Nojoto: Largest Storytelling Platform

New सुवालका समाज क्या है Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about सुवालका समाज क्या है from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, सुवालका समाज क्या है.

अंशिवा

#HeartfeltMessage # प्रेम क्या है...?

read more

SHAILESH TIWARI

# हुस्न क्या है

read more
White हुस्न क्या है बुलबुला है
मुझे तेरी रूह से प्यार है
ये कागज़ के ग्रीटिंग कार्ड
तो सब देते है
मेरे हाथों मे मेरा दिल आज है
...
तोड़ना , सहेजना
चाहत है,
अब तेरी
अब दिल जो लग गया
लग गया ,
सो लग गया

©SHAILESH TIWARI # हुस्न क्या है

Ruhi

ज़रूरी है क्या ?? #Thinking

read more
White जरुरी है क्या हर सफ़र पे चलना।
सिर्फ़ एक रास्ता काफ़ी नही क्या।।

कभी कभी बेमौसम बरसात भी होता है।
हर मौसम का रंगीन होना ज़रूरी है क्या।।

कभी दूरियों में भी प्यार दिखाया करो।
हर बार मिल कर बताना ज़रूरी है क्या।।

कभी आंखों में आंसू होना भी सही है।
हर दिन मुस्कुराता जाए ये जरुरी है क्या।।

कुछ ख्वाबों का अधूरा रहना भी सही है।
हर सपनों का पूरा होना ज़रूरी है क्या।।

फरिश्ता बन कर हज़ार ख़्वाब दिखाकर।
झूठे वादे करना ज़रूरी है क्या।।

रिश्तेदारी तो सब जानते हैं।
ये बताओ सबको अपना कहना जरुरी है क्या।।

बरसों पहले जो आइना टूटा था।
आज वापस जुड़ने लगे तो मुश्किल है क्या।।

तुमने तो मोहब्बत का अंजाम देखा है।
ये बताओ दोबारा इश्क़ करना सही है क्या।।

©Ruhi  ज़रूरी है क्या  ??   #Thinking

Shekhar Yadav

प्रेम क्या है?..

read more
shekhar yadav

©Shekhar Yadav प्रेम क्या है?..

Shekhar Yadav

विज्ञान क्या है?

read more
shekhar yadav

©Shekhar Yadav विज्ञान क्या है?

Praveen Jain "पल्लव"

समाज को अफीम चटाने का प्रयास कर रही है #nojotohindi

read more
पल्लव की डायरी
नैतिकता हुयी शर्मशार
प्यादों की तरह जनता छल रही है
समीकरणों के बल पर
सियासतें चल पड़ी है
कौमो की एकता को घायल कर रही है
आधारभूत सुविधाओं को मेट कर
रेवड़ी कल्चर विकसित कर रही है
अध्ययन ज्ञान हुनर सब को दरकिनार कर
मुंडो को गिनकर  राजनीत कर रही है
धर्म के नाम पर फुसलाकर
समाज को अफीम चटाने का प्रयास कर रही है
                                                 प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" समाज को अफीम चटाने का प्रयास कर रही है
#nojotohindi

Praveen Jain "पल्लव"

#justice अराजकता समाज मे घुसपैठ करी जाती है

read more
पल्लव की डायरी
बढ़ता अपराध और अपराधीकरण
व्यवस्था सब चरमराती है
शोषण की मार चहुँ और पड़ती
अराजकता समाजो में घुसपैठ कर जाती है
भूख भय और भ्र्ष्टाचार से जनता तड़पती
माफियाओ की तूती बोलती रहती
टेरर टेक्स वसूला जाता है
सफेदपोश हिमायती बनते इनके
सरकारी खजाने तक राजस्व पहुँच नही पाते है
चोरी का दोष जनता को दे कर
सरकारे मनमानी टेक्सो को बढाने में दिखाती है
                                                 प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #justice अराजकता समाज मे घुसपैठ करी जाती है

शुभम द्विवेदी

#rayofhopeजीना क्या है

read more
जीना क्या है? कल किसी दार्शनिक की भांति 
एक मित्र ने जिज्ञासा जाहिर की 
मैं असमंजस में पड़ गया 
क्या जवाब दूँ 
सहसा मेरे अंतर्मन से जवाब आया कि 

नफरतों की बाज़ार में 
मोहब्बत की दुकान हो 
कोई निर्धन या धनवान हो 
पूरे सभी के अरमान हों

बूढा या जवान हो 
राजा या प्रजा हो 
सबका का अपना 
झोपडी या मकाँ हो।

साक्षर हो या निरक्षर 
विरोधी हो या पक्षधर 
 बराबर सम्मान हो 
 ख़ुद पे न गुमान हो।

अंत में मैंने कहा 
यही तो जिंदगी है 
अहा!अहा!अहा!
वह बोला वाह!!!

©शुभम द्विवेदी #rayofhopeजीना क्या है

पूर्वार्थ

#समाज

read more
White आधुनिक समाज का सच

आज के इस आधुनिक युग में, देखो कैसा हाल हुआ,
रिश्तों का मोल घटा, हर रिश्ता बस सवाल हुआ।
दिल के बंधन अब कमजोर, स्वार्थ की दीवारें ऊँची,
भावनाएँ रह गईं पीछे, आगे दौड़ी इच्छाएँ दूषित।

रिश्ते अब खेल बन गए, बस पल भर की बात,
जहाँ प्यार की गहराई थी, वहाँ दिखावा है रात।
दिखावे की इस दुनिया में, सच्चाई गुमनाम हुई,
दिलों के जुड़ने की जगह, बस सौदे की बात हुई।

शादियाँ अब तमाशा हैं, बस एक आयोजन भव्य,
जहाँ सादगी थी पहले, अब दिखावे का पर्व।
सात फेरे, सात वचन, अब रस्में बन गईं,
जहाँ प्रेम था कभी गहरा, वहाँ रिवाजें सिमट गईं।

तलाक अब मजाक है, बंधन को तोड़ना आसान,
जहाँ समझौता था पहले, अब बस अभिमान।
साथ चलने की जगह, अलग राहें चुन ली जातीं,
प्यार की जगह नफरत, हर रिश्ते को खा जाती।

प्रोग्रेसिव इस समाज का, ये कैसा सच है भाई,
जहाँ रिश्तों की कीमत नहीं, बस स्वार्थ की भरपाई।
कहाँ गए वो दिन पुराने, जहाँ प्रेम था आधार,
आज तो सब बन गया है, बस एक व्यापार।

सोचो, समझो, और बदलो, रिश्तों को मोल दो,
जहाँ दिलों की बातें हों, वहाँ मत स्वार्थ जोड़ो।
इस आधुनिकता में कहीं, रिश्तों का सम्मान न खो दो,
वरना ये समाज एक दिन, बस खाली नाम रह जाएगा।

©पूर्वार्थ #समाज

हिमांशु Kulshreshtha

क्या रिश्ता है..

read more
नहीं जानता क्या रिश्ता है
मेरी रूह से तुम्हारी रूह का
जो भी है ये, मगर खूब है
ये अधूरा सा रिश्ता हमारा
तन के रिश्ते,
ना थे पहचान कभी
मेरे इश्क की….
रूहों के मिलन से से होगा नायाब
ये अधूरा सा रिश्ता हमारा

©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile