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नरेश कुमार
प्रत्यक्ष आँखों से जो दिखाई दे बिना सोचे समझे उस पर यकीं मत करो बेशक आँखें सच्चाई का आईना होती हैं मगर अधूरे ज्ञान के चलते इस आईने को समझ पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि सूरज भी डूबता दिखाई देता है जब समय और दिशा का सही ज्ञान ना हो ©Naresh kumar #प्रत्यक्षऔरअनुमान #beauty_of_nature
Raunak (Srijan)
कभी कभी हम सरलता से कट रही ज़िंदगी में अनजाने ही कुछ ऐसी घटनाओं के गवाह बन जाते हैं जो हमारी आत्मा पर एक गहरी छाप छोड़ जाती हैं। कुछ दिन पहले अपनी बहन के घर से लौट रहा था। कुछ सोचते-सोचते ट्रेन पर चढ़ा और एक कोने में खड़ा हो गया।इतने में नज़र एक छह-सात साल की बच्ची पर पड़ी। फटे पुराने कपड़े, पैर बिना चप्पल के और बाल बिखरे हुए मगर होंठों पर एक मुस्कुराहट थी। तभी कानों में ढोलक की आवाज़ पड़ी। देखा तो एक तीस-चालीस साल का आदमी बैठा ढोलक बजा रहा है। ढोलक की तर्ज पर वह बच्ची गुलाटियां मारने लगी और गीत गाने लगी। मेरे मन को एक धक्का-सा लगा। मैंने पहले भी ऐसे दृश्य देखे थे पर कभी उनपर चिंतन नहीं किया। खुद को कोसने की पूरी तैयारी कर चुका था कि तब तक ढोलक की ताल तालियों के शोर में बदल गई। अपने मन को तसल्ली तो दे दी कि मैं एकमात्र बुरा इंसान नहीं हूं, मगर आत्मा पर पड़ी यह छाप जीवन भर रहेगी। प्रत्यक्ष
Lata Sharma सखी
मुज्जसिम हूँ मैं, ये बात जान ले तू मेरे सनम, इश्क़ में अपनों से ही पर्दा नहीं किया करते। ©सखी #प्रत्यक्ष #इश्क़
Parasram Arora
एक जगत सामने खड़ा हैँ प्रत्यक्ष और एक जगत मेरे मन के कोने मे सिमटा हुआ हैँ अदृश्य शिथिल विचलित मेरी काया इन दो संसारो के झूले पर झूल रही हैँ युगो से प्रत्यक्ष और अदृश्य जगत
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##कागज जानता है क्योंकि वही प्रत्यक्षदर्शी रहा तुम्हारी कहानियों का#
Dharam Uprari
बोलता बिकास प्रत्यक्ष को प्रणाम क्या ।
Ajay Singh
बसंत नारायण सिंह ग्राम+ पंचायत-अरक प्रखंड-चककी वर्ष 2019-20 मक्का प्रत्यक्षण 1 एकड़
Shruti Gupta
प्रेम प्रत्यक्ष होता है और वेदना, प्रेम के परोक्ष। प्रेम #प्रेम #वेदना #प्रत्यक्ष #yqbaba #YQdidi #bestyqhindiquotes #हिन्दी
amar gupta
प्रेम प्रत्यक्ष होता है और वेदना, प्रेम के परोक्ष। प्रेम #प्रेम #वेदना #प्रत्यक्ष #yqbaba #YQdidi #bestyqhindiquotes #हिन्दी
Mrunali Parkar
अर्धी रात्र उलटून गेली.. पण डोळे अजून मिटले नाहीत.....डोकावून पहिले बाहेर तर चांदण्यांचा प्रकाशही जागाच होता... धुंद मंद वारा बाहेर ये सांगत होता... थोडी दचकत.. दबकत चालू लागले... सुंदर असे तराने काहीशे वाजू लागले.. काहीतरी रुणझुण रुणझुण चालू होती हवेच्या तरंगात... एक चाहूल मला स्वतःकडे खेचू लागली.. पहाते तर काय ते एक स्वप्नचं जणू.. पहाटेचं शूभ्र वारू माझ्यासमोर उभे होते.. स्वप्न नाही मी सत्य आहे हे सांगत होते.. सत्य आहे हे सांगत होते... काही स्वप्ने प्रत्यक्ष सत्यात उतरली कि खूप आनंद होतो..