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नवनीत ठाकुर
इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, वरना हर नींद में थी सोई कहानी अपनी। चाहतें छोड़ के कुछ दर्द समेटे हमने, ये अमानत भी तो थी जान से प्यारी अपनी। कौन समझेगा ये अफ़साना-ए-ग़म का मंज़र, जब भी रोए हैं तो बस याद थी जवानी अपनी। जिनसे उम्मीद थी वो दूर नज़र आए हमें, छोड़ बैठे हैं वही राहगुज़ारी अपनी। हमने चाहा था जिसे, उसने भुला डाला हमें, और दुनिया से छुपा ली नज़्म सारी अपनी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व
#नवनीतठाकुर इक सदी तक तो तमन्ना का सफ़र चलता रहा ओ नवनीत, फिर मुक़द्दर ने लिखी आख़िरी निशानी अपनी। ख़्वाब टूटे तो लगा जाग उठी है दुनिया, व
read moreSarfraj Alam Shayri
Unsplash मतलब के लिए याद करती हैं दुनियां यकीन करो ये वादे कसमें सब झूठे होते है...!! ©Sarfraj Alam Shayri #leafbook मतलब के लिए याद करती हैं दुनियां यकीन करो ये वादे कसमें सब झूठे होते है...!!
#leafbook मतलब के लिए याद करती हैं दुनियां यकीन करो ये वादे कसमें सब झूठे होते है...!!
read moreF M POETRY
Unsplash थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने.. आती है मुसलसल तुम्हारे हाथ कि खुश्बू.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने...
#थामा था एक पल को तेरे हाथ को हमने...
read moreSANTU KUMAR
White एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. ❤️❤️🙏🙏❤️❤️ ©SANTU KUMAR #love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤
#love_shayari एक तुम ही तो जानती थी मुझे, मुस्कराने पर भी पूछ लेती थी "क्यों उदास हो?.. 🖤
read moreSuneel Nohara
हमने कोशिशे हजार की, के हम उन्हें रास्ता दिखा पाये। उन्होंने करली बंद आखें, तो बता नोहरा क्या करते? ©Suneel Nohara हमने कोशिशे हजार की, अदनासा- Anupriya Lalit Saxena Sethi Ji Anshu writer
हमने कोशिशे हजार की, अदनासा- Anupriya Lalit Saxena Sethi Ji Anshu writer
read moreनवनीत ठाकुर
ज़ुबां कहे भी तो किसे सुनाए ग़म, जिस दिल ने जिया है, वही समझे कम। बेनिशान थी आरज़ू, मगर गहरी छाप छोड़ गई, ज़ुबां खामोश रही, मगर दास्तां बोल गई। दिल के अंदर एक कहानी दबी थी, जो न कह सका, वो नरगिस ने सुनाई थी। गहरी छाप थी मोहब्बत की, वक़्त ने छोड़ दी, ज़ुबां की खामोशी में सच्चाई खोल दी। दर्द को छिपाकर, दिल ने उसे सहा, जिसे कह न सका, वही आह में बहा। मौन की गहराई में, दिल की आवाज़ पाई, जो अल्फ़ाज़ न थे, वो खामोशी ने जताई। ©नवनीत ठाकुर #जुबां खामोश थी
#जुबां खामोश थी
read moreF M POETRY
White दर-ब-दर ठोंकरें खाएंगे तेरे प्यार में हम.. हमने सोचा भी न था तूने बताया भी न था.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #हमने सोचा भी न था...
#हमने सोचा भी न था...
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