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#R.J..!मुरखनादान#
स्वयं को समझो और अपने भीतर बैठे प्रमात्मा का सम्मान करो ©#R.J..!मुरखनादान# प्रमात्मा तुम्हारे भीतर है, और कही नही..!
प्रमात्मा तुम्हारे भीतर है, और कही नही..! #विचार
read moreहिमांशु Kulshreshtha
हिलोरे लेता है ग़म का समंदर मेरे भीतर कचोट रहे हैं तेरी यादों के खंजर मेरे भीतर भूल कर सब कुछ महज़ एक ख़ामोश झील सा हो गया हूँ मैं मत फ़ेंक अपनी याद के कंकर मेरे भीतर बसा हुआ था एक मोहब्बत का शहर मेरे भीतर बेरुखी से तेरी आग की जल गया है वो मेरे भीतर ©हिमांशु Kulshreshtha मेरे भीतर...
मेरे भीतर... #कविता
read moreperson
लाखों बात कहने को रखा था पर मेरी बातें कोई समझता ही नहीं यह दुनिया बड़ी बेरहम है यहां पर कोई अपना ही नहीं खुशी की तलाश मैंने बहुत ही की थी पर वो कभी भी मिलती ही नहीं मन बैरागी हो गया था ऐसा के तन्हा रहने का आदत पड़ गया ©person शब्द है
शब्द है #Poetry
read moreNilam Agarwalla
White अक्षर अक्षर मिलकर बन जाते हैं शब्द। शब्द शब्द मिलकर कहते मन का दर्द।। कभी छंद में ढ़लकर बन जाते हैं गीत। कभी कहानी बनकर दिखलाते हैं प्रीत।। कभी दोजख दिखलाते कभी जन्नत से मिलवाते। दुःख सुख दोनों ही से अपना रिश्ता निभाते। अक्षर ही से 'राम' बनता अक्षर ही से बने रहिम। जाति-धर्म भेदभाव नहीं न कोई हिन्दू मुस्लिम।। - निलम ©Nilam Agarwalla #शब्द
Priyanka Jaiswal
White शब्द शब्दच सुख,शब्दच दुःख, शब्दच आहे भावना.. शब्दातच आयुष्य आपले, सामावले आहे रे मना... शब्दच हसवतात, शब्दच रडवतात, शब्दच घेतात परीक्षा आयुष्याची.. शब्दाविना व्यर्थ सर्व, नाही मजा जीवन जगण्याची.. शब्दच आहे प्रेम,शब्दच द्वेष आहे, शब्द म्हणजे देवाने,आपल्याला दिलेले वरदान आहे.. म्हणून वापरा शब्द जपून आपले, दुखऊ नका कोणाचे मन.. आयुष्यात परत येणार नाही, निघून गेलेले क्षण.. ©Priyanka Jaiswal #शब्द
Harpinder Kaur
White हां अगर जिंदा रहता... तो जुदा होने पर आंखें न तो रोती और न ही अंधेरी रातों में तकती उसके आने का रास्ता और न ही यादें कचोटती पल - पल अंदर से ....... इतना कुछ होने के बाद भी फिर कैसे कह दिया जाता है और क्यों समझ लिया जाता है.... कि किसी के जुदा होने से कोई नहीं मरता हां, मरता है.... शरीर से नहीं..... पर अंदर से सब कुछ मरता है (part- 2) ©Harpinder Kaur # कितना कुछ मरता है भीतर.....
# कितना कुछ मरता है भीतर..... #Poetry
read moreBhanu Priya
रूखा सूखा धूल लिपटी जिस पर छू कर देखा छप जाए किस पर जैसे शांत धरा पर महकता पवन चढ़ती किरणें बनेगा सूरज जिस पर देखी मैनें मीठी खुशबू छाल के भीतर । ©Bhanu Priya मीठी खुशबू छाल के भीतर
मीठी खुशबू छाल के भीतर #Poetry
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