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Stories related to मेथोडोलोग्य ऑफ सोशल रिसर्च इन हिंदी

    LatestPopularVideo

lakshman parjapati

सिचुएशन ऑफ वूमेन इन आवर सोसाइटी

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roshan

इन हिंदी

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आना है तॊ आ जाना है तो जा....
घुटने पे बैठके तुम्हे मनाना
मुझे शोभा देगा क्या?

पानी का नही नाम
साब्जी को नही दाम
बता गोल्डन नेकलेस तुम्हे दिलाऊ कैसे?
कुवा सुख गया है
नदी नाला रुख गया है
बता तेरे प्यार मे शलांग लगाऊ कैसे?

आना है तो आ जाना है तो जा....

बेजान सहै पत्थर पर
बिना कुछ चडाये
बता मान्नत मे तुझे उसीसे मांगु कैसे?
भावनिक  मै बहोत हू
दिल मे तुम्हेहीं रखता हू
पानी बचाते बचाते
बता आसू अंखोसे बहाऊ कैसे?

आना है तो आ जाना है तो जा.....
....रोशन देसाई....
12/02/20 इन हिंदी

Dr. Shivam Rathore Official

इन द मेमोरी ऑफ इंडियन क्रिकेट टीम

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Ranbir Sahu.

" रिसर्च "

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 " रिसर्च "

skmajhi018

#सुविचार इन हिंदी #ज़िन्दगी

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Vishal Charan

शायरी इन हिंदी ,#shyari

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रूद्र rajasthani

संघर्ष की राह पर जो चलता है।
वहीं दुनिया को बदलता है।
जिसने अंधेरे से जंग जीती है।
सूरज बनकर वहीं चमकता है

©pL Tg #हिंदी #राजस्थानीभाषा  #ज्ञानभर्योसंसार #घनात्मा #राधे #कान्हा #सोशल #वायरल

pramod malakar

#हवन पर रिसर्च #समाज

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हिन्दू धर्म में हवन से फायदा पर रिसर्च
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फ़्रांस के ट्रेले नामक  वैज्ञानिक ने हवन पर  रिसर्च की। जिसमें उन्हें  पता चला की हवन
 मुख्यतः आम की लकड़ी पर किया जाता है।जब आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक
 एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है।जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को
मारती है । तथा वातावरण  को शुद्द करती  है। इस रिसर्च के  बाद ही वैज्ञानिकों को इस
गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला।गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है।
टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया की यदि आधे घंटे
हवन में  बैठा जाये अथवा  हवन  के  धुएं से  शरीर का  सम्पर्क  हो  तो  टाइफाइड  जैसे
खतरनाक  रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं  और  शरीर शुद्ध  हो जाता है।हवन
की महत्ता  देखते हुए राष्ट्रीय  वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी
इस पर  एक रिसर्च की । क्या वाकई हवन से वातावरण  शुद्द होता है और जीवाणु नाश
होता  है ?अथवा  नही ? उन्होंने  ग्रंथों  में वर्णिंत  हवन  सामग्री  जुटाई  और  जलाने पर
पाया  कि  ये विषाणु नाश  करती है। फिर उन्होंने  विभिन्न  प्रकार के  धुएं  पर  भी काम
किया और देखा कि सिर्फ एक किलो आम की लकड़ी जलाने  से हवा में मौजूद विषाणु
बहुत  कम  नहीं  हुए। पर  जैसे ही  उसके  ऊपर  आधा किलो हवन  सामग्री  डाल  कर
जलायी  गयी  तो एक  घंटे के भीतर ही कक्ष में  मौजूद  बैक्टीरिया  का  स्तर 94 % कम
हो  गया। यही नहीं  उन्होंने  आगे भी कक्ष  की  हवा में मौजुद  जीवाणुओ  का  परीक्षण
किया  और  पाया कि  कक्ष के दरवाज़े  खोले  जाने  और  सारा धुआं  निकल  जाने  के
24 घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से 96 प्रतिशत कम था। बार-बार परीक्षण
करने पर ज्ञात हुआ कि इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष
की  वायु  में  विषाणु  स्तर  30  दिन  बाद  भी  सामान्य  से  बहुत  कम था । यह  रिपोर्ट
एथ्नोफार्माकोलोजी  के  शोध  पत्र   (research   journa l of   Ethnopharmacology
2007)  में  भी  दिसंबर  2007  में छप चुकी है। रिपोर्ट में लिखा गया कि हवन के द्वारा
न सिर्फ मनुष्य बल्कि वनस्पतियों एवं फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बैक्टीरिया का
भी नाश  होता है ।  जिससे फसलों  में  रासायनिक  खाद का प्रयोग कम हो सकता है ।
आप  अपने  परिजनों  को इस जानकारी  से  अवगत  कराए । हवन  करने  से  न सिर्फ
भगवान  ही खुश होते  हैं बल्कि घर की  शुद्धि भी हो जाती है । भगवान सभी  परिजनों
को सुरक्षा एवं समृद्धि  प्रदान करें ।
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प्रमोद मालाकार की कलम से

©pramod malakar #हवन पर रिसर्च

Akanksha Srivastava

रिश्ता नहीं रिसर्च

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 रिश्ता नहीं रिसर्च

Prachi Sharma

#oneliner #हिंदी_कोट्स_शायरी फर्स्ट पोस्ट इन हिंदी इन नोजोटो #प्रेरक

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