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Zᴀɪꜰ
हालांकि, दिल का दाग़ रुसवाई करे इक उम्मीद मगर हौसला-फ़ज़ाई करे मंज़र-ए-ख़ामुशी है देखता हूं जिधर आख़िर कोई तो इलाजे-तन्हाई करे हुआ कौन एहसानमंद किसी का? कोई कितनी ही क्यों न भलाई करे क्या करूं दुख में गर रोऊं नहीं? मेरी हया तक मुझसे बेहयाई करे हो फ़ुर्सत तो यारब, सुन मेरी भी ज़ुबां पे आके फ़रियाद दुहाई करे दांव पे लगा बैठा है ज़िंदगी 'ज़ैफ़' होवे ज़ियां*, तो कौन भरपाई करे? (*nuksaan) . ©Yamit Punetha [Zaif] उम्मीद हौसला-फ़ज़ाई करे #Hope #Zaif
Arun Magoo
धुआँ धुआँ है फ़ज़ा रौशनी बहुत कम है सभी से प्यार करो ज़िंदगी बहुत कम है #प्यार #धुआँ #फ़ज़ा #रौशनी
imtiyaz khan
या तेरे रूख़सार हैं क्या है ये बता जुल्फें ये खोल दी तू ने कि है छाई ये घटा आंखें ये तेरी हैं या प्याले है मय संभाले हुए खिल उठे होंठ कि मेरी दुनिया मे उजाले हुऐ चांद निकला है या आया है कहीं बाम पे तू कितना रखता है असर सुबह पे तू शाम पे तू महकी महकी सी फ़जा आज लगे है, शायद बिखर गया है हवाओं में मेरे नाम पे तू Imtiyaz Khan ©imtiyaz khan #महकी महकी सी फ़ज़ा
अनामिका पाण्डेय
महकी-महकी सी फजा मे भी कही तन्हां सी किसी पतझड़ का मैं बाजार नजर आती हूं कोई शैलाब भिगा देता कोर आंखों की मैं अपने आप की बीमार नजर आती हूं छीनकर चैनों सुकूं देके वास्ता उसका अपने दिल की ही गुनाहगार नजर आती हूं वक्त का ही तो तकाजा है जो आज भी शायद कल की तरहा ही मै बेजार नजर आती हूं खबर कुछ थी ही नहीं खुद को फना कर बैठे हारती खुद को मै हर बार नजर आती हूं खटकती ही रही खुद ही खुदी नजरों में मैं किसी धुंध की दीवार नजर आती हूं ©अनामिका पाण्डेय #महकी महकी सी फ़ज़ा
Beena Kumari
महकी महकी सी फ़ज़ा में रुप प्रकृति का महक रहा है भंवरे रहे ढूंढ रहे कलियों को कलियों का दिल भी बहक रहा है भीगे भीगे से मौसम में चंचल चितवन से प्यार अपना उडेल रहा है महकी महकी सी फ़ज़ा में बादलों के अरमान भी मचल रहे हैं बारिश की अल्हड़ बूंदों में युगल प्रेमी भीग रहे हैं उनके प्यार से महक रही है फ़ज़ा ©Beena Kumari #महकी महकी सी फ़ज़ा #feelings #poem#thought#beenagordhan
Lovely Marjana
Alone मौत का ज़हर है फ़ज़ाओं में अब कहां जाके सांस ली जाये.. ●Marjana मौत का ज़हर है फ़ज़ाओं में अब कहां जाके सांस ली जाये..
Abhishek singh Asim
फ़ज़ा में घुल के भी ख़ुश्बू मेरी मलूल हुई मैं अपने आस्ताँ से निकला मुझसे भूल हुई खड़ा हुआ था कि आसेब आ गिरा मुझपर मेरी बुलंदी को तो ख़ाक ही क़ुबूल हुई मक़ाम-ए-इश्क़ को पहुँचा लहूलुहान हुआ बदन निढाल पड़ा है ख़ता वसूल हुई - Abhishek Singh ©Abhishek singh Asim #फ़ज़ा में घुल के भी ख़ुश्बू मेरी मलूल हुई #AbhishekAsim
पाण्डेय ख़ुशबू
ये चाँद तारे आसमां तेरे मेरे साथ के हो गए सारे गवाह! ©पाण्डेय ख़ुशबू #मौसम #फ़ज़ा #चाँद #Khush0124 #khush_khwahish #khushboopandey #kavyaudgaar #Nojoto #nojotoshayari #Poetry