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vaibhav

विद्रोह #poem #nojotovideo

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V Singh KyS

विद्रोह

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मेरे पास अब सिर्फ कागज के तीर है और जब भी कोई तीर चलता है, तो वो पानी नहीं मेरा लहू मांगता है। विद्रोह

Dayanand Kanakdande

विद्रोह #poem

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somnath gawade

 साहेबांची 'उपद्रवी'
कृती वाढली की, 
कर्मचारी 'विद्रोह'
 वृत्ती कडे वळू
  लागतात.
 #विद्रोह

Author Harsh Ranjan

विद्रोह

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पेट भारी होता है!
पहली बार एक गर्भवती ने ये बोला था,
उससे पहले खास कर कि
मर्दों को ऐसा लगता था कि पेट और परिवार 
दुनिया की दो सबसे बड़ी प्रेरणाएं हैं।
मैंने लंबे रास्ते पर गौर किया
हरेक के पैर से कुछ पेट बंधे हैं।
अब मुझे लगता है कि पेट 
परंपरा के जूतों से भी भारी है।
शौक, जज्बे और जोश की,
कुछ कर गुजरने के सोच की
ये राहें अब सफर के लिहाज से ठंडी हैं।
यहाँ अब कुछ बड़ी दुकानें और
कुछ रईस लोगों की मंडी हैं,
यहाँ के समान शोपीस के लिए उत्तम हैं,
जिन्हें चखा जा सके वो 
प्रसाद से कहाँ कम हैं!
मुझे पता है कि चम्मच बेचकर
मैं वहाँ जा नहीं सकता,
सफर का लती हूँ सो निकल गया,
मेरे पेट में सिर्फ चलने की मंशा जलती है,
कुछ नफ़रतें, कुछ चाहतें
बेरोक-टोक मेरी नसों में चलती हैं।
मेरे कानों में एक साधु की बात गूंजती है,
कुछ न पाने का वैराग्य,
कुछ न खोने की निश्चिन्तता का भाव
इंसान को अलग राह मोड़ देता है
उसका छिटक जाना कल-पुर्जों की भीड़ से
एक तंत्र को बीचो-बीच तोड़ देता है। विद्रोह

Author Harsh Ranjan

विद्रोह

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पेट भारी होता है!
पहली बार एक गर्भवती ने ये बोला था,
उससे पहले खास कर कि
मर्दों को ऐसा लगता था कि पेट और परिवार 
दुनिया की दो सबसे बड़ी प्रेरणाएं हैं।
मैंने लंबे रास्ते पर गौर किया
हरेक के पैर से कुछ पेट बंधे हैं।
अब मुझे लगता है कि पेट 
परंपरा के जूतों से भी भारी है।
शौक, जज्बे और जोश की,
कुछ कर गुजरने के सोच की
ये राहें अब सफर के लिहाज से ठंडी हैं।
यहाँ अब कुछ बड़ी दुकानें और
कुछ रईस लोगों की मंडी हैं,
यहाँ के समान शोपीस के लिए उत्तम हैं,
जिन्हें चखा जा सके वो 
प्रसाद से कहाँ कम हैं!
मुझे पता है कि चम्मच बेचकर
मैं वहाँ जा नहीं सकता,
सफर का लती हूँ सो निकल गया,
मेरे पेट में सिर्फ चलने की मंशा जलती है,
कुछ नफ़रतें, कुछ चाहतें
बेरोक-टोक मेरी नसों में चलती हैं।
मेरे कानों में एक साधु की बात गूंजती है,
कुछ न पाने का वैराग्य,
कुछ न खोने की निश्चिन्तता का भाव
इंसान को अलग राह मोड़ देता है
उसका छिटक जाना कल-पुर्जों की भीड़ से
एक तंत्र को बीचो-बीच तोड़ देता है। विद्रोह

JK बड़ोदिया

सन्यासी #Dussehra2020

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आसान नहीं होता है धर्म कर्म  ओर भाव में अनुरक्त होना
आसान नहीं होता किसी का भक्त होना
फल की कामना करना आसान है लेकिन 
आसान नहीं होता है दुनिया से विरक्त होना 
# JK Badodiya

©JK बड़ोदिया सन्यासी

#Dussehra2020

Deepanshi Srivastava

सन्यासी #BuddhaPurnima2021

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वो सन्यासी क्या सन्यासी ,जो बिन चखे तजे संसार को ,
व्यक्ति वही है भक्त असल जो इसमें रम कर भी पाले राम को..।।🙏🏻

©Deepanshi Srivastava सन्यासी

#BuddhaPurnima2021

अशोक द्विवेदी "दिव्य"

जो भी करो बेहद करो,
इश्क़ करो या विद्रोह करो,
क्योंकि अंजाम दोनो के एक है। #इश्क़ #विद्रोह

VaibhavSingh

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