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बेजुबान शायर shivkumar
वो अच्छा है तो बेहतर और बुरा भी है तो कबूल मिजाज–ए–इश्क में ऐब ए यार नहीं देखे जाते... ©बेजुबान शायर shivkumar वो अच्छा है तो #बेहतर और #बुरा भी है तो कबूल मिजाज–ए–#इश्क़ में ऐब ए यार नहीं देखे जाते... #बेजुबानशायर #शायरी #Nojoto #erotica #erotic
Shivkumar barman
जिस्म् कि खुख् ने ©Shivkumar barman #जिस्म_की_भूख #जिस्म #बेजुबानशायर #कविता #कविता95 #बेजुबानशायर143 #हिन्दीकविता #Nojoto Kshitija Sudha Tripathi बेजुबान शायर shivkumar
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read moreRakesh frnds4ever
White मौत ने ज़माने को ये समा दिखा डाला कैसे कैसे रुस्तम को खाक में मिला डाला याद रख सिकन्दर के हौसले तो आली थे जब गया था दुनिया से दोनो हाथ खाली थे अब ना वो हलाकू है और ना उसके साथी हैं जंग जो न कोरस है और न उसके हाथी हैं कल जो तनके चलते थे अपनी शान-ओ-शौकत पर शमा तक नही जलती आज उनकी तुरबत पर अदना हो या आला हो सबको लौट जाना है - २ मुफ़्हिलिसों का अन्धर का कब्र ही ठिकाना है - २ जैसी करनी ... जैसी करनी वैसी भरनी आज किया कल पायेगा सरको उठाकर चलनेवाले एक दिन ठोकर खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,,,,,,,,,,,, 2 ,,,,,,,,,,,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever मौत ने #ज़माने को ये समा दिखा डाला कैसे कैसे #रुस्तम को खाक में मिला डाला याद रख #सिकन्दर के हौसले तो आली थे जब गया था #शान _ओ_शौकत पर शमा
Rakesh frnds4ever
White हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ तू यहाँ मुसाफ़िर है ये सराये फ़ानी है चार रोज की मेहमां तेरी ज़िन्दगानी है ज़र ज़मीं ज़र ज़ेवर कुछ ना साथ जायेगा खाली हाथ आया है खाली हाथ जायेगा जानकर भी अन्जाना बन रहा है दीवाने अपनी उम्र ए फ़ानी पर तन रहा है दीवाने किस कदर तू खोया है इस जहान के मेले मे तु खुदा को भूला है फंसके इस झमेले मे आज तक ये देखा है पानेवाले खोता है ज़िन्दगी को जो समझा ज़िन्दगी पे रोता है मिटनेवाली दुनिया का ऐतबार करता है क्या समझ के तू आखिर इसे प्यार करता है अपनी अपनी फ़िक्रों में जो भी है वो उलझा है - २ ज़िन्दगी हक़ीकत में क्या है कौन समझा है - २ आज समझले ... आज समझले कल ये मौका हाथ न तेरे आयेगा ओ गफ़लत की नींद में सोनेवाले धोखा खायेगा चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता है ढल जायेगा - २ ढल जायेगा ढल जायेगा - २ ,,,,,,, 1 ,,,,,,,, ©Rakesh frnds4ever हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
हुए नामवर ... बेनिशां कैसे कैसे ... ज़मीं खा गयी ... नौजवान कैसे कैसे ... आज जवानी पर इतरानेवाले कल पछतायेगा - ३ #चढ़ता सूरज धीरे धीरे ढलता
read moreDR. LAVKESH GANDHI
डांस जिसे दिखाना था डांस,वह अपना जिस्म दिखा बैठे वह अपने ही दोस्तों को,अपना ही ग्राहक बना बैठे जिस्म दिखाने से ही अगर, डांस बहुत अच्छा होता तो फिर डांस में,कपड़े पहनने की क्या जरूरत होती ©DR. LAVKESH GANDHI #Dance # #जिस्म दिखाने वाला डांस #
Dance # जिस्म दिखाने वाला डांस #
read moreMiss Khushi
White 'मर्द जिद्द तो जिस्म देखने की करता है, मगर इज्ज़त सिर ढकने वाली को ही देता है..! ©Miss Khushi #sad_quotes 'मर्द जिद्द तो जिस्म देखने की करता है, मगर इज्ज़त सिर ढकने वाली को ही देता है..! sad shayari sad status sad status sad shayri sa
#sad_quotes 'मर्द जिद्द तो जिस्म देखने की करता है, मगर इज्ज़त सिर ढकने वाली को ही देता है..! sad shayari sad status sad status sad shayri sa
read more–Muku2001
काफी हद तक बात ये हकीकत हैं की आज का प्यार चेहरे से शुरू होकर जिस्म तक पहुंचता हैं दिल तक नहीं ! ©–Muku2001 #Love #Pyar #mohabbat #true #Truth #muku2001 #सुविचार #जिस्म #Dil #दिल
नवनीत ठाकुर
White जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों में बसते हैं, हर दिल में अपने निशान छोड़ चलते हैं। खुद को भुलाकर जो बांटते जहान हैं, बनती वही हस्ती की पहचान है। ©नवनीत ठाकुर #जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों
#जो जिया दूसरों के लिए हर घड़ी, वही हस्ती बनती है मीठी नदी। मौत ले जाती है जिस्म का नाम, पर जिंदा रहते हैं नेक काम। वो दुआओं में, वो यादों
read moreRameshkumar Mehra Mehra
किसी को चूमना भी............. एक तरह का सबांद है....! जिसमें शब्द तो नही...!! पर ब्याकरण जरुर है...!!! चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है..!!!! जो जिस्म से पहले....!!!!! आत्मा को चूमना जानते है... ©Rameshkumar Mehra Mehra # किसी को चूमना भी,एक तरह का सबांद है,जिसमें शब्द तो नही,पर ब्याकरण जरुर है,चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है,जो जिस्म से पहले,आत्मा को चूमना
# किसी को चूमना भी,एक तरह का सबांद है,जिसमें शब्द तो नही,पर ब्याकरण जरुर है,चूमने का ब्याकरण नही समझ पाते है,जो जिस्म से पहले,आत्मा को चूमना
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