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Divya Thakur
एक ही Room में सुबह से शाम हो जाना फिलहाल ऐसी चल रही है जिंदगी ।। ©Divya Kaushik #रूम
Upendraraj Devadhe
रूम बदलताना.... हे गाव ती खोली सारी उचलसाचल आहे. जुनी नाती तोडून नवीन जोडणे आहे नोकरदाराचा संसार,हिंदोळता आहे जणु विंचवाचे बि-हाड पाठीवर आहे. सप्तरंगी रूम बदलताना
रूम बदलताना
read moreMANOHAR
घरमालकाने भाडे न दिल्याने ९४ वर्षीय वृद्धाला भाड्याच्या घरातून हाकलून दिले. म्हाताऱ्याकडे जुना पलंग, काही अॅल्युमिनियमची भांडी, प्लास्टिकची बादली आणि घोकंपट्टी वगैरे शिवाय काहीही सामान नव्हते. म्हातार्याने मालकाला भाडे देण्यासाठी थोडा वेळ देण्याची विनंती केली. शेजाऱ्यांनाही म्हातार्याची दया आली आणि त्यांनी घरमालकाला भाडे देण्यासाठी थोडा वेळ दिला. घरमालकाने अनिच्छेने त्याला भाडे भरण्यासाठी थोडा वेळ दिला. म्हातार्याने सामान आत घेतले. तेथून जाणाऱ्या एका पत्रकाराने थांबून सर्व दृश्य पाहिले. ही बाब आपल्या वृत्तपत्रात प्रसिद्ध करणे उपयुक्त ठरेल असे त्यांना वाटले. त्याने एक मथळा देखील विचारला, "क्रूर जमीनदार पैशासाठी म्हातार्याला भाड्याच्या घरातून बाहेर काढतो." मग त्याने जुन्या भाडेकरूचे काही फोटो काढले आणि भाड्याच्या घराचे काही फोटोही काढले. पत्रकाराने जाऊन आपल्या प्रेस मालकाला घडलेला प्रकार सांगितला. प्रेसच्या मालकाने चित्रे पाहिली आणि त्यांना धक्काच बसला. त्यांनी पत्रकाराला विचारले, म्हाताऱ्याला ओळखते का? पत्रकार नाही म्हणाला. दुसऱ्या दिवशी वर्तमानपत्राच्या पहिल्या पानावर मोठी बातमी छापून आली. "गुलझारीलाल नंदा, भारताचे माजी पंतप्रधान, एक दयनीय जीवन जगत" असे शीर्षक होते. या बातमीत पुढे लिहिले आहे की, माजी पंतप्रधान कसे भाडे देऊ शकले नाहीत आणि त्यांना घरातून कसे हाकलून देण्यात आले. आजकाल फ्रेशर्सही भरपूर पैसे कमावतात, अशी टिप्पणी केली गेली. तर दोन वेळा माजी पंतप्रधान राहिलेल्या आणि दीर्घकाळ केंद्रीय मंत्री राहिलेल्या व्यक्तीकडे स्वतःचे घरही नाही. वास्तविक गुलझारीलाल नंदा यांना रु. 500/- प्रति महिना भत्ता उपलब्ध होता. मात्र आपण स्वातंत्र्यसैनिकांच्या भत्त्यासाठी लढलो नसल्याचे सांगत त्यांनी हे पैसे नाकारले होते. नंतरच्या मित्रांनी त्याला असे सांगून स्वीकारण्यास भाग पाडले की त्याचे मूळ दुसरे कोणतेही स्त्रोत नाही. या पैशातून तो घरभाडे देऊन गुजराण करत असे. दुसऱ्या दिवशी विद्यमान पंतप्रधानांनी मंत्री आणि अधिकाऱ्यांना वाहनांच्या ताफ्यासह त्यांच्या घरी पाठवले. एवढ्या व्हीआयपी वाहनांचा ताफा पाहून घरमालक थक्क झाला. तेव्हाच त्यांना कळले की त्यांचे भाडेकरू श्री गुलझारीलाल नंदा हे भारताचे माजी पंतप्रधान होते. घरमालकाने त्यांच्या गैरवर्तनाबद्दल लगेच गुलझारीलाल नंदा यांच्या चरणी नतमस्तक झाले. अधिकारी आणि व्हीआयपींनी गुलझारीलाल नंदा यांना सरकारी निवास आणि इतर सुविधा स्वीकारण्याची विनंती केली. गुलझारीलाल नंदा यांनी या वृद्धापकाळात अशा सुविधांचा काय उपयोग असे सांगून त्यांची ऑफर स्वीकारली नाही. शेवटच्या श्वासापर्यंत ते एका सामान्य नागरिकाप्रमाणे जगले. 1997 मध्ये सरकारने त्यांचा भारतरत्न देऊन गौरव केला. त्यांच्या आयुष्याची तुलना सध्याच्या राजकारण्यांशी करा.कारण आमच्या ३०० आमदारांना फुकटची ३०० निवासस्थाने हवी आहेत. *(त्यांच्या 23व्या पुण्यतिथीनिमित्त, आदरांजली)* 💐🙏 विनम्र अभिवादन 🌸🌸🌸🌸🙏 ©MANOHAR घरमालकाने भाडे न दिल्याने ९४ वर्षीय वृद्धाला भाड्याच्या घरातून हाकलून दिले.
