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TubeLights
सर से जरा स्कार्फ हटा दो , तो कुछ बात बने । फिर से जरा कयामत तो ढा दो, तो कुछ बात बने ।। ©TubeLight गलती से भी अपना स्कार्फ नहीं हटाना रे ...
Ravinder Sharma
shayar_lyricist ©Ravinder Sharma Watch full vedio on you tube link available in below 👇👇👇 Subscribe on YOU TUBE : https://youtube.com/channel/UCeZiQtxbmJFKoXwKpfXoe1Q ना ह
JALAJ KUMAR RATHOUR
सुनो प्रिय कॉमरेड, मुझे नही पता क्यों उस वक्त तुम मुझे अपने दिल की हर बात बताती थी,और मैं भी बेफिक्र होकर अपने सारे राज तुम्हारे दरमियाँ खोल देता था। मुझे नही पता हमारे दरमियाँ क्या रिश्ता था पर कुछ तो था। वरना यूँ तुम्हारा मेरे लिए और मेरा तुम्हारे लिए इंतजार करना यूँ ही तो न था,घने कोहरे के बीच ,यूँ कड़कडाती जनवरी की सुबहों के बीच, तुम्हे देखना मेरे लिए किसी तापीय उष्मा से कम ना था। यूँ तुम्हारे साथ ,साईकिल होते हुए भी पैदल चलना मेरी आदतों और ख्वाहिशो में शुमार हो चुका था। हमारे बीच की वो साईकिल उस प्रतिरोध की तरह थी जो किसी चालक में तापीय उष्मा उत्पन्न करती है,वैसे वो तुम्हारा मधुवनी कला वाला रंगबिरंगा स्कार्फ लगा कर जब तुम आती थी। तो मै सोचता था। क्या तुम्हारा स्कार्फ मुझसे भी खुशनसीब है पर सर्दी बीतने का बाद गलत फहमी धीरे धीरे दूर हो गयी थी। वास्तव में सर्दियाँ प्रेम के लिए महत्व पूर्ण मौसम है। ये मौसम आपके धैर्य और आपके संस्कारों की परीक्षा लेता है, उसे घने कोहरे में ना जाने कितनी दफा हमारे दस्तानो से सुरक्षित ,हाथो का स्पर्श हुआ और तुमने हर बार मुझे देखा था। एक विश्वास था। तुम्हारी आँखों में मेरे लिए ,जो मैं अक्सर देखता था। जब तुम सिर्फ खामोश हो कर, मेरा हाथ अपने हाथ में थाम लेती थी। बस उसी विश्वास को कायम रखने के लिए के लिए मैं इंतजार करता था। तुम्हारा उस चौराहे पर जहां से हमारे रास्ते अलग होते थे।ताकि रात होने से पहले हम साथ में घर जा सके, वरना मालूम मुझे भी था ,कि एक दिन मैं भी तुम्हारे लिए उस मधुवनी कला वाले स्कार्फ जैसा हो जाऊंगा। जब तुम्हारी उम्र रूपी सर्दी का मौसम बदलेगा, पर सच में मैं नही जानता था कि सब कुछ मालूम होते हुए भी मैं तुमसे इतना प्रेम क्यों करता हूँ तुम्हारा दोस्त . जलज राठौर सुनो प्रिय कॉमरेड, मुझे नही पता क्यों उस वक्त तुम मुझे अपने दिल की हर बात बताती थी,और मैं भी बेफिक्र होकर अपने सारे राज तुम्हारे दरमियाँ खो
JALAJ KUMAR RATHOUR
यार कॉमरेड, मुझे नही पता क्यों उस वक्त तुम मुझे अपने दिल की हर बात बताती थी,और मैं भी बेफिक्र होकर अपने सारे राज तुम्हारे दरमियाँ खोल देता था। मुझे नही पता हमारे दरमियाँ क्या रिश्ता था पर कुछ तो था। वरना यूँ तुम्हारा मेरे लिए और मेरा तुम्हारे लिए इंतजार करना यूँ ही तो न था,घने कोहरे के बीच ,यूँ कड़कडाती सुबहों के बीच, तुम्हे देखना मेरे लिए किसी तापीय उष्मा से कम ना था। यूँ तुम्हारे साथ ,साईकिल होते हुए भी पैदल चलना मेरी आदतों और ख्वाहिशो में शुमार हो चुका था। हमारे बीच की वो साईकिल उस प्रतिरोध की तरह थी जो किसी चालक में तापीय उष्मा उत्पन्न करती है।वैसे वो तुम्हारा मधुवनी कला वाला रंगबिरंगा स्कार्फ लगा कर जब तुम आती थी। तो मै सोचता था। क्या तुम्हारा स्कार्फ मुझसे भी खुशनसीब है पर सर्दी बीतने का बाद गलत फहमी धीरे धीरे दूर हो गयी थी। वास्तव में सर्दियाँ प्रेम के लिए महत्व पूर्ण मौसम है।ये मौसम आपके धैर्य और आपके संस्कारों की परीक्षा लेता है। उसे घने कोहरे में ना जाने कितनी दफा हमारे दस्तानो से सुरक्षित ,हाथो का स्पर्श हुआ और तुमने हर बार मुझे देखा था। एक विश्वास था। तुम्हारी आँखों में मेरे लिए ,जो मैं अक्सर देखता था। जब तुम सिर्फ खामोश हो कर, मेरा हाथ अपने हाथ में थाम लेती थी। बस उसी विश्वास को कायम रखने के लिए के लिए मैं इंतजार करता था। तुम्हारा उस चौराहे पर जहां से हमारे रास्ते अलग होते थे।ताकि रात होने से पहले हम साथ में घर जा सके, वरना मालूम मुझे भी था ,कि एक दिन मैं भी तुम्हारे लिए उस मधुवनी कला वाले स्कार्फ जैसा हो जाऊंगा। जब तुम्हारी उम्र रूपी सर्दी का मौसम बदलेगा पर सच में मैं नही जानता था कि सब कुछ मालूम होते हुए भी मैं तुमसे इतना प्रेम क्यों करता हूँ। तुम्हारा दोस्त... #जलज राठौर #alone यार कॉमरेड, मुझे नही पता क्यों उस वक्त तुम मुझे अपने दिल की हर बात बताती थी,और मैं भी बेफिक्र होकर अपने सारे राज तुम्हारे दरमियाँ खोल
PS T
कैप्शन में भणजो ! #सियाळा #YQRajasthani #CollabKakaSa #Collab #राजस्थानी_भासा_म्हारो_स्वाभिमान #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote KakaSa राजस्था
The Sarvajeet Krishna
14 फरवरी 2017 वैलंटाइंस डे, प्रेमियों का दिन। ज़ोया गुस्से से लाल पीली हुई लवर्स पॉइंट पे नदी किनारे बैठी राहुल का इंतज़ार कर रही थी। आँखो म
indra patel
अनुशीर्षक:– अंतिम मुलाकात अनुशीर्षक:– अंतिम मुलाकात अपनी दोस्त वैष्णवी के प्रति ध्रुव के मन में कुछ बातें थी जो उसे अंदर ही अंदर कमज़ोर करता जा रहा था तब ध्रुव ने