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Ek villain
पिछले दिनों स्वीडन के कई शहर भीषण हिंसा की चपेट में रहे आधुनिक सूचना तंत्र हथियारों के साथ देना तो पुलिस हालात को नियंत्रित करने में असफल आगे जा गले शहरों में हमलावर भीड़ ने पुलिस की गाड़ियों को जला दिया जिसमें 12 पुलिसकर्मियों के गंभीर चोट आई है दर्द में तोड़फोड़ की वीडियो में कार्टून अल्लाह हू अकबर का नारा लगाते हुए पार्टी के रूप में ©Ek villain #अनायास नहीं है हिंदु प्रतीकों पर हमला #Joker
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी खिले हुये दिलो में,मुस्कराने चाहिये रग रग में बहती खुशबु गुलाब की चाहिये प्यार सींचने के लिये, अरमानो की खाद चाहिये धड़कते रहे दिल,महसूस ख़ुशबू होनी चाहिये जताने की कोई जरूरत नही आग दोनों ओर जलनी चाहिये प्रतीकों के सहारे उभरे ना प्यार रोशनी दिलो में भी जलनी चाहिये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #roseday प्रतीकों के सहारे प्यार नही उभरना चाहिये #roseday
Ek villain
हम अंग्रेज रास्ते भले ही मुक्त हो गए हैं लेकिन उनकी दास्तां के निशान अभी भी देश के कोने-कोने में दिखाई पड़ते हैं सड़कों से लेकर बस्तियों के नाम ना जाने कौन-कौन से प्रतिक हमें उस दास्तां के बंधन से जोड़ते हुए हैं शायद यही वजह है कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो पांच प्रेरणा लेने का आव्हान किया उनमें से एक गुलाम मानसिकता से भी मुक्ति का भी था अच्छी बात यह है कि अब हम इस मार्ग पर कोई सकारात्मक संकेत दिखने लगे हैं प्रधानमंत्री के संबोधन के करीब महीने भर आज हैदराबाद शहर के केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गुलामी शोषण और उत्पीड़न से जुड़ी निजाम की कैसी ही निर्णय कड़ी को तोड़ने की पहल करेंगे यह आधुनिक भारत के इतिहास में हैदराबाद के जुड़ाव के संघर्ष की दास्तान को सुनाएं जाने का सिलसिला शुरू करेंगे जिसे कदापि कारणों से अभी तक अपेक्षित रूप से सामना नहीं लाया गया है ©Ek villain #गुलामी के प्रतीकों को मिटाना आवश्यक प्रधानमंत्री मोदी ने बोला #PMBirthday
Dr Jayanti Pandey
दुश्मन की शमशीरों पर जो धार लगाया करते हैं, अपनी गर्दन फंसती है तो गुहार लगाया करते हैं। "शठे शाठ्यम समाचरेत" का मंत्र दोहराना होगा, ऐसे गुस्ताखों को समुचित सबक सिखाना होगा। सुप्रभात। अब ज़रूरी हो गया है कि मीडिया, पत्रकार, कलाकार, तथाकथित वामपंथी इतिहासकार जो लगातार देश विरोधी एजेंडा चलाते हैं, प्रोपेगंडा की दुका
Rakesh frnds4ever
इंसान भी कमाल करते हैं,,, कत्ल करके फूलों का प्यार का इज़हार करते हैं, उस प्यार का जिसके की शब्द के अर्थ तक को वे नहीं जानते हैं विदेशी बेकार संस्कृति को अपनाने वाले खुद को हिन्दू व भारतीय मानते हैं?? खुद की बाजू,या उंगलियों को तोड़ के देखो शायद फिर उनके एहसास को समझ पाओगे शायद फिर तुम झुठी कपटी ,नकली फरेबी,, बनावटी महोबत्त की खातिर फूलों कलियों की हत्या कर फूलों को ना देकर आओगे जो यू ही फूलों को तुम मारते रहे तो भविष्य में फूल नहीं खिल पाएंगे खुशबू,,खुशहाली,, रंगों के प्रतीकों को हम फिर ना जीवन में देख पायेंगे,,,, #इंसान भी कमाल करते हैं,,, #कत्ल करके फूलों का #प्यार का इज़हार करते हैं, उस प्यार का जिसके की शब्द के अर्थ तक को वे नहीं जानते हैं वि
Dharm Desai
I love chainsmokers but I hate'em #dharm_desai It is an example of byaj stuti alankar in English... व्याजस्तुति अलंकार हिंदी गीति-काव्य का एक अनूठा अलंकार है. सामान्यत: किसी की निंदा कर
कवि राहुल पाल 🔵
............. सबसे बड़ी बाधा ये है कि मानव बुद्धजीवी प्राणी है वो जो ग्रहण करता है दूसरो पर थोपने चाहता है जिसको शायद आंग्ल भाषा मे dogmatism कहा जाता है .
Taransh
Sarita Shreyasi
पत्नी हूँ मैं,यूँ तो स्त्री की उपजाति हूँ, किन्तु जब स्त्री आलोचना की बारी आती है, तो मैं अपनी जाति की प्रतिनिधि बन जाती हूँ, घर बसाने, वंश बढ़ाने के लिए अपनायी जाती हूँ, भिन्न-भिन्न मानकों और प्रतीकों से तौली जाती हूँ, मेरी निष्ठा और समर्पण तभी सिद्ध होते हैं,जब मैं, अपने माँ-बाप के लिए पूर्णतया परायी हो जाती हूँ, इसलिए यदि तुम पर अपना अधिकार चाहती हूँ, तो इसमें आलोचना और नाजायज़ माँग कैसी ? मैं तुम्हारे लिए ही तो अपना सब पीछे छोड़ आती हूँ। सिंदूर बिंदी शाखा-पोला,न मंगल-सूत्र ही मेरे नाम का, चलता नहीं साथ तुम्हारे,कोई भी चिन्ह मेरे सुहाग का, बच्चे की माँ हूँ, ये तो मेरी फैली काया से ही दिख जाता है, बच्चे के बाप का नाम तो बस कागज ही में लिखा जाता है। घर से बाहर,मुझ से दूर,तुम पूरी तरह कुँवारे ही हो, मैं जहाँ तक चली जाऊँ,ब्याहता हूँ,और तुम्हारी ही हूँ। इसलिए तुम्हारे प्रेम की अभिव्यक्ति हर बार चाहती हूँ, वफादारी का आश्वासन तुमसे बार-बार मांगती हूँ। पत्नी हूँ मैं,यूँ तो स्त्री की उपजाति हूँ, किन्तु जब स्त्री आलोचना की बारी आती है, तो मैं अपनी जाति की प्रतिनिधि बन जाती हूँ, घर बसाने, वंश
AK__Alfaaz..
उसकी, उम्र के अमावस की रात, तीसरे पहर, इक याद लुढ़क आती है, उसके मन के गलियारे में, जहां, इक आशाओं के, रोशनदान से, हर सुबह झांकती है, उसके प्रेम की धूप, वो जानती है, गेहूं से..घुन की तरह, प्रीत के सूपे से फटककर, निकाली नही जा सकती हैं, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #गुलमोहर उसकी, उम्र के अमावस की रात, तीसरे पहर, इक याद लुढ़क आती है,