घरमालकाने भाडे न दिल्याने ९४ वर्षीय वृद्धाला भाड्याच्या घरातून हाकलून दिले. #Mythology
read moreSavita Nimesh
मैं कॉलेज हॉस्टल में न्यू आई थी वहां पता लगा मेरा रूम नम्बर 13 है । वहा खड़े कुछ स्टूडेंट के चेहरे का रंग उड़ गया था वो आखों ही आखों में ना जाने क्या बात कर रहे थे, खैर मैंने अपना सामान उठाया और अपने रूम की तरफ जाने लगी सभी मुझको बहुत अजीब सी नज़रों से देख रहे थे। मैं अपने रूम में आई और अपना सामान लगाने लगी। क्लास शुरू होने ही वाली थी मैने जल्दी से काम खत्म किया और क्लास में पहुंच गई। मैडम ने मेरा परिचय पूरी क्लास से कराया और सबने अपना परिचय मुझसे कराया, मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन क्लास खत्म होने के बाद मैंने सबसे अपना पेंडिंग वर्क मांगा तो सबने को न कोई बहाना बना के मना कर दिया। तब मैं निराश सी होकर एक एकांत कोने में जा बैठी । तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली तुम क्लास में काम मांग रही थी ना, ये लो मेरा वर्क काम होने के बाद वापस कर देना। मेरे चेहरे पर एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ एक सवाल था कि ये लड़की क्लास में तो थी नहीं फिर इसको ये सब कैसे पता, पर खैर मुझे क्या मुझे तो वर्क मिल गया था मैं जैसे ही उसका नाम पूछने के लिए मुड़ी वो वहां नहीं थी। मै जब शाम को अपने रूम में पहुंची और पेंडिंग वर्क कंप्लीट करने में लग गई, 12 बज गए मेरा वर्क होने में, अचानक आंधी चलने लगी मेरे रूम की खिड़की बहुत तेज तेज बजने लगी। आसमान में बिजली कड़कने और बादल गरजने की आवाज से में सिहर गई , ऊपर से लाइट भी चली गई। मैंने मोबाइल टॉर्च जला के मोमबत्ती ढूंढ के जलाई , तभी मेरा डोर किसी ने बजाया ठक्क ठक्क ठक्क ठक्क्क मैं मोमबत्ती हाथ में लिए दरवाज़ा खोलने लगी दरवाजा अपने आप झटके से खुल गया और हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ गई मुझे कुछ भी साफ साफ नहीं दिख रहा था बस एक लड़की की परछाई दिखी मैने पूछा कौन हो इतनी रात गए क्या काम है मुझसे, अचानक मेरे पीछे की खिड़की फिर हवा से बजने लगी मैं खिड़की की तरफ बढ़ी तो लाईट भी आ गई, मैने जैसे ही पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखा तो वहा कोई नही था। अगले दिन सुबह मैंने अपने आस पास के सभी रूम की लड़कियों से पूछा की क्या कल तुम मेरे रूम पर आई थी पर सभी ने मना कर दिया,खैर फिर मैं इस बात को भूल गई और अपने में व्यस्त हो गई। मैं वो सभी नोट्स वापस करने के लिए उस लड़की का इंतजार किया पर वो शायद आज आई ही नहीं थी। तभी मैंने कुछ लड़कियों को आपस में बाते करते सुना की कल फिर से रूम नम्बर 13 की सुधा फिर से होस्टल में घूमती हुई कुछ लोगो ने देखी, ये सब सुनते ही मुझे सब समझ आ गया और मैं वही बेहोश हो गई। ©Savita Nimesh होस्टल का रूम नंबर 13
होस्टल का रूम नंबर 13 #हॉरर
read moreSavita Nimesh
