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Rabindra Kumar Ram
White " जाने मैं कब कैसे तेरे सोहबत में कभी आए , इतना तो करम हो तेरे ए'तिमाद में आए , रुख कर की कोई दार-मदार हो ऐसे में कभी , जो मैं कभी तेरे दस्तरस में गैर इरादतन आए ." --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram #love_shayari " जाने मैं कब कैसे तेरे सोहबत में कभी आए , इतना तो करम हो तेरे ए'तिमाद में आए , रुख कर की कोई दार-मदार हो ऐसे में कभी , ज
#love_shayari " जाने मैं कब कैसे तेरे सोहबत में कभी आए , इतना तो करम हो तेरे ए'तिमाद में आए , रुख कर की कोई दार-मदार हो ऐसे में कभी , ज
read moreBANDHETIYA OFFICIAL
White भागमभाग: धर्म -कर्म कौन -सा ? धर्म- कर्म किस काम का,करम ही नहीं जहां? काज अपना करो जहां,रहम ही नहीं जहां। किसके सर पे कौन लात,रखके पार हो जाए ? हरदम पेट पे लात मारे, दूरी कहर ढाए, राज है तो राज करो,मरम ही नहीं जहां। देखो होता पाप -पुण्य , कुछ भी हां, नहीं,पंगा, अपने आप से देखो, लिए, कठौती मन चंगा , गंगा पावन मन कि मन, नियम ही नहीं जहां। ©BANDHETIYA OFFICIAL #Thinking #धर्म -कर्म में करम ही गायब! भक्ति फिल्म भक्ति गीत भक्ति सागर भक्ति वीडियो भक्ति गाना भोजपुरी Rakesh Srivastava Internet Jockey
BANDHETIYA OFFICIAL
White तुम्हारे वास्ते मेरी आस्था मेरा क्यूं धरम ? मेरा विश्वास डिगता है, फिर डगमगा उठते कदम! पैरों हो तले जमीं, यकीं,मेरा वो यकीं, तेरे ऐतबार की पैदाइश, जरा कर दो इसे अलम। देखो तुम कभी पढ़ो, आंखों मेरी कि बढ़ो - उस ओर जहां हो मुझसे मेरी वफा, खुद में लाओ वो करम। ©BANDHETIYA OFFICIAL #Thinking #करम ! शायरी लव स्टोरी लव कोट्स लव शायरी हिंदी में लव शायरियां शायरी लव रोमांटिक Naveen Gurdeep Kanheri Pooja Udeshi Ravindra Y
निर्भय चौहान
White खाली हैं वो जाम कि जिनमें सारी दुनिया डूबी थी। डूबा था जो वो होश में न था दरिया में क्या खूबी थी।। इश्क पे कोई ज्योतिष जादू काम कहां करता है यार। बदनामी के ले दाग गया वो हाथ में जिसके रूबी थी।। ©निर्भय चौहान #GoodMorning करम गोरखपुरिया Sandeep Kumar Saveer Rakhee ki kalam se वरुण तिवारी katha(कथा)
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White {Bolo Ji Radhey Radhey} 🔱🚩🎪 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय :- नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू॥ कालनेमि कलि कपट निधानू। नाम सुमति समरथ हनुमानू॥(४) भावार्थ:- कलियुग में न तो कर्म है, न भक्ति है और न ज्ञान ही है, केवल "राम" नाम ही एकमात्र आधार है। जिस प्रकार कपटी कालनेमि को मारने में श्रीहनुमान जी समर्थ हैं, उसी प्रकार बुद्धिमान मनुष्य कलियुग में कालनेमि रूपी कपट को "राम" नाम से मारकर कपट-रहित हो जाते हैं. ©N S Yadav GoldMine #sad_qoute {Bolo Ji Radhey Radhey} 🔱🚩🎪 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय :- नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू॥ कालनेमि कलि कपट निधानू।
#sad_qoute {Bolo Ji Radhey Radhey} 🔱🚩🎪 ॐ नमो भगवते वासुदेवाय :- नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू॥ कालनेमि कलि कपट निधानू।
