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Mayul

suresh patel

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Andy Mann

#Thinking AARPANN JAIIN Ak.writer_2.0 Mahesh Patel Ashutosh Mishra वैद्य (dr) उदयवीर सिंह

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White खुद को बढ़ती उम्र के साथ स्वीकारना एक तनावमुक्त जीवन देता है। हर उम्र एक अलग तरह की खूबसूरती लेकर आती है  उसका आनंद लीजिये🙏बाल रंगने है तो रंगिये, वज़न कम रखना है तो रखिये, मनचाहे कपड़े पहनने है तो पहनिए,बच्चों की तरह खिलखिलाइये, अच्छा सोचिये, अच्छा माहौल रखिये, 
शीशे में दिखते हुए अपने अस्तित्व को स्वीकारिये। कोई भी क्रीम आपको गोरा नही बनाती, कोई शैम्पू बाल झड़ने नही रोकता,कोई तेल बाल नही उगाता, कोई साबुन आपको बच्चों जैसी स्किन नही देता। चाहे वो प्रॉक्टर गैम्बल हो या पतंजलि .....सब सामान बेचने के लिए झूठ बोलते हैं। ये सब कुदरती होता है। उम्र बढ़ने पर त्वचा से लेकर बॉलों तक मे बदलाव आता है। पुरानी मशीन को Maintain करके बढ़िया चला तो सकते हैं, पर उसे नई नही कर सकते।ना किसी टूथपेस्ट में नमक होता है ना किसी मे नीम। 
किसी क्रीम में केसर नही होती, क्योंकि 2 ग्राम केसर भी 500 रुपए से कम की नही होती ! कोई बात नही अगर आपकी नाक मोटी है तो,कोई बात नही आपकी आंखें छोटी हैं तो,कोई बात नही अगर आप गोरे नही हैं 
या आपके होंठों की shape perfect नही हैं....फिर भी हम सुंदर हैं, अपनी सुंदरता को पहचानिए।दूसरों से कमेंट या वाह वाही लूटने के लिए सुंदर दिखने से ज्यादा ज़रूरी है, अपनी सुंदरता को महसूस करना।
हर बच्चा सुंदर इसलिये दिखता है कि वो छल कपट से परे मासूम होता है और बडे होने पर जब हम छल व कपट से जीवन जीने लगते है तो वो मासूमियत खो देते हैं ...और उस सुंदरता को पैसे खर्च करके खरीदने का प्रयास करते हैं।मन की खूबसूरती पर ध्यान दो।पेट निकल गया तो कोई बात नही उसके लिए शर्माना ज़रूरी नही।आपका शरीर आपकी उम्र के साथ बदलता है तो वज़न भी उसी हिसाब से घटता बढ़ता है उसे समझिये।
सारा इंटरनेट और सोशल मीडिया तरह तरह के उपदेशों से भरा रहता है,यह खाओ, वो मत खाओ ठंडा खाओ, गर्म पीओ, कपाल भाती करो,  सवेरे नीम्बू पीओ,रात को दूध पीओज़ोर से सांस लो, लंबी सांस लो दाहिने से सोइये ,बाहिने से उठिए,हरी सब्जी खाओ, दाल में प्रोटीन है,दाल से क्रिएटिनिन बढ़ जायेगा।अगर पूरे एक दिन सारे उपदेशों को पढ़ने लगें तो पता चलेगा ये ज़िन्दगी बेकार है ना कुछ खाने को बचेगा ना कुछ जीने को !!
आप डिप्रेस्ड हो जायेंगे।ये सारा ऑर्गेनिक, एलोवेरा, करेला, मेथी, पतंजलि में फंसकर दिमाग का दही हो जाता है। स्वस्थ होना तो दूर स्ट्रेस हो जाता है।अरे! अपन मरने के लिये जन्म लेते हैं,कभी ना कभी तो मरना है अभी तक बाज़ार में अमृत बिकना शुरू नही हुआ।हर चीज़ सही मात्रा में खाइये, हर वो चीज़ थोड़ी थोड़ी जो आपको अच्छी लगती है। भोजन का संबंध मन से होता है* *और मन अच्छे भोजन से ही खुश रहता है।**मन को मारकर खुश नही रहा जा सकता।*थोड़ा बहुत शारीरिक कार्य करते रहिए,टहलने जाइये, लाइट कसरत करिये,व्यस्त रहिये,  खुश रहिये,

©Andy Mann #Thinking  AARPANN JAIIN  Ak.writer_2.0  Mahesh Patel  Ashutosh Mishra  वैद्य (dr) उदयवीर सिंह

Kamlesh Kandpal

#dr

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Andy Mann

#Thinking Rakesh Srivastava Mahesh Patel Ashutosh Mishra वैद्य (dr) उदयवीर सिंह मेरेख्यालमेरेजज्बात

