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शुभ'म
सावन में बरसे ला,बरखा....फुहार हो पिया गईले विदेशवा । उनका बिना....मन ना लागे हमार हो, पिया गईले विदेशवा । अरे कारी बदरिया में याद बड़ी आवे, घर सुन बाटे औरी अंगना न भावे, अरे अब....लौटी अईता सजनवा हमार हो, पिया गईले विदेशवा । उनकर उ सुन्दर रूप हमके बड़ी सतावे, रही-रहीके हमरे जियरा के बड़ी तरसावे, अरे सुनता त....का गलती हो ग हमार हो, पिया गईले विदेशवा । संगे चलले चार जनि,उनका साथ में, पिया सुतल रहे देखली त उनका हाथ में, पुछली त....हो गइले लचार हो, पिया गइले विदेशवा । उन्हई में त एगो आस बा, हमरे संगें हमरा सब,उनके पास बा, केहू त....बोला देत सजनवा हमार हो, पिया गईले विदेशवा । माई बाबू संगे गाँव भर खोजे, जउन लईकवा देखी देखी हँसे रोज-रोजे, उन्हऊ के....खोजल हो गईल अपार हो, पिया गईले विदेशवा । -Sp"रूपचन्द्र" भोजपुरी निर्गुण गीत पिया गईले विदेशवा
भोजपुरी निर्गुण गीत पिया गईले विदेशवा
read moreअविरल अनुभूति
तुम्हे सिर्फ मीठा परमात्मा चाहिए, लेकिन वो मीठा और कड़वा दोनों है। निर्गुण, सगुण, परिपूर्ण⚜️🔱 ©अविरल अनुभूति निर्गुण
निर्गुण #Quotes
read moreसुरेश चौधरी
तन बिगाड़ा मन बिगाड़ा रे डूब डूब कर द्वेष गरल में छोड़ अहंकार जी ले प्राणी प्रेम प्रीत सा सहज सरल में पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का तूने मैली की माया मोह से चदरिया आई क्यूं जिंदगानी पर काली बदरिया गुमान तू मत कर पांच तत्व के चोले पर तेरे तन की इक दिन ढह जायगी अटरिया धन दौलत के पीछे भागा पी हाला क्रोध काम रस का पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का माटी के पुतले माटी में मील जायंगे महल मालिया तेरे सब यहीं रह जायंगे सांस सांस बस काम क्रोध धरे रह जायंगे संभल जा प्यारे छोड़ सब प्रभु घर जायंगे कितनी कर ली कमाई इंदु अब पी हरी नाम रस का पी प्राणी कुम्भ राम रस का अजी पी प्याला श्याम रस का ****** निर्गुण भजन
निर्गुण भजन
read more~आचार्य परम्~
क्यों ढूँढता है तू यूँ मुझे दर बदर आंखें बंद करो तो मैं आऊँ नज़र ।। जिसे खुली निगाहें देख नहीं सकती । यहीं कही छिपा है तेरे दिल के अंदर ।। ~*परम् भाग्यम्*~ निर्गुण..... आत्मा
निर्गुण..... आत्मा
read moreAnurag Sanskar
बन्दे चल सोच समझ के क्यों ये जनम गवाय, बार बार ये नर्तन चोला तुझे न मिलने पाय ॥ बचपन बीता आई जवानी खूब चैन से सोया, गुजर गई अनमोल घडी तो देख बुढ़ापा रोया, इस योवन पे नाज तुझे वो मिटटी मैं मिल जाये, बन्दे चल सोच समझ के...... झूठ कपट से जोड़ा तुमने अपना माल खजाना, काम क्रोध मध् लोभ मैं फास कर प्रभु को न पहचाना, मुठ्ठी बांध के आया जग में हाथ पसारे जाए, बन्दे चल सोच समझ के..... ये दुनिया है सराय है मुशाफिर छोड़ इसे है जाना, कोई किसी का नहीं जगत मैं ये तन है बेगाना, उड़जाये पिंजरे का पंछी पिंजरा साथ न जाये, बन्दे चल सोच समझ के....... निर्गुण भजन
निर्गुण भजन
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