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anjali talks
naveenlupoetry
White सपने सारे सपने हैं कहने को बस अपने हैं है दूजा कौन जो फिकर करे परिवारों की बीच भंवर में फ़सी पड़ी है किसे है चिंता पतवारों की उन्हें चाहिए आजादी चाहे मर्यादा मरघट में जाए अपने जीस्त से मतलब है चाहे रिश्तो में खटपट आए यही है दुनिया यही कहानी सबकी है चली आ रही है युगों युगों से न तब की है न अब की है कौन करे मेल- मिलाप कौन हलक से हमदर्दी बाँटे जब लगा है खून दांतो में एकलापन का कौन अपने - पराये का दूरी काटे रहो रुखसत रहो खफ़ा बस ऊपर वाले का खयाल रहे है नहीं क्यूँ सब के संग मेरा मन बस यही अंतर्मन में सवाल रहे ©naveenlupoetry #Sad_Status hindi poetry on life poetry lovers hindi poetry poetry in hindi deep poetry in urdu
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read moreArpan Varu
Bharat Bhushan pathak
White जीवन ये नदिया बहती-सी धारा। ढूँढे यहाँ पे सभी किनारा। ©Bharat Bhushan pathak #sad_quotes sad urdu poetry poetry on love urdu poetry sad urdu poetry poetry in hindi
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read moreदीक्षा गुणवंत
हां मैं ठीक हूं। शायद रातें लंबी हो गई हैं, तो ज्यादा देर जाग लिया करती हूं। कुछ करने को खास है नहीं, तो कुछ अनसुलझी बातें खुद में सुलझा लिया करती हूं।। हां मैं ठीक हूं। सर्द हवाओं का मौसम है आजकल, ये ठंडी हवाएं थोड़ा चुभती है सांस लेने में। कुछ देर घबरा कर, आंख बंद कर आहें भर लिया करती हूं।। हां मैं ठीक हूं। दिन तो कट जाता है लोगों के बीच में आराम से, शाम को काम के बीच खुद को व्यस्त कर लेती हूं। किसी को खास कहने को यूं तो कुछ है नहीं, पर कभी खुद को खुद से सारे आम कर देती हूं।। हां मैं ठीक हूं। चेहरे पर मुस्कान, आंखों में उम्मीद, सच है या झूठ कुछ कह नहीं सकते। सब पूछ लेते है कैसी हो? सब ठीक तो है ना? मुस्कुरा कर, सर हिला कर, मैं ठीक हूं कह दिया करती हूं।। हां मैं ठीक हूं। हां बाकी ये सब छोड़ो, मैं तो ठीक ही हूं।। -लफज-ए-आशना "पहाड़ी" . ©दीक्षा गुणवंत #Texture deep poetry in urdu hindi poetry poetry hindi poetry on life sad urdu poetry
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read moreVijay Vidrohi
White बंटोगे तो कटोगे ऐसे ये अब नारे लगाता है रहोगे एक तो हैं सेफ कहकर भरगलाता है ©Vijay Vidrohi Rajniti #sad_quotes #Jhooth #Thoughts #shayri #life #india poetry in hindi poetry poetry lovers deep poetry in urdu poetry quotes
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read moreदीक्षा गुणवंत
मैं उसको इस कदर आंख भर के देखूं, वो जाए दूर फिर भी आह भर के देखूं। एक इंसान ने यूं ही इस कदर पा लिया उसे, मैं उसे खुद के किस ख्वाब में देखूं? चंद लम्हे बिताए उसके साथ में, पर सपने हजार मैं देखूं। साथ में होकर भी रास्ते अलग से हैं हमारे, खुद अकेले चलकर उसे किसी और के साथ मैं देखूं।। कुछ कह कर भी किसी के एहसास-ए-मोहब्बत से वाकिफ होने से महरूम है ये दुनिया। यूं तो बिन कहे, बिन सुने समझ लेते हैं एक दूजे को, उसकी आंखों में खुद के लिए प्यार बेशुमार मैं देखूं।। यूं बिखरी जुल्फें, यूं बदहवास सी हालत, यूं आंखों के दरमियां घेरे काले काले, उसे पसंद हूं मैं इन खामियों के साथ। वो कहे मेहताब का नूर मुझे, उसकी नजरों से आईने में खुद का दीदार हजार बार मैं देखूं।। वो मेला, वो झूले, वो रास्ता तेरे साथ में, याद है वो आखरी दिन मेरा हाथ तेरे हाथ में। वो बिंदी, वो लाली, फिर भी कुछ कमी सी थी श्रृंगार में, वो तेरी पसंद के झुमके पहन खुद को बार-बार मैं देखूं।। मोहज़्ज़ब(सभ्य) मोहब्बत और ये बेइंतेहा चाहत हमारे दरमियां, एक पायल उसने अपने हाथों से पहनाई जो मुझे। कुछ इस तरह छुआ मेरे पैरों से मेरे दिल को, उस लम्हे को तन्हाई में हजार बार मैं देखूं।। बेबसी का आलम कुछ इस कदर है मेरे आशना, वो साथ होकर भी साथ नहीं है मेरे। मेरा होकर भी मेरा ना हो सका वो, उसे पाया भी नहीं, फिर भी खो देने का आज़ार(दर्द) मैं देखूं।। -लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी" । ©दीक्षा गुणवंत sad urdu poetry poetry urdu poetry poetry on love poetry in hindi
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