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Stories related to organisational rights

Saket Ranjan Shukla

वो बेगाना था कोई..! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .

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White वो बेगाना था कोई

आख़िरी दफ़ा सोचा उसे और मुस्कुरा दिया उसे सोचकर,
ख़त लिखा नाम उसके और छिपा दिया डायरी में मोड़कर,

ढलक गए कुछ अश्क़ आँखों के कोरों से बिना इजाज़त के,
क़ामिल हुईं दिल में चंद पुरानी यादें, दिली सतहें खरोंचकर,

वो भी क्या दिन थे जब दिल उसका लगता था नहीं मेरे बगैर,
आज वो जाते जाते चला गया, चला गया मुझे तन्हा छोड़कर,

बाँधी थी सारी उम्मीदें उससे, कई ख़्वाब उसी के लिए बुने मैंने,
उजाड़ गया हर ख़्वाबगाह वो, बिखेर गया सभी सपने तोड़कर,

जिसे अपनी यादों पर भी मेरा हक़ नहीं है अब गवारा “साकेत",
करता भी क्या आख़िर, क्या करता मैं उस बेगाने को रोककर।

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©Saket Ranjan Shukla वो बेगाना था कोई..!
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✍🏻Saket Ranjan Shukla
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Saket Ranjan Shukla

वसंत पंचमी, सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं..! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .

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वसंत पंचमी, सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं 

अज्ञानता हर कर मेरी, मुझे तू आत्मज्ञान से भर दे,
वर दे हे माँ शारदे, मुझ अबोध को सुविद्या का वर दे,
दे दे स्थान निज बालक को अपनी करुणामयी गोद में,
आशीष का कर कमल तू अपना, मस्तक पर मेरे धर दे,

ये मृत्युलोक हे माता, माया ग्रसित अंधकारलीन नगरी है,
हर ओर पलता है कपट, हर दूजे के कंधे पाखंड की गठरी है,
क्रोध, लोभ और अहंकार आदि दुर्व्यवहारों से अंतर्मन त्रस्त है,
ऐसे में तेरे मार्गदर्शन के सहारे ही हे माँ, बनती सबकी बिगड़ी है,

परंतु कभी-कभी, कठिनाइयों से पस्त होकर लड़खड़ाने लगता हूँ
स्वयं से हो संतप्त, स्वयं को कई कठिनाइयों में उलझाने लगता हूँ,
करने जाता हूँ कुछ भला और जब होने सब कुछ ही गलत लगता है,
तब हे माँ हंसवाहिनी! तुझे स्मरण करते ही सुमार्ग पर आने लगता हूँ,

हर लेती है सारी चिंताएं और मुझमें साहस सहित विवेक भर देती है,
अपने शरणार्थियों की हे माता तू सारे मानसिक तनाव भी हर लेती है,
सुबुद्धि और आत्मज्ञान के संग सहजता और विनम्रता का भी वर दे माँ,
जगव्याप्त है तेरी महिमा माँ कि तू निज बालकों को मनचाहा वर देती है,

मंत्रोच्चारण का भान नहीं, जो कुछ आता है श्रद्धावश सम्मुख तेरे गाता हूँ,
भजन कीर्तन का भी तो ज्ञान नहीं, मन ही मन तेरी अनुकंपा गुनगुनाता हूँ,
करना क्षमा, हे विद्यादायिनी माँ, मैं भी मूढ़ अल्पज्ञानी बालक हूँ तुम्हारा ही,
रखना बनाए कृपादृष्टि अपनी, हे माँ सरस्वती, करबद्ध शीष तुझे नवाता हूँ।

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©Saket Ranjan Shukla वसंत पंचमी, सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं..!
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✍🏻Saket Ranjan Shukla
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Saket Ranjan Shukla

76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pe

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76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 

स्वतंत्रता के बाद की अगणित अव्यवस्थाएँ सुलझाने को,
भारतवर्ष के जन-जन को, समान स्वाधीनता दिलवाने को,
परस्पर प्रेम, सौहार्द और सामंजस्यता का भाव जगाने को,
खंड-खंड में बँटी हमारी मातृभूमि को पुनः सशक्त बनाने को,

