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Deepanjali Patel (DAMS)
होली का है त्यौहार आया, भर कर पिचकारी, देखो गोविंद आया, भोली-सी है वृषभान दुलारी, उनको रंगने, देखो हमारा छलिया आया, प्यारी किशोरी जू ने फिर लठ उठाया, भगा-भगा कर फिर सब ग्वालों को खूब दौड़ाया, हाथ न उनके पर गोपाला आया, बांध के फेटा, फिर गोविंद ने धमाल मचाया, फूलों की पिचकारी लेकर, बांध कमर में बंसी लाया, प्रेम रंग की लीला कर, सबको प्रेम रंग में डुबोने आया, ढूँढ-ढूँढ फिर सब सखियन को गुलाल लगाया, नटखट मेरे कान्हा ने अपनी राधा संग ये त्यौहार मनाया।। ।।राधे-राधे।। ।।होली के रसिया की जय।। ।।नन्दकिशोर-वृषभान दुलारी की जय।। ©dpDAMS #Colors ।।होली के रसिया की जय।।
Radheshyam
रास रचाएँ, मोहन रसिया मेरा मन, मन बसिया, हैं मेरा सांवरिया पूनम की रात में, चांदनी हैं बात में बनसी बजाएं सांवरिया.... गवालिन, गोपिन दूर-दूर से धुन बनसी सुन, चली-चली आए नाचे, बजाए मोहन संग सब प्रेम गीत गाए, राधा भी धुन सुन के आए, पत्ता-पत्ता इस मधुबन का, नाच रहा हैं मोहन मन का, थिरक रहें हैं फूल यहाँ के, नाच रहे सब मोहन मन का, भूल गए सारी बातें, एक हुए पास आते राधा श्याम की हो गई, कैसे समझ ना पाते, एक हुए पास आते.... ©Divyanshi Triguna "Radhika" #NojotoHindi #मोहन रसिया
Hindi #मोहन रसिया #कविता #nojotohindi
read morejyoti gurjar
हां हूं में, ज्योति सांवली-सांवली सी ,जरा बावली बावली सी , वो रंग पर बड़ा इतराती हैं, पर हमेशा अपनी मान मर्यादा को खोकर जाती हैं। समाज का नाम बढ़ाने की जगह, वो कुल को ही बदनाम कर जाती हैं। ©jyoti gurjar #ज्योति
Jyoti Agrahari
एक ज्योति पुंज सी बन जाऊँ ये नाम अमर अब मेरा हो , जग में आएँ तो कुछ करना है वो काम अमर अब मेरा हो। ज्योति
ज्योति
read moreHP
💝अखंड ज्योति💝 वह मनुष्य निश्चय ही सौभाग्यवान है जिसने अपने अन्तःकरण को निर्मल बना लिया है और जिसका जीवन आध्यात्मिकता की ओर उन्मुख हो रहा है। अध्यात्म जीवन का वह तत्वज्ञान है, जिसके आधार पर मनुष्य विश्व ही नहीं अखण्ड ब्रह्माण्ड के सारे ऐश्वर्य को उपलब्ध कर सकता है। अध्यात्म ज्ञान के बिना सारा वैभव—सारा ऐश्वर्य और सारी उपलब्धियाँ व्यर्थ हैं। जो भाग्यवान अपने परिश्रम, पुरुषार्थ एवं परमार्थ से थोड़ा बहुत भी अध्यात्म लाभ कर लेता है वह एक शाश्वत सुख का अधिकारी बन जाता है। व्यवहार जगत में अनेक सीखने योग्य ज्ञानों की कमी नहीं है। लोग इन्हें सीखते हैं, उन्नति करते हैं, सुख−सुविधा के अनेक साधन जुटा लेते हैं। किन्तु इस पर भी जब तक वे अध्यात्म की ओर उन्मुख नहीं होते वास्तविक सुख-शाँति नहीं पा सकते। अखंड ज्योति
अखंड ज्योति
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