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Atul Upadhyay

दीपदान

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जब स्याह अंधेरा छा जाए,एक दीप जलाना आँगन में।
जब दीयों का मौसम आ जाए, एक दीप जलाना आँगन में।

जब सारी आस निराश करें, खुशियाँ सारी अवकाश करें,
फिर भी ख़ुद पर विश्वास करें, बस हार न जाना जीवन में।
                                        एक दीप जलाना आँगन में।

ये देश आज है रुका हुआ, हर हृदय स्वयं में बुझा हुआ,
इन नन्हे दीप प्रतीकों से, है अलख जगाना जन-जन में।
                                     एक दीप जलाना आँगन में।

अपने हिस्से के प्रकाश को, बाँटो वंचित और हताश को,
कोई भूखा-प्यासा-थका पथिक,कहीं भटक न जाए विपथन में।
                                          एक दीप जलाना आँगन में।

माना कि हालत गड़बड़ है, कुछ दिनों का ही तो पतझड़ है।
सहयोग अगर अनुकूल रहा, फिर फूल खिलेंगे उपवन में।
                                      एक दीप जलाना आँगन में।


                                                                     -अतुल दीपदान

sharma ji

दीपदान 🙏🙏

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Garvit Joshi

क्या था #कहानी

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umesh

दीपदान उत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं #diwalimemory

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Saurabh Sisodia

क्या खूबसूरत पल था, लेकिन क्या करें कल था #nojotophoto #विचार

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 क्या खूबसूरत पल था, लेकिन क्या करें कल था

Sandhya Rani Das

#क्या बचपन था #

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क्या बचपन था 
जो भी ख्वाहिश करते थे 
एक बार रो देने से सबकुछ मिल जाता था ,
अब बड़े हो गये है 
हर ख्वाहिश को आपने अंदर मार के 
हँसना सीख लेते हैं ।




 #क्या बचपन था #

Vickram

काम क्या था,,,,, #शायरी

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Ombir Kajal

मैं क्या था #Shayari

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वो क्या समझे मुझे, और मैं क्या था, 
वो ना समझे मुझे, कि मैं क्या था।

  वो रिश्ते नातों में, कम ही विश्वास करती थी,
 वो उसकी नजर में पत्थर,जो मेरी नजर में खुदा था।

उसकी सोच मॉर्डन, तो मेरी थोड़ी पुरानी थी,
वो उड़ना चाहती थी, और मैं जमीन से जुड़ा था।

उसके लिए मिलना बिछड़ना, आम बात थी,
 और मैं आगे बढ़कर, कभी वापिस नहीं मुड़ा था।

 वो शहर की हाई-फाई, और मैं गांव का गवांर रहा,
 बेशक मैं उससे ज्यादा ही, पढ़ा लिखा था।

 मैं थोड़ा जज्बाती और वह ज्यादा प्रैक्टिकल थी,
"ओमबीर काजल" एहसासों का, उसे नहीं पता था।

©Ombir Kajal मैं क्या था

Jitendra KumarYadav ( jitu)

सोचा क्या था #nojotophoto

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 सोचा क्या था

Sanny (Kafir)

क्या मांगा था?

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हमने ऐसा क्या मांगा था?
 
ज़िन्दगी भर के लिए तेरा साथ ही तो मांगा था!

अब कहते हो साथ मुमकिन नही इस जनम में,

बस तुझसे तेरा वादा ही तो निभाने को कहा था। क्या मांगा था?
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