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New अप्रकाशित अभिक्रिया Quotes, Status, Photo, Video

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Satyendra Kumar Mishra

"अरमान" कविता मेरी मौलिक, अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

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Flop ranjha

बेकरारी new shayari FOLLOW KRLYO TAVLA SAA sad love story tag your love @badnam__ranjha__ofline ________________________________________ #SAD #शायरी #banjaara #BanjaaranSoul

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Divyanshu Pathak

ओहो ! तेरा हृदय में उतर कर, मेरी आत्मा में रम जाना। भाव बन रगों में बहना, मेरा रोम-रोम खिल जाना। दौड़ते मन को वश में कर, तेरा मेरे इष्ट सा हो #yqdidi #YourQuoteAndMine #picquote #aestheticthoughts #yqaestheticthoughts #ATwomanbg4 #पाठकपुराण

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तुम सच में,

पूरी की पूरी माया हो।

देख कर खो जाता हूँ।

बस तेरा हो जाता हूँ।

तेरा चिढ़ना क्रोध में,

तमतमा जाना।

पल भर में मुस्काना!

नयनों से तीर चलाना।

तेरी मोहिनी विद्या से मैं,

एक मुस्कुराहट में ठग जाता हूँ। ओहो !
तेरा हृदय में उतर कर,
मेरी आत्मा में रम जाना।
भाव बन रगों में बहना,
मेरा रोम-रोम खिल जाना।
दौड़ते मन को वश में कर,
तेरा मेरे इष्ट सा हो

Flop ranjha

बेहोश पड़ा हू मै new shayari FOLLOW KRLYO TAVLA SAA sad love story tag your love @badnam__ranjha__ofline ________________________________ #SAD #lost #शायरी #viral #saobe

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Purohit Nishant

कलम को समर्पित फनकारों की याद में... 🌻 जन्मदिन विशेष 🌻 ब्रह्मलीन संत कवि "शिवदीन राम जोशी" पद्यात्मक रचनाओं का विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रेम, #Knowledge #hindilove #rajasthan #hindilovers #hindiwriter #जन्मदिन_विशेष #हिन्दी_लेखक #हिन्दवी #kaavyapedia #हिन्दी_युग #शिवदीन_राम_जोशी

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🌻 जन्मदिन विशेष 🌻

©Purohit Nishant कलम को समर्पित फनकारों की याद में...

🌻 जन्मदिन विशेष 🌻

ब्रह्मलीन संत कवि "शिवदीन राम जोशी"
पद्यात्मक रचनाओं का विषय ज्ञान, वैराग्य, प्रेम,

शब्दिता

जिस प्रकार लकड़ी में दीमक लगने के पश्चात ही ज्ञात हो पाता है कि लकड़ी में दीमक लग चुकी है उसी प्रकार बुराई भी अप्रकाशित रहती है जब बुराई जन्

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*बुराई का प्रर्दुभाव* 
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 जिस प्रकार लकड़ी में दीमक लगने के पश्चात ही ज्ञात हो पाता है कि लकड़ी में दीमक लग चुकी है
उसी प्रकार बुराई भी अप्रकाशित रहती है जब बुराई जन्

prahlad mandal

शीर्षक- माता-पिता ही भगवान है। ढूंढ रहे हो मंदिर , मस्जिद और गुरूद्वारे में , वहां तो सिर्फ श्रद्धा का वास है । मत ढूंढो कही प्रभु का वास #Mom

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शीर्षक- माता-पिता ही भगवान है।

ढूंढ रहे हो मंदिर , मस्जिद और गुरूद्वारे में ,
वहां तो सिर्फ श्रद्धा का वास  है ।

मत ढूंढो कही प्रभु का वास , 
घर जाकर पुछो उनका हालचाल जो बैठे हैं तेरे आश में।
क्योंकि माता-पिता ही भगवान है।

भूख लगे तो चलें जाना कभी मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे,
बिन मांगे कोई एक तिनका तक नहीं देगा ‌।
वहीं भूख में तुम मुस्कुराते हुए घर में घुस जाना,
तेरी मुस्कुराहट में तेरे भूख को पहचान लेगा।
क्योंकि माता-पिता ही भगवान है।

कभी किसी चीज की जरूरत पड़ी तो ,
मांग लेना मंदिर,मस्जिद, गुरुद्वारे में
जाकर।
खुद मांगकर मेहनत खुद से करना पड़ेगा।

बिन कहे ही वो  तेरे छोटी बड़ी जरूरत को पहचान लेता हैं।
अपनी जरूरत को छोड़कर ,
वो तेरे जरूरत को पूरा कर देता है।
क्योंकि माता-पिता ही भगवान है।

मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे सिर्फ श्रद्धा का वास है।
क्योंकि माता-पिता ही भगवान है।
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स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
प्रहलाद मंडल
कसवा गोड्डा ,गोड्डा ,झारखंड
ई-मेल- mprahlad2003@gmail.com शीर्षक- माता-पिता ही भगवान है।

ढूंढ रहे हो मंदिर , मस्जिद और गुरूद्वारे में ,
वहां तो सिर्फ श्रद्धा का वास  है ।

मत ढूंढो कही प्रभु का वास

JALAJ KUMAR RATHOUR

#Mdh यार कॉमरेड, किताबों के बीच चिट्टियाँ रख कर ही तो शुरू हुई थी बातें हमारी। केमिस्ट्री के नोट्स के बहाने मैं तुम्हें रोज देखा करता था। म #जलज

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यार कॉमरेड, 
किताबों के बीच चिट्टियाँ रख कर ही तो शुरू हुई थी बातें हमारी। केमिस्ट्री के नोट्स के बहाने मैं तुम्हें रोज देखा करता था। मैं सोचता था कि काश हमारे बीच कोई अभिक्रिया हो। लेकिन मैं हमेशा उत्प्रेरक सा रहा। जो अनेक अभिक्रियाओ में भाग तो लेता है पर उसका हिस्सा नही बन पाता था। मुझे नही पता क्यूँ पर तुम जब भी मेरे सामने आती थी तो मेरा चेहरा लिटमस पेपर सा लाल हो जाता था। 
अगर आज वो चिट्ठियां मेरे पास होती तो शायद मैं प्रेम की दुनियाँ का सबसे अमीर प्रेमी हो सकता था। लेकिन हम तो फाड़ देते थे उन चिट्ठियों को, समाज के डर से, परिवार के डर से और उस हर डर से जिस से प्रेम की पहली सीढ़ी चढ़ने वाले प्रेमी डरते हैं फिसलने से।तुम अक्सर ही कहते थी कि "यार अगर चिठ्ठीयों पर लिखी बातें सही पते पर पहुंचती तो कभी कोई अपने पते से लापता ना होता।" काश मै  लिख पाता तुम्हारे सही पते पर एक खत। 
.... #जलज कुमार राठौर #Mdh यार कॉमरेड, 
किताबों के बीच चिट्टियाँ रख कर ही तो शुरू हुई थी बातें हमारी। केमिस्ट्री के नोट्स के बहाने मैं तुम्हें रोज देखा करता था। म
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