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F M POETRY
Unsplash दर्द देने कि उनकी आदत है.. हाँ मगर बेपनाह मुहब्बत है.. रोते रहते हैं वो पश-ए-दीदार.. इस तरह उनको हमसे चाहत है.. यूसुफ़ आर खान.. ©F M POETRY #इस तरह उनको हमसे चाहत है...
#इस तरह उनको हमसे चाहत है...
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सर फिर से उठा चुके अधर्मी मर्यादा तब तार तार है होती तपस्या भंग सच्चाई की राक्षसों की प्रव्रत्ति सर उठा रही है माँस और सुरा सुंदरी का बढ़ा प्रचलन साधु भेष में हठधर्मिता पनपायी जा रही है असत्यता का कद बढ़ा कर त्यागी तपस्वी को मिटाने की धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है चीटी भी ना मारी हो जिसने उसे विधर्मी बताकर नींव धर्म की हिलायी जा रही है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
#sad_quotes धुर्ता पाखण्ड मिलाकर की जा रही है
read moreShashi Bhushan Mishra
आज, कल, परसों पे टलता जा रहा, साईं पल-पल दिन निकलता जा रहा, तैरने वाले गये उस पार कबके, कुछ किनारे हाथ मलता जा रहा, भूलने वाले भुला बैठे अदावत, टीसने वाले को खलता जा रहा, जम गई है बर्फ़ सी संवेदनाएं, वेदना से ग़म पिघलता जा रहा, कोई बच पाया नहीं इस काल से, समय की चक्की में दलता जा रहा, संभलकर ही कर्म करना जगत में, भाग्य बनकर बीज फलता जा रहा, ज्ञान दीपक से मिटे अंधियार 'गुंजन', हृदय में सुख-शांति पलता जा रहा, ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra #दिन निकलता जा रहा#
#दिन निकलता जा रहा#
read moreआधुनिक कवयित्री
जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। अजनबी है अवारा शहर में, पहचान अपनी न छुपा सके। आंसू पोंछते रहे अकेले, किसी को दिखा न सके। पूछा सबने उदास चेहरा देखकर, हम कारण उदासी का बता न सके। कहानी बहुत छोटी सी थी हमारी, फिर भी किसे सुना न सके। दुनियां ने बहुत कुछ सीखा दिया, हम खुद को समझा न सके। साथ चाहा हर किसी ने हमारा, पर हम किसी ओर को अपना न सके। समझ लिया सबने अपने अपने नज़रिए से , हम झूठ पर भी ऊंगली उठा न सके। स्तब्ध होकर भूल गए दुनियां को, पर उन यादों को न भूला सके। जुदा हुए इस कदर, दुबारा नजरे न मिला सके। ©आधुनिक कवयित्री जुदा.......
जुदा.......
read moreBhupendra Deep
White क्या चल रहा जीवन में बस ये ना पूछ काटों भरे रस्तों पर चलता जा रहा हूं हसीन थे वो लम्हे जो गुजर गए अरसो पहले चन्द यादों के सहारे संभलता आ रहा हूँ ये दिल टूटने का गम अब तू मुझसे ना पूछ परिवार के लिए कोई अपना ढूंढता जा रहा हूं मै अपना हुआ और पराया भी कई दफ़ा पहले बस अब हमसफ़र की तलाश में घुमता आ रहा हूँ सोचे थे जो सारे सपने एक चेहरे के साथ मैंने अब उस चेहरे की याद को ठुकराता जा रहा हूँ तोड़ा मेरा दिल और वो सारे सपने जिसने उस दर्द को छुपाते मुस्कुराता आ रहा हूँ अब दोबारा दिल्लगी की कोई जरूरत नहीं मुझको मैं सबको अपनी दास्तां सुनाता जा रहा हूं मेरी साथी मेरी मंजिल मैंने सब पाकर देखा हकीकत मे कुछ वादे मैं अकेले गुनगुनाते आ रहा हूं... ©Bhupendra Deep #sad_dp जा रहा हूँ
#sad_dp जा रहा हूँ
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