read moreनिर्भय चौहान
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset ये अजनबी से रास्ते अब अपने लगते हैं। ये देवदार तने हुए हैं जैसे प्रहरी हो प्रेम के। बर्फीली हवाओं में सिमटा जिस्म तेरे ख्वाब देख कर, कश्मीरी सिगरी की गर्माहट पा रहा है। ऐसे में तुमसे गुजारिश है कि न मत कहना। वरना डल झील के शिकारों पर मोहब्बत तनहा कैसे बैठेगी। या कौन पियेगा कहवा । चांदनी रात में श्वेत निर्मल पहाड़ पे चांद क्यों देखेगा कोई। जब तुम न होगी साथ उसे चिढ़ाने को। एक बेदाग हुस्न लिए धड़कनों का गीत हो जाना तुमने सीखा है कहां से पत्थर को मोम बनाना। कोई जादू है, तो हो मगर अच्छा लगता है। तुम,तुम्हारा साथ,और ये एहसास बस सच्चा लगता है। ऐसा लगता है कि अब फिर से सुबह हो रही है। ऐसा लगता है कि फिर से शाम सुकून लाई है। सहमी सहमी सी उम्मीदों को हौंसला मिल रहा है। जैसे नन्हे परिंदे को नया घोंसला मिल रहा है। सुबह शबनम की बूंद में जैसे तारे समाए हों, सुदूर अंधेरे सागर में किसी कश्ती पे बैठे मछुआरे ने दिया जलाया हो, अपनी तनहाई को बांटने के लिए। जैसे ऑफिस की एक चाय बांट लेती है , तुम्हारे साथ मेरी खुशी। मैं भी बांटना चाहता हूँ तुमसे जिंदगी अपनी। घर की दहलीज पे दिखता है मुझसे शुभ्र कलश। और तेरे पांव में महावर भी। खनकते कंगनों की बीच तेरे पायलों का गीत है, और तेरी छोटी सी नाक नहीं आती बीच में, जब अधर एकसार हो रहे होते है। मेरी आंखों पे तेरा चेहरा और मेरे घर के खुले दरवाजे पे परदा झूल गया है।। ©निर्भय चौहान #SunSet Vandan sharma katha(कथा) mahi singh करम गोरखपुरिया
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White ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं, हर गली में भंवरे बनकर, फूलों पर मंडराते हैं। साहिबा को मानकर मूरत, ख़ुद को मिर्ज़ा बताते हैं, हीर-रांझा की क़िस्सागोई में, अपने दिल बहलाते हैं। इश्क़ की हक़ीक़त से, ये नादान अनजान हैं, सिर्फ़ कलियों की ख़ुशबू तक, इनके अरमान हैं। हमने सदियों इश्क़ के हरम में, वक़्त गुज़ारे हैं, सब्र-ए-इश्क़ का मतलब, इनसे बेहतर समझे हैं। ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ को खेल समझते हैं, हर दर्द-ए-दिल को, बस अफ़साना कहते हैं। इश्क़ की राहों में, सब्र का इम्तिहान होता है, हर आशिक़ का दिल, सच्चे इश्क़ का मक़ाम होता है। इनकी मोहब्बत में, गहराई की कमी है, सिर्फ़ बाहरी चमक-धमक, दिलों में नर्मी है। इश्क़ की असलियत, तजुर्बे से समझ आती है, हर दिल में मोहब्बत की, अलग ही कहानी बसी है। ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं, पर इश्क़ की गहराई को, कहां ये समझ पाते हैं। हमने इश्क़ में सब्र और वफ़ा के क़िस्से लिखे हैं, इनकी मोहब्बत में, बस ख़्वाबों के सिलसिले हैं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #moon_day ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं, हर गली में भंवरे बनकर, फूलों पर मंडराते हैं। साहिबा को मानकर मूरत, ख़ुद को मिर्ज़
#moon_day ये कच्ची उम्र के लड़के, इश्क़ मुझे सिखाते हैं, हर गली में भंवरे बनकर, फूलों पर मंडराते हैं। साहिबा को मानकर मूरत, ख़ुद को मिर्ज़
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