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pooja d
यावे स्वप्नात तू असा आकाशात चंद्र जसा पण नको सोबतीला तारका...... #स्वप्न #यावं #नको #सोबतीला #तारका
Omvir Nagar
मंद मंद मुस्कुराती है, छुप छुप कर देख कर चली जाती है, उसके दिल में क्या है कैसे बताऊ यारो, उसकी मुस्कराहट सब कह जाती है| ©Omvir Nagar मंद मंद मुस्कुराती है #Thoughts
Neel Lokesh Mishra (Insta-Neel3.Mishra)
भूखा नंगा बैठा इंसान यहां, उसपर कोई तरस ना खाए, जाकर मंदिर में लेकर प्रभु का नाम, जोर जोर से घंटी रोज बजाए, प्रभु भी सोचकर मंद मंद रहे मुस्कुराए, वाह रे इंसान,स्वार्थ से भक्ति में कैसे राह दिखाएं©✓ Insta ID-Neel.Mishra3 #diary #प्रभु मंद मंद #मुस्कुराए
Er.Rajat Pratap Singh
वो मंद~मंद मुस्कुराया करती है, वो चंचल स्वभाव बनाने की कोशिश किया करती है, वो अपने पापा का रूतबा कहलाया करती है, वो मेरे पे अपना पूरा हक जमाया करती है, शायद इसीलिए मुझे सताया करती है, वो मुझे प्यार तो बहुत करती है, शायद इसलिए मेरी यादों में आया करती है,मेरी हर बात को वो अपने दिल से लगाया करती है, वो सच्ची मुझसे बहुत प्यार करती है,अब तो मेरी धड़कने भी उसी के नाम से धड़का करती है, वो मुझे बहुत लेक्चर दिया करती है, फिर भी मुझे उसमे अच्छाई नज़र आया करती है,वो प्यार तो मुझसे करती है, लेकिन मुझे खोने से डरती है, मेरी हर बात पर कटाक्ष किया करती है, आजकल तो वो मुझसे कुश्ती लड़ने की तैयारी किया करती है, क्योंकि वह जिम सिम किया करती है,वो बहुत सोचा करती है, वो मंद मंद मुस्कुराया करती है,
Avinash lad
सखी... ================ सय दाटुनिया येता मन धावे घरभर जसे लाजाळूचे झाड डोई घेउनी पदर सखा येईल येईल भास जागवी पापनी डोळा लागे वाटेवर हळू सोसूनिया पाणी घुसमटीचे वादळ दार घेई सावरून लाज दिसता गालात स्वप्न डोळ्यात पाहून कंठ लागता सुरात देई अमृताची गोडी सखी हळव्या मनाची अंगी भरझरी साडी लाज दार लपवितो सुखदुःख सावरून लक्ष्मी राबते घरात हासू सुखाचं आणून सखी आठवात सदा ओढ लावून दारात रूप देखणे सुंदर शोभे आनंदी घरात ================ विठूपुत्र - अविनाश लाड, राजापूर-हसोळ7 सखी..
Jaya Dilip Goswami
#PulwamaAttack यह सच है बदल गयी हूँ मैं !उम्र आने पर संवर गयी हूँ मैं | हाँ यह सच है ,कुछ-एक सफ़ेद बालों की गरिमा से भर गयी हूँ,एक औरत से माँ बन गयी हूँ मैं ! सबको प्यार से संभाला अब तक, अपनी जरूरतों को प्यार से सहलाया आज ,हाँ ,थोड़ी -थोड़ी सी बदल गयी हूँ मैं ...... रिश्तों को निभाती हूँ ,उससे जुड़े भार नहीं ढोती ,कितने बोझ अपने कन्धों पर लेकर चलूँ , समझ में आ गयी है यह बात कि ,आखिर औरत हूँ,धरती नहीं हूँ मैं ! आजकल दूसरों को एकदम से सलाह नहीं देती ,अगर उसकी स्थिति मेरे समझ से बाहर हो | अपने ज्ञान का प्रर्दशन करने से पहले, दूसरों को सलाह देने से पहले, खुद को टटोलने लगी हूँ मैं ! उनको इज़्ज़त देती हूँ, उनका पक्ष जानने की कोशिश करतीं हूँ,,सासु माँ को सास रहने देतीं हूँ ,माँ समझकर अपनी अपेक्षाएं नहीं बढाती अब,लगता है खुश रहने लगीं हूँ मैं ! आजकल सब्जी वाले ,ऑटो वाले से ,काम वाली से बिन बात मोलभाव नहीं करती , शॉपिंग मॉल में लुटे पैसे का भाव समझ गयी हूँ मैं | जानती हूँ खुद को सजाना ,संवारना जरुरी है पर खुद को सँवारने से पहले आत्मा पर पड़े मैल खुरचने लगीं हूँ मैं !लगता है अब निखर गयीं हूँ मैं ! थक जाने पर शरारतें बच्चों की परेशां करतीं है ,पर अब उनपर चिल्लाती नहीं ,उन्हें समझने की कोशिश में लगीं हूँ मैं !गीली मिट्टी सवांरने लगीं हूँ मैं ! बुजुर्गों के किस्सों मे उनके बचपन को जी लिया करतीं हूँ ,अनेकों बार सुनी उनकी बातों पर आज उन्हें टोकती नहीं बस पहली बार सुना हो वैसे मज़े लेने लगीं हूँ मैं | हरेक दिन को आखरी समझ कर जीने का तरीका सीख रहीं हूँ ,अपने इस नए "मैं" से प्यार करने लगीं हूँ मैं ! वक़्त से पंख उधार लेकर तितलियों सी उड़ने लगी हूँ मैं, फिर भी पैरों के नीचे जमीन रखतीं हूँ , "खुद से दोस्ती करने लगी हूँ मैं !" सखी