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White आदमी के दुःख अनंत है, आदमी के दुःखो की भी कोई सीमा नही है, क्योकिं आदमी की इच्छाएं अनंत है, आदमी की कामनाएं अनंत है। 
          आदमी की एक आद इच्छा हो तो आदमी को दुःखो से पार पाने में ज्यादा समय नही लगता है, परंतु आदमी ने इतने दुःखो को अपने जीवन मे इजात कर रखा है कि वह चाह कर भी अपने दुःखो से जीवन भर पार नही पा सकता है। 
              प्रायः आदमी के सारे सुख दुःख आदमी अपने वैचारिक अनुरुप में खड़े करता है तभी उसे हर छोटी से छोटी निरर्थकता में भी दुःखो व सुखों का अनुभव हो जाता है। 
           सुख और दुःख आदमी के अपनी भीतरी संतुलन की स्थिति पर निर्भर करता है कि आदमी की भीतरी संतुलन की दिशा क्या है? आदमी जैसा भीतर जिन परिस्थितियों में जीता है, वह बाहर उन्ही परिस्थितियों को निर्माण करता है भीतर अगर संतुष्टि नही है, भीतर स्वयं के जीवन मे असंतुलन है तो व्यक्ति उन्ही परिस्थितियों को जियेगा जो वह भीतर है। 
           प्रायः सारे सुख दुःख जीवन के सारे मनोभाव पर ही निर्भर करते है कोई दुःखो, कष्टों को भी सुख व आनंद महसूस करते है ओर कोई सुखों व आनंदिता को भी दुःख ही समझते है।
       हम जैसा मनोभाव भीतर रखेंगे वैसा ही मनोभाव हमारे जीवन को बनाएगा और वैसे ही जीवन को हम जिएंगे।

©Andy Mann #Thinking  Rakesh Srivastava  Mahesh Patel  Ashutosh Mishra  वैद्य (dr) उदयवीर सिंह  मेरेख्यालमेरेजज्बात

Andy Mann

#Sad_Status Ak.writer_2.0 Sangeet... Mahesh Patel Ashutosh Mishra वैद्य (dr) उदयवीर सिंह

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White सुनो न
मुझे लगता हैं हम जैसे इमोशनल पुरुष और स्त्रीयों को प्रेम से दूर ही रहना चाहिए।
इंसान सब चीज़ से लड़ लेता है बस एक जिससे प्रेम करता है उसी के आगे हार जाता है। पूरी उम्मीद पूरी दुनिया मानकर हम  जिस प्रेम के पीछे पागल रहते हैं, मन से जिसे हम अपनी पत्नी पति मान लेते हैं। वही प्रेम ऐसा तोड़ता है कि बस पूछो मत। अंदर ही अंदर सब कुछ खत्म हो चुका होता है कब का। कहाँ जाए किस्से कहे? किसके आगे रोये? किसके पास इतनी फुर्सत है?
सहारे न रहे तो घुट घुट के खत्म हो जाये। बस साँस चल रही, धड़कन चल रही, लेकिन अंदर से मर चुके होते हैं।

©Andy Mann #Sad_Status  Ak.writer_2.0  Sangeet...  Mahesh Patel  Ashutosh Mishra  वैद्य (dr) उदयवीर सिंह

Andy Mann

#good_morning Ak.writer_2.0 Mahesh Patel वैद्य (dr) उदयवीर सिंह Ashutosh Mishra Arshad Siddiqui

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White अकेला बैठ जाता हूं , कभी जो टूट भी जाऊं तो ,

मै लोगो से लहजों का शिकवा ,अब नही करता...।।

©Andy Mann #good_morning  Ak.writer_2.0  Mahesh Patel  वैद्य (dr) उदयवीर सिंह  Ashutosh Mishra  Arshad Siddiqui

Andy Mann

#हल Dr Udayver Singh Sangeet... Mahesh Patel MRS SHARMA Ashutosh Mishra

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White जिंदगी की प्रॉब्लम को हैंडल करने का मेरा तरीका

पहले कुछ खा पी लेते हैं फिर देखा जाएगा..

©Andy Mann #हल  Dr Udayver Singh  Sangeet...  Mahesh Patel  MRS SHARMA  Ashutosh Mishra

Ashutosh Mishra

Shrikant Patel

shrikant patel

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happy new year

©Shrikant Patel shrikant patel

खराब अल्फाज

#lovelife Sethi Ji Snehal S Patel Jasmine of December kavita ranjan

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Unsplash जो भी दर्द हैं वो सब हम दर्द हैं 
दर्द के सिवा कोई नहीं हम मर्ज़ हैं 
जो बोलते हैं की हम तुम्हरे साथ हैं 
ज़नाब... वो सबसे पहले भागते 
क्युकि वो नहीं समझते अपना फर्ज़ हैं

©खराब अल्फाज #lovelife  Sethi Ji  Snehal   S Patel  Jasmine of December  kavita ranjan
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