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Anuj Ray

₹ तुम बिन जाए तो जाए कहां" #शायरी

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अदनासा-

Urmeela Raikwar (parihar)

"बदल जाए " #मोटिवेशनल

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Shashi Bhushan Mishra

#लग जाए तो# #शायरी

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Meri Mati Mera Desh आईना  सच  बताने  लग जाए तो, 
गलतियों को दिखाने लग जाए तो,

पैरहन के अलावा भी है और कुछ, 
भेद  घर  का  बताने  लग जाए तो,

मर्ज़ का नुस्खा  बताए ख़ुद मरीज, 
चाराग़र को  सिखाने लग जाए तो,

पहुँचकर थाने में सारे चोर ख़ुद ही, 
रपट बरबस लिखाने लग जाए तो,

झूठ   की   देकर  दलीलें   कोर्ट में, 
फैसला  ख़ुद  सुनाने  लग जाए तो,

सेंकने  वाले  सियासी  रोटियों को, 
आग  दिल में जलाने लग जाए तो,

सोचता हूँ संकटों के जनक गुंजन, 
समस्या  को  भगाने  लग जाए तो,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
            चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #लग जाए तो#

Manpreet Benipal

खोया जाए...... #Befikar #BefikrTeBeparwah #कोट्स

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Santosh Verma

#देर ना हो जाए #विचार

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Anuj Ray

# और दम निकल जाए" #शायरी

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मेरी कलम के दो शब्द

गुमराह ना हो जाए #विचार

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Shashi Bhushan Mishra

#गुज़र जाए चाहे बहार# #शायरी

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White कर दे  जब मौसम बेज़ार,
लगे नियति  बेबस लाचार,

पतझड़ गुजरी आया बसंत, 
होती  रहती  है  जीत हार,

ख़ुशियों की है आवा-जाही, 
कर दूँ सारा कुछ दरकिनार,

बरसे मधुमय रस  प्रेमपूर्ण, 
आकर छेड़े मन का सितार,

देकर सुकून कुछ पल का ही, 
फिर  गुज़र जाए चाहे बहार, 

भर दे  शीतलता  धरती  पर,
सावन में घिर गिरकर फुहार,

बाक़ी कर दे दिल पर 'गुंजन',
दो पल की ही ख़ुशियाँ उधार,
  --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #गुज़र जाए चाहे बहार#

pramod malakar

जनता जाए भाड़ में

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# जनता जाए भाड़ में #
पिछवाड़े  में फेविकोल किसने  लगाया  था,
उसे कुर्सी पर किसने बैठाया था।
जिसने कहा था कुर्सी में हीं कुछ गड़बड़ी है,
उसका कुर्सी से चिपके  रहना भी जरूरी है।
जनता जाए भाड़ में,
दिल्ली डुब जाए अषाढ़ में।
हर घर में शराब पिलाना ज़रुरी है,
कुर्सी लूटने के लिए नोटों कि लूट मजबूरी है।
घर - घर  में  आज  उछल   रहा  है   सवाल,
 केजरीवाल को ED ने क्यों बनाया सहवाल। 
चलो जो  भी हुआ  बहुत  अच्छा हुआ,
भ्रष्टाचारियों का निकल रहा धुआं।
केंद्र में सबका साथ सबका विकास वाली सरकार है,
आज देश को सिर्फ भाजपा कि दरकार है।
मित्रों याद रखना कमल फूल को,
सर पर लगा लो भारत माता कि पवित्र धूल को।
मैं मालाकार रक्षक हूं भारतीय संस्कृति का,
मैं शब्द हूं राष्ट्रीय गीत कि हर पंक्ति का।
 कल सुभाष,भगत सिंह और चंद्रशेखर ने जगाया था,
2014 में  हर हिन्दू  तिरंगा  और भगवा  लहराया था।
केजरी के पिछवाड़े में  फेविकोल  किसने लगाया था,
उसे कुर्सी पर किसने बैठाया था।।
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कवि ---- प्रमोद मालाकार... जमशेदपुर

©pramod malakar #जनता जाए भाड़ में
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