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Kartik Richhariya

पिता एक सीख -कार्तिक रिछारिया

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Kartik Richhariya

#हो जाने दे #कार्तिक रिछारिया #कविता

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किंचित तूं भयभीत न हो जो होता है हो जाने दे
बोने दो विष के बीज उन्हें,तृष्णा बाहर आ जाने दे
मत तड़पा तू अपना तन मन,ईर्ष्या द्वेष है उनका धन
इस देह को शीतल करके तूँ, क्षण भर  इसको सो जाने दे
हर बात बात हर इक क्षण में क्रोधित होना अच्छा है नहीं
उनके मन में तो सिंचित हैं वो बीज द्वेष का यहीं कहीं
हर दिन प्रतिदिन ये कलह मचत,इसको समाप्त हो जाने दे
माना कि विकट परिस्थिति ये और विकट इर्ष्या छाई है
लेकिन ये कैसा काल जाल जो तेरी मति अकुलाई है
थोड़ा धीरज धारण करके,विकराल काल को जाने दे
किंचित तूं भयभीत न हो जो होता है हो जाने दे
©कार्तिक रिछारिया #हो जाने दे
        #कार्तिक रिछारिया

Kartik Richhariya

#spoil comfort zone -कार्तिक रिछारिया #कविता

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मुझे उस आरामदेह जगह से बाहर आना हैI
सफलता के मार्ग पर चलते जाना है।
कह दो उन आरामों से कि हम तुम्हें त्याग चुके हैं।
क्योंकि मेरी असफलता के बीच तू ही तो एक बहाना है।
अब जाओ मैंने तुम्हें त्यागा है,मुझे अपना रास्ता खुद बनाना है।
कार्तिक रिछारिया #spoil comfort zone 
       -कार्तिक रिछारिया

Kartik Richhariya

#भारत एक ताकत -कार्तिक रिछारिया #कविता

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भारत एक ताकत
आज किसी से कम है क्या चौथी ताकत भारत है।
विश्व पटल पर बोला जिसका डंका वो भी भारत है।
आज हिन्द है विश्व गुरु की सीमा को छूने वाला
जल्द बनेगा विश्व गुरु कर देगा सबका मुँह काला
विश्व गुरु से बनेगा सोने की चिड़िया वो भारत है।
आज किसी से कम है क्या चौथी ताकत भारत है
©कार्तिक रिछारिया #भारत एक ताकत 
       -कार्तिक रिछारिया

Kartik Richhariya

#पिता एक सीख -कार्तिक रिछारिया #कविता

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काश तूने उसकी कही बातो को समझा होता
आज तू इस खाई में नही
वरन उचाईयों को छू रहा होता 
कोई शौक नहीं था उसको तुझे समझाने का।
आज दुनिया भी सलाम करती 
यदि तू उसे परख चुका होता।
©कार्तिक रिछारिया #पिता एक सीख 
       -कार्तिक रिछारिया

Kartik Richhariya

#संकट #कोरोना written by #कार्तिक रिछारिया #कविता

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विश्वव्यापी संकट की तस्वीर को छोटा मत समझो
ये संकट फैला जैसे "विष", तुम इसको छोटा मत समझो
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण कोई राह नहीं कोई राह नहीं
इस संकट की व्यापकता की कोई थाह नहीं कोई थाह नहीं
विकराल विशाल व्याधि है,जिसने ये दुनियां बांधी है
विश्वव्यापी संकट ये और विश्वव्यापी आंधी है
अपने अधीन अपने वश में,मानव जाति को बांधा है
मानव जाति की पतित अवस्था का संकट भी ज्यादा है
क्यों नहीं मानते, पढ़ लिख कर, तुम अपनी गलती को समझो
विज्ञान भी इससे हारा है विज्ञान की भाषा तो समझो
विश्वव्यापी संकट की तस्वीर को छोटा मत समझो
©कार्तिक रिछारिया #संकट #कोरोना 
    written by #कार्तिक रिछारिया

Kartik Richhariya

#नारी का अस्तित्वकार्तिक रिछारियाpoetry on womens Happy womens day #कविता

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आज सोचता हूं ये कि नारी बिन कैसे होते हम
होने की बात तो छोड़ ही दो
नारी न होती ,न होते हम
नारी न होती तो जग में पसरा होता भीषण मातम
जो खुशियां होती है जग में नारी की ही तो देन है ये
संसार में देश की ऊंचाई नारी की ही तो देन है ये
सम्मान करो उस नारी का जिसके कारण तुम भू पर हो
प्रधान मंत्री भी जिसके प्रति सम्मान के खातिर तत्पर हो
नारी जीवन को रक्षित कर दृढ़ रख सकते जीवन का क्रम
नारी बिन जीवन संभव है,तुम छोड़ दो ये है भीषण भ्रम
नारी ने ही तो विश्व पटल पर फहराया शक्ति  परचम
आज सोचता हूं ये कि नारी बिन कैसे होते हम
होने की बात तो छोड़ ही दो
नारी न होती,न होते हम
©कार्तिक रिछारिया #नारी का अस्तित्व#कार्तिक रिछारिया#poetry on womens
                     Happy womens day

Kartik Richhariya

#भारत एक ताकत -कार्तिक रिछारिया आज #किसी सेकमहै क्या चौथी #ताकत #भारत है।।

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Kartik Richhariya

#एक संदेश #जा के हिन्द की सीमा पर वो बंदूक उठाते है।#कोई भय नहीं है मस्तक पर हंसते हंसते मर जाते हैं। -कार्तिक रिछारिया #कविता

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जा के हिन्द की सीमा पर वो बंदूक उठाते है
कोई भय नही है मस्तक पर हंसते हंसते मर जाते हैं
अब रोको न उन वीरों को जो चल बसते हैं सीमा पर
गर दुश्मन कुछ बढ बोल रहा तू खोंप दे खंजर सीना पर
ये देश हमारा है और संदेश हमारा है।यदि बोले हमसे बढ़ चढ़कर  तुम रहोगे न इस नक्शे पर।
       जय हिंद।जय भारत
©कार्तिक रिछारिया #एक संदेश 
#जा के हिन्द की सीमा पर #वो बंदूक उठाते है।#कोई भय नहीं है मस्तक पर #हंसते हंसते मर जाते हैं।
             -कार्तिक रिछारिया
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