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Odysseus
Odysseus
Er.Shivampandit
विज्ञान की खोज से ने बदला दुनिया का सफर, अब ज़मीं पर होता है स्वर्ग सा अधिक नया नज़ार ©Er.Shivam Tiwari #विज्ञानदिवस इस विज्ञान दिवस पर, ये कविता है अर्पण, विज्ञान के लिए जो दिन-रात होते हैं लगातार मेहनत करते रहते उनको सलाम। नींदों से जब तक आ
Abhishek Yadav
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प्रथम संस्कार ******************* हे समस्त पृथ्वी पर समस्त धर्मों के परमत्तव अंशों। आपकी सोच से हर इंसान का प्रथम संस्कार को, अपनी दृष्टि से आपकी अलग-अलग संरचना हैं। ये केवल इस पृथ्वी पर अहम्,वहम और अज्ञान , होने का पुर्ण स्वरूप भी है- आपमें? जानिएगा कैसे? जब से सृष्टि की उत्पत्ति हुई है ,तब से अब तक और आगे भी भविष्य में जब- तक सृष्टि का स्वरूप रहेगा। सभी धर्म के मानव का प्रथम संस्कार लुप्त नहीं होगा। ज्यों का त्यो था भी ?और रहने वाला भी है? आन्तरिक पृवति के रूप में ये और आज जो इसे लुप्त हुआ?मानते होतो आप ? हे परमत्तव अंश ये केवल बाहरी पृवति का मुढ़ भाव है? आपका हमारा संस्कार लुप्त नहीं हो गया /जाता है। क्या है वास्तविक में हमारा प्रथम संस्कार? करुणा और दया के संगम से मिलकर बना हुआ होता है। गर्भजन्म के साथ से ही अंतिम पल तक साथ चलता । ये संस्कार भी इस संसार में हर धर्म में। इस पृथ्वी पर हर धर्म का मानव का यह प्रथम संस्कार है। जिसमें करूणा -पिता का प्रतीक है । और दया- माता प्रतीक है । इसलिए दोनों के संयोग को ही इस समस्त ब्रह्माण्ड में । भगवान का स्वरूप भी कहा जाता है इस संसार में । हर धर्म और हर जाति में ,समस्त पृथ्वी वासियों। अब बताओ आप प्रथम संस्कार लुप्त हुआ है। (हां या नहीं) इस संसार में से आपकी सोच से हे परमत्तव अंश । ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #Reels #viral #HumptyKavya #Ne #Trading #reading
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सबसे पवित्र पृथ्वी पर क्या है ? ******************************* सबसे पवित्र रुप अमृत सागर में से कुछ पवित्रता का अंश मात्र ही होता है। (एक -अनुराग ) समस्त पृथ्वी पर लोककल्याण ज्ञान के लिए । सबसे पवित्र अंश अनुराग रुपी अमृत ही होता है। ना की पुर्ण पवित्र और पुर्ण होता है एक अनुराग। फिर भी एक पवित्रता की संगति का फल मिलता है। इसको इस संसार में ? क्योंकि । अर्जन से बड़ा था ? उसका अनुराग उस काल में ? इसलिए आप इस संसार में ? आप केवल सयंम रखना सिखिएं। अपने दिव्य दृष्टि से धृतराष्ट्ररूपी अज्ञान को लोककल्याण के लिए । इसको बोध करना और करवाना नहीं भुले आप। यदि आपका कोई पवित्र सवाल है। अर्जन जैसा कोई जरुर अपना अनुराग रुपी भाव । जरुर निकल कर दिखाएं। आपका अनुराग रुपी भाव भविष्य में सुरक्षित रहे। समस्त पृथ्वी वासियों और समस्त धर्मों के परमत्तव अंशों के लिए । आपका कोई सवाल है तो कमेंट करते रहिए। यह श्री गीता जी के पांचवें श्लोक का गुप्त रहस्य भाव है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #adventure सबसे पवित्र पृथ्वी पर क्या है ? ******************************* सबसे पवित्र रुप अमृत
Mukesh Poonia
बजरंगी तेरी पूजा से हर काम होता है दर पर तेरे आते ही दूर अज्ञान होता है राम जी के चरणों में ध्यान होता है इनके दर्शन से बिगड़ा हर काम होता है हनुमान जयंती 2023 की हार्दिक शुभकामनाएं . ©Mukesh Poonia #Hanuman #बजरंगी तेरी #पूजा से हर काम होता है दर पर तेरे आते ही दूर #अज्ञान होता है #राम जी के २चरणों में ध्यान होता है इनके दर्शन से #बिगड़ा
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पुरुषार्थ और नारी शक्ति ***************************** इनको समझना सीखिएं हे नारी शक्ति। एक चुंबकीय शक्ति के बारे में सुना है आपको। इसी प्रकार अध्यात्म में कहा गया है यह एक गुण भी है । की नारी शक्ति में भी अनेक प्रकार के , पुरुषार्थ के चुम्बकीय शक्ति गुण भी होते हैं। जिसके बारे में खुद नारी को भी महसूस नहीं होता । इनके बारे में अर्थात नारी शक्ति भी सही प्रकार से, आज तक पुरुषार्थ को सही से खोज ही नहीं पायी है। इस पृथ्वी पर ये क्या होता है ?................. और संसार में नारी शक्ति इन्हीं को केवल ही केवल एक पुरुषार्थ को एकमात्र ऐसा मानती है । ये कोई एक प्रकार शरीर का बल ही होगा। इस प्रकार समझकर ही एक खुद समस्त पृथ्वी की। नारी शक्ति अपने पवित्र गुणों से भी दुर जा रही है। हे नारी शक्ति ऐसा होता तो खुद भगवान भी, आदर भाव इसको ग्रहण नहीं करते हे नारी शक्ति। पुरुषार्थ को ही हृदय में स्थित भगवान भी एक रति प्रतिदिन आदर भाव से इसे ग्रहण करते हैं। और इसी को इन्सान अज्ञान होने से नारी शक्ति पर , आकर्षित होकर पुरुषार्थ नष्ट करता रहता है निरंतर। दोनों के स्वरूप में से लेने वाला एक ही है - एक नष्ट करवाने का प्रतीक माना जाता हैं। और दुसरे में भाव से खुद ग्रहण करने का प्रतीक हैं । इसमें एक पुरूषार्थ को एक वृद्धि प्रतीक माना जाता है। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #New #Trending #viral #rush पुरुषार्थ और नारी शक्ति *****************************