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रौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वनआयो बरसाने की गुंजरिया दाधी बेचन जाए, वात मिले बनवारी कर लियो बोआय कर लियो बोलय बैठ कदम के छाइयां रे दोना बनवाए ,दोना दोना दाढ़ी बांटे दाढ़ी दियो लुटाए दाढ़ी दियो लुटाए ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल... होली न खेले श्यामरो आपन सासुराय भर पिचकारी मारे हो रंग उरे गुलाला रंग उडे गुलल बेला फुले चमेला जूही कांचनर फुलवा लोरहे मलिनिया गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो उपद पहाड़ गरमो हवा हो नीचे बराय दुकान बाराय नाय कट्रे पनवा रस बीड़ा लगाए रस वीडा लगाय बीड़ा न खा है कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसैदा जी के लाल ताहि समय हरी आयो मोहन बंद लाल तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा धोलाक धुधू आय बाजे सरियांगिया रों य रों य हो रस बजे सितार रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल #लोकगीत
Manish Shrivastava
लोकगीत तोरी कोमल जुवानी, तुतरयानी | जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || होंठ तोरे लाल-लाल, गोरे थे गाल-गाल | 2 भरी दुपहरिया, नजरयानी | जेठ जमके परो, हो गई भुतरयानी || लगन लगीं देखो, कजरयानी |2 जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || कारे-कारे गुदना परे, गोरे -गोरे गाल पे | कैसी हो गई है, देखो गुदरयानी | जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) गैरतगंज मो.9009247220 ©Manish Shrivastava लोकगीत
लोकगीत #शायरी
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