब!! तेज ''में'' भी बोल सकती हूं यह दुनिया को बताना है,(2) लड़कियां कमजोर होती है उनके इस भ्रम को मिटाना है!! पर बात तो आगे तभी बढ़नी है, जब एक लड़की खुद ही से लड़नी है!! ✍ दृष्टि श्रीवास्तव दृष्टि की कलम से
Ek villain
जो लोग पुरुषार्थ से समस्या को हल करते हैं वही समस्याओं से बाहर निकल आते हैं सफलता प्राप्त करते हैं और विजेता कहलाते हैं ऐसे ही सकारात्मक सोच वाले कुछ भी संभव कर सकते हैं वही नकारात्मक दृष्टिकोण के कारण प्रिय हम स्वयं के पुरुषार्थ के प्रति सादगी हो जाते हैं इसलिए आचार्य महाप्रज्ञ ने कहा है कि पुरुषार्थ जीवन है और अकर्मण्यता मृत्यु प्रख्यात लेखक डब्ल्यू डी यू सो मच सेट माधव ने कहा कि जीवन के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि यदि आप सर्वश्रेष्ठ वस्तु से कुछ भी काम स्वीकार करने से इनकार करते हैं तो अक्सर आप अपने सर्वश्रेष्ठ को प्राप्त कर ही लेते हैं हमारी सफलता योग्यता की तुलना में दृष्टिकोण से कहीं अधिक निर्धारित होती है विजेता परिस्थितियों से संघर्ष कर कर ही उभरते हैं इन्हीं समस्या रूपी चुनौतियों का सामना करके उन्होंने सुलझने में जीवन का अर्थ छिपा हुआ है समस्या तो दुधारी तलवार होती है समस्या हमारे साथ हमारी बुद्धि को ललकार ती है वह हमारे भीतर साहस और बुद्धि का सर्जन भी करती है मनुष्य की तमाम पर अति उसकी समस्त उपलब्धियों के मूल में ही समस्या ही है यदि जीवन में समस्या नहीं हो तो शायद हमारा जीवन निराश ही नहीं है जड़ भी हो जाए प्रख्यात लेखक फ्रैंकलीन ने कहा था कि जो बात हम पीड़ा पहुंचाती है वही हमें सिखाती भी है इसी कारण समझदार लोग समस्याओं से डरते नहीं बल्कि उनमें से मुकाबला करते हैं बाबा आमटे ने लिखा भी है कि समस्या के आगे बढ़कर गले लगाइए उसे तरह चीज कोई भी जवाब मर्द बैल से डर कर भागता नहीं उस से लड़ता है ©Ek villain # सफलता की दृष्टि #jail
Aamir K
आलोचना किसकी इंसान आलोचना करे जब वो खुद परेशानियो में घिरा हो ©Aamir K आलोचना अपनो की #Criticisms #आलोचनाएं #नई_शुरुआत
Ek villain
जो व्यक्ति अपनी आलोचना को स्वीकार कर अपेक्स दिशा में सुधार के लिए अनुभव होता है उसकी सफलता पाना कोई कठिन कार्य नहीं रह जाता इसलिए कहते हैं कि अपने निंदा करने वाले लोगों को सदैव अपने आसपास रखना चाहिए क्योंकि यही वह लोग होते हैं जो बिना पानी और साबुन के हमारे स्वभाव को निर्मल बनाते हैं यह देखने को मिलता है कि हम छोटी मोटी उपलब्धियों के मद में अनकट डॉक्टर कई बार बड़े लक्ष्य से दूर रह जाते हैं तब जो लोग हमें आईना दिखा कर सही पथ पर लाने में मदद के लिए आगे आते हैं उन्हें अनसुना कर देते हैं इसी प्रकार हमारा वास्तविकता हमसे दूर हो जाता है निंदक भी दो प्रकार के होते हैं एक वे जो हमारे वास्तविक हते सी होते हैं उसकी निंदा हमारे लिए उपयोगी होती है वहीं दूसरे किशन के निंदक होते हैं जो हर बात का विश्लेषण कर हमारे भीतर कमियां निकाल कर हमारे मनोबल को तोड़ने में लगे रहते हैं ऐसे लोग नकारात्मक प्राकृतिक वाले होते हैं जो अपने पिता पिता और कुंती के भाव से भर कर दूसरों के हित और आशीर्वाद रहते हैं ऐसे में उन्हें सतर्क रहना आवश्यक है यदि इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि हमें निंदा पर ध्यान ही नहीं देना चाहिए यदि निंदा को अनदेखा किया तो हमारे व्यक्तित्व का विकास रुक जाएगा निंदा पर दुविधा से बचने के लिए हमें एक मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए नकारात्मक निंदा करने वालों से दूर ही बनानी चाहिए क्योंकि उनसे हमारी आत्मविश्वास दिखने लगती है ©Ek villain #निंदा की आलोचना मनुष्य द्वारा #Hope
Narpat Shekhawat
it makes u refind, sophisticated, complete. It checked us whenever we crosses the lines of cultured society.Try to be criticised. 🤗 ©Narpat Shekhawat आलोचना