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Akib Javed
नदियां दिखा रही रौद्र रूप सियासत भी हो गई कुरूप -आकिब जावेद नदियां दिखा रही रौद्र रूप सियासत भी हो गई कुरूप -आकिब जावेद #akib #nojoto #kavishala #corruption #अफवाह नोजोटो NOJOTO EVENT JAIPUR
Sarita Shreyasi
मन मैं, तुम मेरी चाह, तुम प्रेम,मैं प्रखर प्रवाह। संबंधों का विश्वास तुम, मैं उसकी श्रद्धा शक्ति। है जब तुममें ईश्वरत्व , तो हूँ मैं तुम्हारी भक्ति। अनियंत्रित रौद्र रूप हेतु, मैं उग्र दुर्गा चंडी। मन मैं, तुम मेरी चाह, तुम प्रेम,मैं प्रखर प्रवाह। संबंधों का विश्वास तुम, मैं उसकी श्रद्धा शक्ति। है जब तुममें ईश्वरत्व , तो हूँ मैं तुम्ह
RituRaj Gupta
समुन्दर की तरह बनो, कभी शांत, कभी रौद्र रूप, शांत लहरें दिखाती, संयमता की पहचान, रौद्र रूप, दिखाता अपने स्वाभिमान को, .. .. Please read rest in caption. समुन्दर की तरह बनो, कभी शांत, कभी रौद्र रूप, शांत लहरें दिखाती, संयमता की पहचान, रौद्र रूप, दिखाता अपने स्वाभिमान को, कराता अपने कठोर निर्णय
Aishwarya CMH
ॐ नमः शिवाय आप ही हो आदि आप ही हो अनंत देव भी आपको पूजे दानव भी आपको पूजे खुद जहर पीकर जिन्होंने सारे संसार को बचाया जिन्होंने l। मासूम बच्चे जैसा नाजुक दिल हैं जिनका। सारी दुनिया को प्यार बांटने वाला दिल है जिनका।। रौद्र रूप में कालों के काल महाकाल हैं।। हर दिल सच्चे दिल की ताकत महाकाल है वो।। ©Aishwarya CMH ॐ नमः शिवाय आप ही हो आदि आप ही हो अनंत देव भी आपको पूजे दानव भी आपको पूजे खुद जहर पीकर जिन्होंने
yogesh atmaram ambawale
बरे झालं मनाचे कुठले नुकसान न झाले, मनातलं वादळ रौद्र रूप धारण न करता शांत राहिले. कित्येक दिवसापासून जे मनात होतं ते सांगितले, खूप शांत वाटतंय आता जसे मनातलं वादळ शमले. शुभ दुपार लेखक मित्र आणि मैत्रिणींनो आताचा विषय आहे मनातलं वादळ... #मनातलंवादळ हा विषय Abhijit Suryawanshi यांचा आहे. तुमचे विषय खाली कमेंट
writer.varsha
नारी हूं मैं... कोई प्रेम करें मुझको जो तो अपना सर्वस्व लुटा उस पर मैं, यदि कोई दुस्साहस करें मुझे स्पर्श करने का तो उसकी हस्ती मिटा दूं मैं
Prakash Dwivedi
।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार । गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।। जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है। विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।। वह कहती नहीं पर विस्मित है, आज के जय जयकारों से । वह स्वतंत्र है पर सीमित भी इन नारीवादो अधिकारों से ।। वह मान नहीं, वह गौंण नहीं, वो हर ललकार को रौंद रही। वह वसुधा की माटी शरीख, वो अंदर अंदर कौध रही ।। शब्द पिरोकर लिखा प्रकाश ने अब स्वीकार करो नारी सम्मान ।। ।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार । गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।। जलधि सी शांति स्वरूपा है, और
Dr Upama Singh
“दौर” अनुशीर्षक में://👇 पुराने दौर में क्या अपनापन था लोगों के बीच कोई नहीं दिखावा था सच्चाई प्रेम के मार्ग पर चलते थे नफ़रतों का बीज ना कभी बोते थे घर परिवार रिश्त