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Vikrant Rajliwal
Shakuntala Sharma
हर रंग अपनी पहचान छोड जाता है। चेहरे इंसानों के रंगकर दिलों पर मोहब्बत की छाप छोड जाता है ।। हर रंग में रंगने का हुनूर भी जरूरी है। नही तो अकड़ कर चलना अपनेपन को तोड़ जाता है ॥ ©Shakuntala Sharma #Holi के रंगों के संग
DrMohd Asif Lyricologist
इस रंग बिरंगे जीवन में नफ़रतें मिटा के जो हैं मन मे जाति धर्म की दीवार गिराकर आ भीगे रंगों के इस सावन में #NojotoQuote भीगें रंगों के सावन में
J P Lodhi.
लहू को बहाकर के लाल रंग को बदनाम कर दिया, धर्म की पोत दी कालिख दिल्ली को शर्मसार किया। जलाकर के शहर मोहब्बत के रंगों को भी जला दिए, हंसते खेलते घरों के खुशियों के चिराग बुझा दिए। बांट दिया तुमने रंगो को धर्मो के चश्मों से झांककर, दंगों में बरपाया कहर, नफरत के रंगों को भांपकर। अमन का दमन करने जो बने हैवानियत के सारथी, इंसानियत के हत्यारों को माफ न करेगी मां भारती। प्यार का मजहब रखने वाले रंगों का भ्रम तोड़ दिया, अमन के हत्यारों ने रंगो को भी मजहब से जोड़ दिया। #Colorप्यार के रंगों से खिलवाड़
priya
रंगोली में भिगो के चोली मेरी करता सीना -जोरी कहूँ !क्या तुझसे ए सहेली मनमीत रूठा था कबसे ऐसे मुँह फेर के कैसे मनाऊं उसे मैं, मेरी पड़ी ये वीरान हवेली कोई तो कहो उसे कहके मुँहबोली उसके बिना ये खेली जाये न होली सुन तो अरदास कुछ ओ प्यारी हठेली वो जमुना किनारे बैठ करे अठखेली कोई मना के लाओ उसे अब खेली न जाये ये रंगों की होली आके थामे अगर वो मेरी हथेली कभी मैं छोड़ू ना उसकी बनु चमेली कैसे अब कहूँ उससे मैं पलके कबकी भीगी हो रही पर खेली जाये न ये रंगों की होली रंगों की होली#दिल के रिश्ते
Anamika Geet
होली के रंगों में रंग कर भूल जाओ सब धर्म वर्ण जो रखना हो याद कभी तो याद रखो मानवता ही याद रखो मानवता ही होली के तमाम रंगों को मानवता के रंग में भिगाकर सबको उन रंगों से रंगा दो
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी प्यारे को जरा,हसरतों से गले लगाये रंगों के गुलाल आजमाये अंग अंग भी अब बहके जाये निखरे है चेहरे ऐसे जैसे नशे में गुल कोई खिलाये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Kundan&Zoya रंगों के गुलाल आजमाये #nojotohindi
Usha Dravid Bhatt
होली आई होली आई भर -भर पिचकारी खुशियां लाई हेमंत गया आया बसंत फूलों से लद गए दिशा दिगन्त । केशर की क्यारी महक उठी टेसू की लाली बहक उठी फूला बुरांश कचनार कहीं गेहूं जौ की बाली चहक उठी, आमो पर बौरें फूट गई कोयल बगिया में कूक रही रंग गया फागुन बासन्ती रंग से गलियां मृदंग संग थिरक रही, बच्चे रंगों से सराबोर अबीर गुलाल से रंगा ओर छोर भर पिचकारी मस्तों की टोली होली आई मचा रही शोर । याद आती गांवों की माटी की खुशबू हल्दी,गेहूं,जौ के रंगों से प्यार गली मुहल्ले बजती मुरली की धुन घर - घर होता मन भावन सत्कार ।। ©Usha Dravid Bhatt रंगों के पर्व की रंगीन मस्ती #Holi