रियासती व मनसबदारी रीतियों से, निजात पाना जरूरी था,
सांप्रदायिकता भुलाकर, सर्व-धर्म समभाव आना जरूरी था,
शासक और प्रजाजन के बीच के भेद को मिटाना जरूरी था,
सबका हो सम्मान समान, ऐसा गणराज्य बनाना जरूरी था,

फिर भारतीय जनमानस की एक अनूठी आस प्रतिफलित हुई,
सन् 1946 के त्रासदीग्रस्त हिंदुस्तान में, एक सुघटना घटित हुई,
डॉ० राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में संविधान सभा जो गठित हुई,
प्रारूप समिति अध्यक्ष डॉ० भीमराव अंबेडकरजी से सज्जित हुई,

सरदार पटेल व 299 सदस्यों को, लोकतंत्र रचने का सम्मान मिला,
भारत के भविष्य को गढ़ने और सँवारने, सँभालने का कमान मिला,
दो साल ग्यारह महीनों एवं कई बैठकों का अंततः यह परिणाम मिला,
स्वतंत्र भारतीयों को 26 जनवरी 1950 में संविधान का वरदान मिला,

आइए हम सब लोकतांत्रिक भारत में गणतंत्रता का ये महापर्व मनाते हैं,
राष्ट्रध्वज समक्ष राष्ट्रगान गाते हुए, जय हिंद, वंदे मातरम के नारे लगाते हैंl

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©Saket Ranjan Shukla 76वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.!
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✍🏻Saket Ranjan Shukla
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Saket Ranjan Shukla

पहचाने जा रहे हो अब.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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Unsplash पहचाने जा रहे हो अब 

और किन-किनको मेरी गलतियाँ गिनाने जा रहे हो,
कितनों की नज़र में, मुझे मुज़रिम बनाने जा रहे हों,
नकाब तेरी शराफ़त का जो उतर गया है सरेआम यूँ,
मासूम सी शक्लें न बनाओ, साफ़ पहचाने जा रहे हो.!

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©Saket Ranjan Shukla पहचाने जा रहे हो अब.!
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Saket Ranjan Shukla

🙏🏻 उत्तरायण व मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻 . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Fol

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उत्तरायण व मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं

कोहरे में ढँकी सी कंपकंपाती हुई शीत ऋतु की भोर है,
ओस की जमी सी चादर ओढ़े प्रकृति सजी चहुँ ओर है,

सुस्ताए से हैं सब पशु-पक्षी, किरणों की बाट जोह रहे हैं, 
दिनकर भी अलसाये से मद्धिम तेज से सबको मोह रहे हैं,

धनु राशि से निकल, जो भानु मकर राशि में प्रविष्ट हो गए,
उत्तरायण से हो उदित मार्तंड, अतिशुभ और विशिष्ट हो गए,

नई कृषि का आरंभ होगा, खेत खलिहान नए हो लहलहाएँगे,
खरीफ की फसल जो घर आई, उसका भी हम लुत्फ़ उठाएँगे,

न हो यदि महाकुंभ स्नान तो उसका स्मरण तो अवश्य कर लेंगे,
करके स्नान-ध्यान प्रथम पहर में, यथासँभव दान-पुण्य कर लेंगे,

तत्पश्चात् दही-चूड़ा, तिलवा-तिलकुट, घेवर, तिल की मिठाइयाँ,
और अनरसा खाकर मनाएँगे मकर संक्रांति और बाँटेंगे बधाइयाँ,

होके फिर निवृत्त हर काज से, चलिए नभ को पतंगों से सजाते हैं,
खाते पीते हर्षोल्लास से मकर संक्रांति का ये हम त्यौहार मनाते हैं।

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©Saket Ranjan Shukla 🙏🏻 उत्तरायण व मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻
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Saket Ranjan Shukla

ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला..! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_stren

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White ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला

सुकुन होती मयस्सर तो गमजदा फसाने क्यों ढूँढता भला,
दे देते जो ये लब साथ, ख़ामोशी के तराने क्यों ढूँढता भला,

रख पाता जो मशग़ूल ख़ुदको कहीं और उसके जाने के बाद,
ज़माने के साथ चलता मैं, तन्हाई से याराने क्यों ढूँढता भला,

क्यों मिटाता फिरता किसीकी याद दिल-ओ-दिमाग से बेवज़ह,
भुला जो पाता उसे, तो कोई तस्वीर, सिरहाने क्यों ढूँढता भला,

