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Himanshu Prajapati
हेलो गाइस मैं झाड़ू पोछा बर्तन धोना सब कुछ सीख लिया हूं, मैं अपनी बीवी को कुछ नहीं करने दूंगा शिवाय मेकअप के..! ©Himanshu Prajapati #teatime हेलो गाइस मैं झाड़ू पोछा बर्तन धोना सब कुछ सीख लिया हूं, मैं अपनी बीवी को कुछ नहीं करने दूंगा शिवाय मेकअप के..!
Ankur tiwari
आजकल वैवाहिक रिश्तों में लड़ाई चाहें जूठे बर्तन धोने की हो या खाना बनाने की झाड़ू लगाने की हो या फिर पोछा मारने की मेरी पीढ़ी की अधिकतर लड़कियां करना ही नहीं चाहती वो चाहती हैं कि उनका पति उनके लिए खाना बनाए उनके कपड़े धुले झाड़ू पोछा करे बर्तन मांजे बच्चों को संभाले और उनका ख्याल रखें इतना सब कर लेने के बाद वो अच्छा कमाए भी त्योहारों पर उनके लिए नए कपड़े गहने इत्यादि खरीदें उनकी सारी बातें माने उन्हें हर विकेंड घुमाने ले जाए और हर साल किसी ना किसी डिस्टीनेशन पर ले जाए और इन सब से भी परे एक और बात भी हैं मैं उसके माता पिता भाई बहनों का ध्यान रखूं या ना रखूं वो मेरे माता पिता भाई बहनों को अपना माने और उनका ध्यान रखें और हां मैं चाहें कुछ भी कहूं वो गुस्सा ना करें मैं रूठ जाऊ तो वो मनाए मेरी दोस्तों के सामने मेरे आगे पीछे घूमे ©Ankur tiwari #Marriage । आजकल वैवाहिक रिश्तों में लड़ाई चाहें जूठे बर्तन धोने की हो या खाना बनाने की झाड़ू लगाने की हो या फिर पोछा मारने की मेरी पीढ़ी
Santosh Lulla
तुम्हारी तन्हाई के भी कई किस्से संभाल कर रखे है मैंने अपने दिल में, तुम्हारे साथ उस दिन मैंने भी तो अपने आंसुओं से उनपर पोछा लगाया था !! तुम्हारी तन्हाई के भी कई किस्से संभाल कर रखे है मैंने अपने दिल में, तुम्हारे साथ उस दिन मैंने भी तो अपने आंसुओं से उनपर पोछा लगाया था !! #yq
Jeetu Parmar
जब मर्ज़ की दबा लेने दवा खाने पोछा तो मर्ज़ बहुत ख़ुश हुआ उसको लगा की गुलज़ारे मोहब्बत का आइना देख लिया हो उसने दवा का आ सर रद्दी भर नहि
सोमेश त्रिवेदी
खेलन हो तो खेलिये होली कुर्ता फाड़ एक पंथ दो काज बनेंगे होली संग जुगाड़ होली संग जुगाड़ जुगाड़ ना ऐसा सोचा जब तक टिका पहन लो भइया बाद बना लो पोछा #NojotoQuote खेलन हो तो खेलिये होली कुर्ता फाड़ एक पंथ दो काज बनेंगे होली संग जुगाड़ होली संग जुगाड़ जुगाड़ ना ऐसा सोचा जब तक टिका
"बाबू बुलंदशहरी"
Sad love quotes in Hindi वो अश्क पोछा करती थी मेरी आंखों से कभी, कसम देती थी आए ना आँसू आंखो से कभी। इस क़दर डुबा रही है दर्द-ए-महजूरी उसकी, अब जाती नहीं है नमी मेरी आंखों से कभी। जो देखा करती थी पल - पल मेरी आंखो में, वो निकलती नहीं है अब मेरी आंखों से कभी। ©"बाबू बुलंदशहरी" वो अश्क पोछा करती थी मेरी आंखों से कभी, कसम देती थी आए ना आँसू आंखो से कभी। इस क़दर डुबा रही है दर्द-ए-महजूरी उसकी, अब जाती नहीं है नमी म