मैं कॉलेज हॉस्टल में न्यू आई थी वहां पता लगा मेरा रूम नम्बर 13 है । वहा खड़े कुछ स्टूडेंट के चेहरे का रंग उड़ गया था वो आखों ही आखों में ना जाने क्या बात कर रहे थे, खैर मैंने अपना सामान उठाया और अपने रूम की तरफ जाने लगी सभी मुझको बहुत अजीब सी नज़रों से देख रहे थे। मैं अपने रूम में आई और अपना सामान लगाने लगी। क्लास शुरू होने ही वाली थी मैने जल्दी से काम खत्म किया और क्लास में पहुंच गई। मैडम ने मेरा परिचय पूरी क्लास से कराया और सबने अपना परिचय मुझसे कराया, मुझे बहुत अच्छा लगा। लेकिन क्लास खत्म होने के बाद मैंने सबसे अपना पेंडिंग वर्क मांगा तो सबने को न कोई बहाना बना के मना कर दिया। तब मैं निराश सी होकर एक एकांत कोने में जा बैठी । तभी एक लड़की मेरे पास आई और बोली तुम क्लास में काम मांग रही थी ना, ये लो मेरा वर्क काम होने के बाद वापस कर देना। मेरे चेहरे पर एक तरफ खुशी थी तो दूसरी तरफ एक सवाल था कि ये लड़की क्लास में तो थी नहीं फिर इसको ये सब कैसे पता, पर खैर मुझे क्या मुझे तो वर्क मिल गया था मैं जैसे ही उसका नाम पूछने के लिए मुड़ी वो वहां नहीं थी। मै जब शाम को अपने रूम में पहुंची और पेंडिंग वर्क कंप्लीट करने में लग गई, 12 बज गए मेरा वर्क होने में, अचानक आंधी चलने लगी मेरे रूम की खिड़की बहुत तेज तेज बजने लगी। आसमान में बिजली कड़कने और बादल गरजने की आवाज से में सिहर गई , ऊपर से लाइट भी चली गई। मैंने मोबाइल टॉर्च जला के मोमबत्ती ढूंढ के जलाई , तभी मेरा डोर किसी ने बजाया ठक्क ठक्क ठक्क ठक्क्क मैं मोमबत्ती हाथ में लिए दरवाज़ा खोलने लगी दरवाजा अपने आप झटके से खुल गया और हवा के झोंके से मोमबत्ती बुझ गई मुझे कुछ भी साफ साफ नहीं दिख रहा था बस एक लड़की की परछाई दिखी मैने पूछा कौन हो इतनी रात गए क्या काम है मुझसे, अचानक मेरे पीछे की खिड़की फिर हवा से बजने लगी मैं खिड़की की तरफ बढ़ी तो लाईट भी आ गई, मैने जैसे ही पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखा तो वहा कोई नही था। अगले दिन सुबह मैंने अपने आस पास के सभी रूम की लड़कियों से पूछा की क्या कल तुम मेरे रूम पर आई थी पर सभी ने मना कर दिया,खैर फिर मैं इस बात को भूल गई और अपने में व्यस्त हो गई। मैं वो सभी नोट्स वापस करने के लिए उस लड़की का इंतजार किया पर वो शायद आज आई ही नहीं थी। तभी मैंने कुछ लड़कियों को आपस में बाते करते सुना की कल फिर से रूम नम्बर 13 की सुधा फिर से होस्टल में घूमती हुई कुछ लोगो ने देखी, ये सब सुनते ही मुझे सब समझ आ गया और मैं वही बेहोश हो गई। ©Savita Nimesh होस्टल का रूम नंबर 13
होस्टल का रूम नंबर 13 #हॉरर
read moreMr. Kumar
बची हो अगर कोई और तोहमत, लाईए उसे भी मेरे ही सर रख दो तुम आज भी रोते हुए पसंद नहीं मुझे अपने सब इल्ज़ाम मेरे सर रख दो कुमार और यूं तो कुछ बचा नहीं मेरे पास, उसके बिछड़ जाने के बाद तुम कुछ यूं करो के उसकी यादों को मेरे हुजरे से कहीं बाहर रख दो (मि. कुमार) तोहमत - इल्ज़ाम हुजरा - जैसे कमरा (रूम)
तोहमत - इल्ज़ाम हुजरा - जैसे कमरा (रूम)
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