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F M POETRY
Unsplash दर्द देने कि उनकी आदत है.. हाँ मगर बेपनाह मुहब्बत है.. रोते रहते हैं वो पश-ए-दीदार.. इस तरह उनको हमसे चाहत है.. यूसुफ़ आर खान.. ©F M POETRY #इस तरह उनको हमसे चाहत है...
#इस तरह उनको हमसे चाहत है...
read moreRAMLALIT NIRALA
एक माँ के दो लाल दोनो का प्यार निराला है दूनिया के रित अजिब है यारो जब हो रहा बटवारा है। मन मोह के जाल में फंस के आखो पे पट्टी छाई है बचपन कि बाते भुल गया अब देखो घर ये कैसी आई है ©RAMLALIT NIRALA भाई भाई मे बटवारा
भाई भाई मे बटवारा
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एक माँ के दो लाल दोनो का प्यार निराला है दूनिया के रित अजिब है यारो जब हो रहा बटवारा है। मन मोह के जाल में फंस के आखो पे पट्टी छाई है बचपन कि बाते भुल गया अब देखो घर ये कैसी आई है ©RAMLALIT NIRALA भाई भाई मे बटवारा
भाई भाई मे बटवारा
read moreRadhe Radhe
White युध्द भीतर से है बाहर की नहीं संघर्ष बाह्य है अंदर तो नहीं जीत खुद की फिर औरो से तलब कैसा यहां लोग बूरे है ही नहीं ईश्वर व्यर्थ चीज बनाता कहां यदि देखने की होड़ हो तो शास्त्र भी गवाह है कह गए थे कबीर हमसे बूरा है कहां। जय श्री कृष्णा ©Radhe Radhe हमसे बूरा कोई नहीं
हमसे बूरा कोई नहीं
read moreParasram Arora
White मेरी यादो मे तुम बसें हो पर अफ़सोस नाम तुम्हारा याद नहीं अगली बार ज़ब तुम मिलो तो अपना नाम ज़ोर से बोल कर मुझसे गले मिलना ©Parasram Arora मेरी यादो मे तुम
मेरी यादो मे तुम
read moreParasram Arora
White तेरी पायल की खनक से मै गहरी नींद मे भी जाग जाता हू आँखे मसल कर चारो तरफ तुझे ढूंढ़ता हू पर न जाने तुम म होती हो कहा पथरो के इस शहर मे आकर मै भी एक पत्थर बन गया हू अब तेरे मासूम स्पर्श से भी मेरे जज्बात कंपते हैँ कहा? ©Parasram Arora पथरो के शहर मे
पथरो के शहर मे
read moreParasram Arora
White प्रेम के अभाव मे जीवन मारुस्थलीय जीवन की तरह हो जाता है.. ऐसे खुशक जीवन मे दूर दूर तक कोई जल स्त्रोत या कोई झरना नहीं दिखता. और न ही कही धूप मे बचने के लिए किसी वृक्ष का साया ही मिल पाता है ©Parasram Arora प्रेम के अभाव मे
प्रेम के अभाव मे
read moreParasram Arora
White सहरा के सफऱ मे वो चलते चलते ठिठक कर ठहर गया हैँ लगता हैँ कहीं उसे इस रेत के सरोवर मे कोई बहता हुआ झरना दिख गया हो ©Parasram Arora रेत के सरोवर मे
रेत के सरोवर मे
read moreParasram Arora
White इस वक़्त ने अपने हाथ की मुट्ठी मे न जाने क्या क्या छुपा कर रखा हैँ हो सकता उस मुट्ठी मे वे ख्वाब भी हो. जिन्हे मै साकार करने के लिएहर वक़्त लालायित रहता हू ©Parasram Arora वक़्त की मुट्ठी मे
वक़्त की मुट्ठी मे
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