नहीं थी ख़बर, दरिया-ए-इश्क़ के मामूली थपेड़े नागवार गुजरेंगे,
दूर ही रहता मैं, लहरों के किनारे, रेत में ठिकाने क्यों ढूँढता भला,

था नासमझ मैं ही जो किसी बेगाने से उम्मीद पाल ली “साकेत",
टूटना होता तो टूट ही गया होता दिल, ये बहाने क्यों ढूँढता भला।
 
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©Saket Ranjan Shukla ये दिल बहाने क्यों ढूँढता भला..!
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दर्द का इश्तिहार.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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White दर्द का इश्तिहार 

ये नैन हमारे यूँ ही अश्क़ों को बेकार हर बार नहीं करते,
न है ऐसा कि चुभते नहीं शब्द, हमें तार-तार नहीं करते,
बटोरने को तो हम भी बटोर लाते, हमदर्द ज़माने भर से,
पर हम आपकी तरह अपने दर्द का इश्तिहार नहीं करते.!

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©Saket Ranjan Shukla दर्द का इश्तिहार.!
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Saket Ranjan Shukla

अच्छा लगा.! . ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© ➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺➺ Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength

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White अच्छा लगा

मुझे अरसों बाद मुझसे जुड़ा हर धागा कच्चा लगा,
दिल मेरा लगा नासमझ मुझे, बिल्कुल बच्चा लगा,

मेरी सुनता ही नहीं है ये, करता है मनमानी हरदम,
ठीक ही तो हुआ, जो इसे दिली खेल में गच्चा लगा,

ज़्यादा ज़िंदादिली सही नहीं, समझाया था मैंने इसे,
सब जानते-बूझते ही इसे ठेस लगी ये, ये धक्का लगा,

मेरी छोड़, सबकी बातों में आने की लत लगी थी इसे,
अब मिलने लगे हैं धोखे, तो मैं हमदर्द इसे सच्चा लगा,

खैर अब सँभाल लेगा “साकेत“, जो भी होगा आगे से, 
जो ज़ख्म दे गए थे अब हाल लेने आए हैं, अच्छा लगा।

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©Saket Ranjan Shukla अच्छा लगा.!
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Saket Ranjan Shukla

🙏🏻अंग्रेजी नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻 . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .

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New Year 2024-25 अंग्रेजी नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं 

नई उमंगों से भर कर चलो हम भी नए से हो जाते हैं,
नए सपने संजोकर, उनमें उड़ान के नए पर लगाते हैं,

करते हैं शुरुआत नए सफ़र की नए से कदम बढ़ाकर,
नए से रास्ते तलाशकर उनमें नए तरीके से खो जाते हैं,

जो बीत गई वो बात गई, मन में कड़वाहट रखना क्यों,
आपसी अनबन भूल, रिश्तों को नई यादों से सजाते हैं,

ये नया साल संग अपने, ढेरों नई-नई चुनौतियाँ लाएगा,
स्वयं को कर नवजागृत, अंतर्मन में नई उत्साह जगाते हैं,

किया परास्त मुश्किलों को, हारे भी कई दफा गत वर्ष हम,
पराजय से ले सबक नए, स्वयं को नए सिरे से आजमाते है,

प्राप्त करनी हैं अभी नई-नई ऊँचाईयाँ और नई कई मंजिलें,
नवीन स्वप्नों के किलों पर नवीन विजय पताकाएँ फहराते हैं,

जैसा बोया वैसा काटा, जैसा काटा वैसा पाया और खपाया,
अब नए स्वेद से सिंच अपनी कर्मभूमि, नई फसल उपजाते हैं,

नए-नए प्रयोग कर जीवनशैली पर अपनी, नए गुर सीखेंगे हम,
नई स्याही ले नई विचारधारा की, आओ नया इतिहास बनाते हैं,

इस नएपन में संभवतः कुछ नई घबराहटें भी हृदय को सताएंगी,
जीवन रणभूमि में बिछाते हैं नई बिसात, नई रणनीति अपनाते हैं,

शीतलहर की चादर ओढ़े, सूर्यदेव भी आज नवीन किरणें बिखेरेंगे,
तो चलो लेकर नए संकल्प लक्ष्य प्राप्ति के सहृदय नववर्ष मनाते हैं।

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©Saket Ranjan Shukla 🙏🏻अंग्रेजी नवबर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🙏🏻
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MP Ritesh

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