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manoj kumar jha"Manu"
हे अर्जुन! तमोगुण के बढ़ने पर अंतः करण और इंद्रियों में अप्रकाश,कर्तव्य कर्मों में अप्रवृत्ति और प्रमाद अर्थात व्यर्थ चेष्टा और निद्रादि अन्तःकरण की मोहनी वृतियाँ यह सब भी उत्पन्न होते हैं। श्रीमद्भगवतगीता १४/१३ तामसी लक्षण
manoj kumar jha"Manu"
जो सुख भोग काल में तथा परिणाम में भी आत्मा (मन) को मोहित करने वाला है वह निद्रा, आलस्य और प्रमाद से उत्पन्न सुख तामस कहा गया है। श्रीमद्भगवतगीता १८/३९ तामसी =राक्षसी
manoj kumar jha"Manu"
हे अर्जुन! जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को भी "यह धर्म है"ऐसा मान लेती है तथा संपूर्ण पदार्थों को भी विपरीत मान लेती है वह बुद्धि तामसी है।। श्रीमद्भगवतगीता १८/३२ तामसी बुद्धि
manoj kumar jha"Manu"
आहार ही प्राणियों को नया बल और देह धारण करने की शक्ति देता है। आहार से ही आयु, तेज, उत्साह, स्मृति, ओज तथा शरीराग्नि की वृद्धि होती है। - आयुर्वेद शुद्ध आहार आवश्यक है
Parasram Arora
विरह का तामसी रंग ज़ब तक राजसी नहीं बनता तब तक वो सुर्ख नहीं हो पायेगा कालिदास का मेघदूत भी विरह. मे व्याकुल होकर अपने चेहरे की कांती से हाथ धो बैठा है सघन विरह क़े घनत्व वाले दिनों मे प्रेम भूखे लकड़बग्घों की तरह सब कुछ खा जाता है और अपने इर्द गिर्द फैले अंधकार को बाहों मे भींच कर एक खूंखार सी कराह को जन्म देकर खुदकशी की राह पर अपने कदम बड़ा लेता है ©Parasram Arora # विरह का तामसी रंग
Saurav Dangi
जो हम खाते हैं, वह हम, बन जाता है, ज्यादा खाते हैं, तो हम वह,बन जाते हैं.. इसीलिए जितना हो सके निर्धारित कर निरंतर,हल्का,सुपाच्य और सात्विक आहार ही ग्रहण करें... saurabh #आहार
Rajeswari Rath
आहार तीन(3) प्रकार के होते है-सात्विक,राजसिक और तामसिक ।आहार से ही आचरण और प्रवृत्ति को आकार मिलता है। आहार
Âñmôĺ Jâiñ
आदि को हो गये आहार, झूम उठा सारा संसार! देवों ने हीरे मोती पुष्प बरसाएं, मानव ने जयकारे लगाए, जय हो आदि रटते-रटते, राजा श्रेयांश में आहार कराएं!, चिड़िया चहक ने लगी, प्रभु की भक्ति में बहक ने लगी! आकाश में दिव्य ध्वनियां बजी, पूरी सृष्टि महक ने लगी!! अक्षय तृतीय का पावन दिन बन गया, जब प्रभु ने एक वर्ष बाद आहार किए! धन्य धन्य है वो राजा, जिसने पहली बार भगवान को आहार दिए!! आदि को हो गये आहार, झूम उठा सारा संसार! -अनमोल जैन !!अक्षय तृतीय की अनेकानेक शुभकामनाएं!! !! हो गये आहार!!
manoj kumar jha"Manu"
राजस आहार कड़वे, खट्टे, नमकयुक्त, बहुत गरम, तीखे, रूखे, जलन उत्पन्न करने वाले और दुःख, चिन्ता तथा रोगों को उत्पन्न करने वाले आहार अर्थात भोजन करने के पदार्थ राजस व्यक्तियों को प्रिय होते हैं। - श्रीमद्भगवद्गीता अ०१७/९ #गीता_ज्ञान राजस आहार