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SL PRaDHaN
एक पेड़ हुआ करता था गांव के उस मोड़ पर आते जाते राहगीरों को मुस्कुराते देखा करता था तेज धूप में भी खड़ा रहता था सर उठाये सबको छांव बांटा करता था तेज़ तूफानी बारिशों में लड़ते झगड़ते हवाओं से आसमां को रुलाया करता था बूढ़ा हो गया था शायद पर तेवर नहीं बदले ज़नाब के तब भी हवाओं के संग संग गुनगुनाता झुमा करता था कुछ दिन बीते कुछ लोग आए कुछ चिन्ह लगाया कुछ नाप लिया कुछ दिन बीते फिर नज़र पड़ी टूट गया था गर्व उसका कटा पड़ा था चौड़ी सड़क किनारे यही सिला था शायद उसका बिखर गया था सड़क किनारे गांव के उस मोड़ पर एक पेड़ हुआ करता था रहता था जो ठाठ से.। . बरगद @SuSHiL #बरगद
Amar Pratap Singh
खेल के मैदान वाले बरदाद के नीचे लोग आते हैं खींचे - खींचे, कोई तनाव में,कोई लिए हुए हल पर कुछ देर में लगती दुनिया एक छल। राहगीर सुस्ताने को बैठा बरगद के नीचे पड़ गया जीत - हार का खेल पीछे। मैदान है तो होता है खेल यहां होता हार - जीत का मेल। अवसाद ने उसको जोर से जकड़ा चारों ओर था जंजीर का पहरा, उसने गौर किया खिलाड़ी अवसाद मुक्त हैं उनके ऊपर हार - जीत दोनों युक्त है, उसने सीखा जीवन एक संघर्ष पुराना दुख रूपी हार से क्या घबराना। राहगीर ने देखा खेल जो हुआ मैदान में उत्तम निर्णय वाले थे वो सिद्धांत में, लड़ाई है पग-पग और डगर - डगर जीत मिलती कर्म मेहनती हो अगर, हार निराशा की कुंजी नहीं मेहनत और हौसला एक की पूंजी नहीं। राहगीर भी मेहनत और हौसलों को बुलंद करेगा अवसाद से निकल कर कर्म करेगा कर्म परिणाम की जननी है मसाल को जलाती अग्नि है संघर्ष अग्नि में राहगीर तप कर होगा कुंदन चंडी ,चंदन और चांदनी होगी तप की रुदन। राहगीर भी अब मैदान का बरगद होगा कड़ी धूप में छाओं होगा। अमर प्रताप सिंह ©Amar Pratap Singh बरगद
कृष्णा
जो साया देगा उसी को काटेगा कभी बरगद बनकर देखो.. छाव में बैठने वाला ही रोज़ थोड़ा थोड़ा छांटेंगा ©Krishna #बरगद...✍️
Alfaaj
हम खुद को बरगद समझकर जिन लोगों को छाँव बाटते रहे , वही लोग हमे जलाऊ लकड़ी समझकर काटते रहे ©Alfaaj बरगद #nojohindi
Parasram Arora
बरगद बूढ़ा हुआ तो क्या हुआ हौसला उसका बुलद था आंधीया चलती रही . इसके बावजूद अपनी शाख का .. एक भी पत्ता उसने जुदा नही होने दिया था कितना अथक प्रयास किया था मैंने कि किसी दिन रात क़ो दिन के आगोश में ले आऊं पर रात की चौकीदारी. पर तो खुदा. तैनात था मै जानता हूं मेरे निर्वाण के बाद मेरी रूह जिस्म से आज़ाद होगी लेकिन मुझे फ़िक्र नही क्योंकि जिस्मो क़ो तलाशना मेरी रूह का पुश्तैनी कारोबार था लव लाइफ और लाफ्टर ही अगर जीवन दर्शन है. तब बेबसी बेकसी और मुफलिसी. का कोई सवाल ही नही था ©Parasram Arora बूढ़ा बरगद.....