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New असिस्टेंट प्रोफेसर Quotes, Status, Photo, Video

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Monu Kumar

मैं आपके ( मोनिका असिस्टेंट प्रोफेसर उत्तराखंड) इस अद्वितीय कौशल के लिए हृदय से आभारी हूँ। आपने मेरी अप्रतिम पेंटिंग बनाकर मेरे दिन को मेरे #Life

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Dr Upama Singh

बात अगस्त 2004 की है जब सबने ग्रेजुएशन पूरा कर दिल्ली जाकर सिविल परीक्षाओं की तैयारी करने का प्लान बनाया। घर वालों से बात कर आरोही और बाकी च #yqbaba #yqdidi #restzone #collabwithrestzone #yqrz #rzलेखकसमूह #unique_upama #rztask230

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                अंजान हमसफ़र
                कहानी लेखन
               अनुशीर्षक में    

 बात अगस्त 2004 की है जब सबने ग्रेजुएशन पूरा कर दिल्ली जाकर सिविल परीक्षाओं की तैयारी करने का प्लान बनाया। घर वालों से बात कर आरोही और बाकी च

lalitha sai

मैं हूँ वैशु यानि वैशाली ये शादी के बाद का नाम है वैशाली मैं एक गृहिणी हूँ शादी से पहले नौकरी करती थी टीचर थी मैं आठवीं कक्षा से लेकर दसवीं

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एक हाथ से ताली नहीं बजती..
ये मुहावरा किस हद तक सही है..
कुछ मेरी ही दृष्टिकोण से...
कहने की कोशिश की है..
इस कहानी के जरिए......

Part -1 मैं हूँ वैशु यानि वैशाली
ये शादी के बाद का नाम है वैशाली
मैं एक गृहिणी हूँ
शादी से पहले नौकरी करती थी
टीचर थी मैं आठवीं कक्षा से लेकर दसवीं

Kasim Jung

प्रोफेसर कासिम जंग #Shayari

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प्रोफेसर कासिम जंग

©Kasim Jung प्रोफेसर कासिम जंग

Dr Praveen Kumar Anshuman

मिज़ाज - प्रोफेसर धनंजय जोशी #DailyMessage

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Kajal The Poetry Writer

प्रोफेसर हुं होमवर्क तो दूंगी ही😂 #शायरी

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Nilesh kushwaha

#ये सारे इंजीनियर थे प्रोफेसर बनकर आ गए

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मेरे शिक्षक ये सारे इंजीनियर थे
प्रोफेसर बनकर आ गए,
खुद इंजीनियर न बन पाये 
और हमें बनाने आ गए।  #NojotoQuote #ये सारे इंजीनियर थे प्रोफेसर बनकर आ गए

Vrishali G

आवाज दे के हमे तुम बुलाओ.. फिल्म प्रोफेसर #शायरी

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kishan mahant

# प्रोफेसर अपने स्टूडेंट के उपर भरोसा करते हैं #अनुभव

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एक स्टूडेंट प्रोफेसर से कहता है आप मेरी इतनी मदद क्यों कर रहे है प्रोफेसर बोले कई बार वहीं लोग जिन्हें कुछ काबिल नहीं समझते वो लोग कुछ ऐसा कर जाते है जो कोई ना कर सके # प्रोफेसर अपने स्टूडेंट के उपर भरोसा करते हैं

Mahendra Bandhu

संस्कृत विद्या धर्म संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर नियुक्ति विवाद

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बात को समझिये फ़िर तर्क कुतर्क करिये

 रसखान रहीम के इस देश में ये कैसा कुतर्क है कि मुस्लिम संस्कृत नहीं पढ़ा सकता.? संस्कृत जैसे विषय में जहां एकेडमिक करियर का स्कोप बेहद छोटा होता है, वहां कोई मुस्लिम आखिर बिना संस्कृत में रुचि के संस्कृत इस स्तर तक क्यों पढ़ेगा कि वो प्रोफेसर हो सके.? और अगर किसी व्यक्ति में इतना समर्पण है तो ये क्या मायने रखता है कि व्यक्ति का धर्म क्या है.? 

कई हिन्दू अलग अलग जगहों पर अरबी, उर्दू, फारसी के टीचर हैं और कई मुस्लिम संस्कृत पढ़ा रहे हैं.!

B H U  छात्र मुस्लिम प्रोफेसर के संस्कृत पढ़ाने का विरोध नही कर है। 

दरअसल, BHU में किसी भी दूसरी यूनिवर्सिटी की तरह एक संस्कृत का विभाग है। लेकिन महामना के इस विद्या केंद्र में बाकी विश्वविद्यालयों से अलग एक अतिरिक्त संस्कृत धर्म विज्ञान संकाय है। फिरोज खान की नियुक्ति संस्कृत विभाग में नहीं धर्म विज्ञान संकाय में हुई है। धर्म विज्ञान संकाय वो विभाग है जहां मुख्यतः संस्कृत भाषा की पढ़ाई नहीं, वैदिक कर्मकाण्ड और पूजा पद्धति का प्रशिक्षण होता है। सरल भाषा में - धर्म विज्ञान संकाय में पुजारी, पुरोहित, धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण होता है। छात्रों का कहना है कि संस्कृत भाषा कोई भी व्यक्ति पढ़ा सकता है, लेकिन धर्मगुरु बनने का प्रशिक्षण वो कैसे दे सकता है जो खुद उस धर्म का है ही नहीं.!! अरबी, फारसी कोई हिन्दू मुस्लिम ईसाई पढ़ा सकता है, लेकिन मौलवी, काज़ी बनने नमाज़ पढ़ने की ट्रेनिंग वो कैसे देगा जो खुद एक बार भी नमाज़ अदा न करता हो.! जैसे कि बैपटाइजेशन‌ करने की ट्रेनिंग कोई हिन्दू बौद्ध जैन गुरु नहीं दे सकता भले ही वो खुद कितना भी जानकार क्यों न हो.!! 

छात्रों का तर्क है कि सेना में सभी धर्मो के धर्मगुरुओं की पोस्ट निकलती है और किसी धर्म के धर्मगुरु की पोस्ट के लिए उसी धर्म का अनुयाई ही आवेदन कर सकता है। इसमें आपत्ति का क्या विषय है।
लिहाजा फिरोज़ खान को धर्म विज्ञान विभाग की जगह संस्कृत विभाग में अपॉइंटमेंट दे दिया जाए जहां वो संस्कृत पढ़ाएं। 

ये छात्रों के तर्क हैं। 
आप इस तर्क से भी इनकार नहीं कर सकते कि 
 विचारधारा  बुद्धि और हृदय  संचालित होती है।  धार्मिक विचारधारा को कोई ऐसा व्यक्ति जो स्वयं  किसी और विचारधारा का मानने वाला हो वह कैसे उसकी दीक्षा दे सकता है?
निष्कर्ष आप निकाल सकते हैं। लेकिन निष्कर्ष निकालते समय धैर्य आवश्यक है। 

संस्कृत में धैर्य और धर्म एक ही 'धारण' क्रिया से बने हैं। धर्म की व्युत्पत्ति है- "धार्यते इति धर्मः"। अर्थात् जो धारण करे वो धर्म है। इसलिए धैर्य हर जगह आवश्यक है, लेकिन धर्म के विषय में धैर्य विशेष आवश्यक है.! संस्कृत विद्या धर्म संकाय में मुस्लिम प्रोफेसर नियुक्ति विवाद
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