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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
चौपाई छन्द , चित्र-चिंतन काशी के हैं घाट निराले । भक्त सभी है डेरा डाले ।। माँ गंगा की करें आरती । होती खुश हैं मातु भारती ।। भोले बाबा की यह नगरी । गलियां मिलती टेढ़ी सकरी ।। बम-बम बम-बम होती काशी । हरते दुख सबके अविनाशी ।। यह तन है मिट्टी की काया । इसकी बस कुछ दिन की छाया ।। आज मान लो मेरी बातें । होगी जगमग तेरी रातें ।। माँ गंगा में ध्यान लगाओ । भव से सभी पार हो जाओ ।। यह तन माया की है गठरी । हाथ न आये बिल्कुल ठठरी ।। पाप सभी गंगा धुल आये । फिर भी मन में पाप छुपाये ।। पाप नाशिनी होती गंगा । मारा डुबकी मन है चंगा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR चौपाई छन्द , चित्र-चिंतन काशी के हैं घाट निराले । भक्त सभी है डेरा डाले ।। माँ गंगा की करें आरती । होती खुश हैं मातु भारती ।। भोले बाबा क
Rohit singh
........ . ©Rohit singh " मुझे नहीं पता की.... ज़िंदगी घाट रही है... या... बाढ़ रहीं हैं...... मुझे तो जीना था... फिल्हाल... कट... रही है...!! #रोhitsingh #shayar
writer_Suraj Pandit
White शमशान घाट पर लिखा था .... मंज़िल तो तेरी यही थी बंदे , उम्र गुजर गई आते-आते । क्या पाया इस दुनिया में , अपनों ने ही जला दिया जाते-जाते । ©writer_Suraj Pandit #lonely_quotes शमशान घाट m raj. g Brajraj Singh Lovely rasmi sana naaz
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी सफर है जिंदगी,मंजिले तय करना है राह में जो हमराही बने उसे गंतव्य बनाना है रेगिस्तानी जहाज ही सही जहाँ उपलब्ध्ता जैसी मिले उसे मील का पत्थर बनाना है रोटी रोजगार के फेर में पानी घाट घाट का पीना पड़ता है दुरियाँ हो या नजदीकिया किस्मत सबको अजमाना पड़ता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sad_shayari पानी घाट घाट का पीना पड़ता है #nojotohindi
Ravendra
INDIA CORE NEWS
theunnamedpoet99
तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना। ©theunnamedpoet99 तुम बनारस सा इश्क तो दिखाना अगर मैं गंगा घाट ना हो जाऊं तो फिर कहना।
DM
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Jai Shri Ram मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले तू प्रभु नाम , थामे तेरा हाथ हैं । पग-पग देख तेरे , चलते है नाथ मेरे , कहीं भी अकेला नहीं, वही तेरे साथ हैं । वही कण-कण में हैं , वही तेरे प्रण में हैं, जान ले तू आज उन्हें , वही प्राण नाथ हैं ।।-१ वही राधा कृष्ण अब , वही सिया राम अब , वही सबके कष्टों का , करते उतार हैं । कहीं नहीं आप जाओ , मन में उन्हें बिठाओ, मन के ही मंदिर से , करते उद्धार हैं । भजो आप आठों याम , राम-सिया राधेश्याम, सुनकर पुकार वो , आते नित द्वार हैं, असुवन की धार वे , है रोये बार-बार वे , देख-देख भक्त पीर , आये वे संसार हैं ।।२ १४/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी:- भूल जाओ सारी व्यथा , याद रखो हरि कथा , पार उस घाट देखो , खड़े दीनानाथ हैं । छोड़ो यह मोह माया , मिट्टी की है यह काया , भज ले