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वेदों की दिशा
।। ओ३म् ।। अधरा हनुः पूर्वरूपम्।उत्तरा हनुरुत्तररूपम्। वाक् सन्धिः। जिह्वा सन्धानम्। इत्यध्यात्मम्। अधर हनु (ऊपरी जबड़ा) पूर्व-रूप है; उत्तर हनु (नीचे का जबड़ा) उत्तर-रूप है; वाक् है सन्धि; जिह्वा है संयोजक (सन्धान)। इतना ही है अध्यात्मम्। The upper jaw is the first form; the lower jaw is the latter form; speech is the linking; the tongue is the joint of the linking. Thus far concerning Self. तैत्तिरीयोपनिषद् शिक्षावली प्रथम अनुवाक #।। ओ३म् ।। अधरा हनुः पूर्वरूपम्।उत्तरा हनुरुत्तररूपम्। वाक् सन्धिः। जिह्वा सन्धानम्। इत्यध्यात्मम्। अधर हनु (ऊपरी जबड़ा) पूर्व-रूप है
।। ओ३म् ।। अधरा हनुः पूर्वरूपम्।उत्तरा हनुरुत्तररूपम्। वाक् सन्धिः। जिह्वा सन्धानम्। इत्यध्यात्मम्। अधर हनु (ऊपरी जबड़ा) पूर्व-रूप है
read moreAlok Vishwakarma "आर्ष"
विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए गौण ।। अमत मत विराग राग, हृदय से रिसता पराग । अन्ध दीप्त तम अलोक, क्षण वियोग अश्रु शोक ।। "विलोम-लोम मिश्रण" एक कविता लोम व विलोम के पहलुओं को दर्शाती हुई। विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए ग
"विलोम-लोम मिश्रण" एक कविता लोम व विलोम के पहलुओं को दर्शाती हुई। विलोम लोम रात दिन, एक लगे तेरे बिन । असत्य सत्य वाक् मौन, मेरे लिये हुए ग #Hindi #lovequotes #poetrylovers #yqdidi #yinyang #alokstates #oneness_of_souls #livinginyou
read moreRaj 94myfm
हकलाना [Stammering ]हकलाकर या अटक -अटक कर बोलना , दोनों का मतलब एक ही है - वाक् शक्ति में गड़बड़ी , जिसमे बोलनेवाला , बोलते-बोलते रुक जाता...
read moreDivyanshu Pathak
तुलसी मीठे बचन ते,सुख उपजत चहुँ ओर ! बसीकरन इक मंत्र है,परिहरू बचन कठोर !! :💕☕☕☕😊🍧 👨good morning ji ! 😊💐💐 मन में कामना उठी, बुद्धि ने कहा कि पूरी करना है, प्राण गतिमान हुए। वाक् के एक-एक परमाणु का स्थान नए परमाणु ले
:💕☕☕☕😊🍧 👨good morning ji ! 😊💐💐 मन में कामना उठी, बुद्धि ने कहा कि पूरी करना है, प्राण गतिमान हुए। वाक् के एक-एक परमाणु का स्थान नए परमाणु ले
read morePnkj Dixit
#OpenPoetry प्रखर राष्ट्रवादी विचारधारा, ओजस्वी वाणी , मधुर व्यवहार कुशल , वैदिक सनातन धर्म संस्कृति की परिचायक भारत माता की सुपुत्री अमर हुतात्मा श्रीमती सुषमा स्वराज जी को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित मन - हृदय के उद्गार 🙏💐🕉 🌷नारी - सुषमा - नारी 🌷 कल - कल बहती सरिता हूँ सिंह सी दहाड़ती कविता हूँ । मन निर्मल पावन भागीरथी नारी हृदय पवित्र सरिता हूँ ।। मेरा कोई अंत नही है मैं सु - मन की कविता हूँ । मुझमें कोई कँत नहीं मैं फूल भवसागर कमल हूँ ।। वाक् चातुर्य और बुद्धि कौशल से जन - मानस का हृदय छूती हूँ । दुःख के अनंत महासागर में तैरती मस्ती की हस्ती की विशेष बूटी हूँ ।। स्वाभिमान के वैभव की ज्योति ज्वाला बनकर चौकीदारी करती हूँ । मैं आभा हूँ , जगत की परिभाषा हूँ मैं ब्रह्म - पुंज नारी - सुषमा - नारी हूँ ।। 💐 जय हिन्द 🇮🇳 वंदे मातरम् 🇮🇳 ०७/०८/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' प्रखर राष्ट्रवादी विचारधारा, ओजस्वी वाणी , मधुर व्यवहार कुशल , वैदिक सनातन धर्म संस्कृति की परिचायक भारत माता की सुपुत्री अमर हुतात्मा श्रीम
प्रखर राष्ट्रवादी विचारधारा, ओजस्वी वाणी , मधुर व्यवहार कुशल , वैदिक सनातन धर्म संस्कृति की परिचायक भारत माता की सुपुत्री अमर हुतात्मा श्रीम
read moreShayaraa
#OpenPoetry भावभीनी श्रद्धांजलि सुषमा स्वराज का निधन read caption भावभीनी श्रद्धांजलि सुषमा स्वराज का निधन ************************* कैसे तुम्हें सुनाऊँ? बिलख रहा है हृदय हमारा, मैं रोऊँ या गाऊँ? फॉरेन में
भावभीनी श्रद्धांजलि सुषमा स्वराज का निधन ************************* कैसे तुम्हें सुनाऊँ? बिलख रहा है हृदय हमारा, मैं रोऊँ या गाऊँ? फॉरेन में #OpenPoetry
read moreDivyanshu Pathak
जानता है तू क्यों आया है इस नर देह में काटने को कर्म-फल पिछले जन्मों के। जनम भी कितने चौरासी लाख! कैसे काटेगा ?.......☺ भ्रमण कर-करके भू-मण्डल पर जल और नभ में, और इस बीच सृजित करोगे नित नए कर्म भी भोगते रहने को भविष्य में भी। करती है सारे खेल माया महामाया प्रक
Divyanshu Pathak
मंदिर 02 प्रेम पथ के यात्री को क्रोध विक्षिप्त कर डालता है। क्योंकि प्रेम अहंकार शून्य स्थिति में संभव है। क्रोध अहंकार का पर्याय है। प्रेम ह्वदय मे रहता है,अहंकार बुद्धि में। स्वभाव से दोनों ही विरोधाभासी हैं। प्रेम में व्यक्ति स्वयं को कभी नहीं देखता। प्रेमी के आगे स्वयं लीन हो जाता है। जैसे मन्दिर में ईश्वर के आगे समर्पित होकर चित्त में उसको स्थिर कर लेता है। यही तो प्रेम की परिभाषा है। वहां कभी दो नहीं रहते। सही अर्थो में तो कर्म का कर्ता भी व्यक्ति नहीं होता। जब कामना तथा कामना पूर्ति का निर्णय दोनों ही व्यक्ति के हाथ में नहीं हैं,तब उसका कर्ता
Aprasil mishra
" हम और अहमियत " """हम और अहमियत """ हमारी निरस स्थितप्रज्ञता हमारी परिस्थितिमूलक साधना का प्रवर परिणाम है, हमसे एकांश सरसता की प्राप्
"""हम और अहमियत """ हमारी निरस स्थितप्रज्ञता हमारी परिस्थितिमूलक साधना का प्रवर परिणाम है, हमसे एकांश सरसता की प्राप् #Identity #Friendship #yqhindi #selfishness #Ideology #aone
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