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Sonu Gami
green-leaves अगर आप रोज 15 मिनट के लिए अपनी आंखे बंद कर के बैठ जाए तो आपकी यात्रा परम आनंद प्राप्त करने की दिशा में शुरु हो जाएगी । ©Sonu Gami #GreenLeaves अगर आप रोज 15 मिनट के लिए अपनी आंखे बंद कर के बैठ जाए तो आपकी यात्रा परम आनंद प्राप्त करने की दिशा में शुरु हो जाएगी । कोट्स इन
#GreenLeaves अगर आप रोज 15 मिनट के लिए अपनी आंखे बंद कर के बैठ जाए तो आपकी यात्रा परम आनंद प्राप्त करने की दिशा में शुरु हो जाएगी । कोट्स इन
read morePrakash Tiwari
Unsplash *कार्य* एक ऐसा शब्द दूसरे के लिए करो तो सेवा है, अपने लिए करो तो कर्म होता है ©Prakash Tiwari कर्म करते रहो पर अच्छे कर्म करो, दुनिया बदल जाएगी अनमोल विचार
कर्म करते रहो पर अच्छे कर्म करो, दुनिया बदल जाएगी अनमोल विचार
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Unsplash चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं, किसी के सपनों को सजाते हैं। खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान, चलो उसे वापस लाते हैं। गिर रहे हैं आंधियों से आशियाँ, चलो नया इक घर बनाते हैं। भटक गए हैं जो अपने रास्तों से, चलो उन्हें राह दिखाते हैं। चलो इंसान को इंसान बनाते हैं, जो फासले बने हैं, उन्हें मिटाते हैं। जो मासूमियत दब रही है धूल में, चलो उसे आईना दिखाते हैं। दम तोड़ रहे हैं जो बेबस लम्हों में, चलो उन्हें जीने का जज़्बा सिखाते हैं। जो टूट गए हैं डर के साए में, चलो उन्हें उम्मीद से मिलाते हैं। ©theABHAYSINGH_BIPIN #Book चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं, किसी के सपनों को सजाते हैं। खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान, चलो उसे वापस लाते हैं। गिर रहे हैं आंधियों से
#Book चलो कोई मंज़िल तलाशते हैं, किसी के सपनों को सजाते हैं। खो गई हैं जो चेहरे की मुस्कान, चलो उसे वापस लाते हैं। गिर रहे हैं आंधियों से
read moreShubham akkeyji
Unsplash successful ©Shubham #camping if everyone is moving forward together then success takes care of itself)🥰🥰(अगर सब मिलकर आगे बढ़ेंगे तो सफलता खुद-ब-खुद मिल जाएगी)
#camping if everyone is moving forward together then success takes care of itself)🥰🥰(अगर सब मिलकर आगे बढ़ेंगे तो सफलता खुद-ब-खुद मिल जाएगी)
read moreबेजुबान शायर shivkumar
Unsplash // खुद को निखार लेना // छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग में हम सोना बन ही कर आते हैं मजबूरी जब ,अपने सर पे जिम्मेदारी आई तो समझ आ आती है इस जिंदगी की दौड़ भी यु बढ़ती ही जाती है वो अनाड़ी भी एक खिलाड़ी बन जाते हैं जब गिर-गिर कर और ठोकर पर ठोकर यु खाते हैं बारिश में भीग कर कड़ी धूप में यु जल कर भी वो बढ़ जाते हैं न भाग कर ,अपने मुश्किलों से लड़ कर वो जीत कर दिखाते हैं वो भी अपने वक्त के साथ साथ चलना भी सीख आता है उसे अपने मेहनत का फल लेना भी आता है अपने इन हाथों की लकीरों को भी बदल देते हैं मेहनत करने वाले तूफान का रुख भी यु मोड़ देते हैं ये दुनिया रोकती ही रहेगी मगर तुम चलते ही रहना न सुनना किसी की बात को तुम अपनी मंजिल को ही देखना कर हौसला बुलंद तू , तुमने तो इतिहास रचा कदम बड़ा हंसने वालो को एक दिन चुप करा देना , तुम इतिहास बना देना ©बेजुबान शायर shivkumar छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग
छोटे छोटे पैर तो कभी चलना सीख ही जाते हैं मंजिल दूर है पर वो धीरे धीरे बढ़ जाते हैं हम अपने ही दम से " खुद को निखार लेना " जानते है तप कर आग
read moreनवनीत ठाकुर
दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घावों को भी मोहब्बत भर सकता है। अक्सर जख्मों से ही नई ताकत मिलती है, जो कभी टूटा था, वही फिर से उठ सकता है। दुश्मनी की दीवार कब तक खड़ी रहेगी, सच्ची दोस्ती की हवाओं में वो भी गिर सकेंगी। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घाव
#नवनीतठाकुर दुश्मनी का सफ़र भले ही छोटा हो, इंसानियत की राह पर चलना बड़ा होता है। जो दुश्मन था कभी, वो अब रास्ता दिखा सकता है, दिलों में घाव
read moreVinod Mishra
gudiya
Nature Quotes आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच तब तब अचानक मुझे लगता है यही तो तुम हो मेरी मां मेरी मातृभूमि धान के पौधों ने तुम्हें इतना ढक दिया है कि मुझे रास्ता तक नहीं सुझता और मैं मेले में कोई बच्चे सा दौड़ता हूं तुम्हारी ओर जैसे वह समुद्र जो दौड़ता आ रहा है छाती के सारे बटन खोले हाहाता और उठती हैं शंख ध्वनि कंधराओं के अंधकार को हिलोडती यह बकरियां जो पहली बूंद गिरते ही भाग और छप गई पेड़ की ओट में सिंधु घाटी का वह सेंड चौड़े पत्ते वाला जो भीगा जा रहा है पूरी सड़क छेके वे मजदूर जो सुख रहे हैं बारिश मिट्टी के ढीले की तरह घर के आंगन में वह नवोढ़ा भीगती नाचती और काले पंखों के नीचे कौवों के सफेद रोए तक भीगते और इलायची के छोटे-छोटे दाने इतने प्यार से गुथंम गुत्था यह सब तुम ही तो हो कई दिनों से भूखा प्यासा तुम्हें ही तो ढूंढ रहा था चारों तरफ आज जब भी की मुट्ठी भर आज अनाज भी भी दुर्लभहै तब चारों तरफ क्यों इतनी बाप फैल रही है गरम रोटी की लगता है मेरी मां आ रही है नकाशी दार रुमाल से ढकी तश्तरी में खुबानीनिया अखरोट मखाने और काजू भरे लगता है मेरी मां आ रही है हाथ में गर्म दूध का गिलास लिए यह सारे बच्चे तुम्हारी रसोई की चौखट पर कब से खड़े हैंमां धरती का रंग हरा होता है फिर सुनहला फिर धूसर छप्परों से इतना धुआं उठता है और गिर जाता है पर वहीं के वहीं हैं घर से निकले यह बच्चेतुम्हारी देहरी पर सर टेक सो रहे हैं मां यह बच्चे कालाहांडी के यह आंध्र के किसानों के बच्चे यह पलामू के पटन नरोदा पटिया के यह यदि यह यतीमअनाथ यह बंदहुआ उनके माथे पर हाथ फेर दो मां इनके भीगी के सवार दो अपने श्यामलहाथों से तुम कितनी तुम किसकी मन हो मेरी मातृभूमि मेरे थके माथे पर हाथ फेरती तुम ही तो हो मुझे प्यार से तख्ती और मैं भेज रहा हूं नाच रही धरती नाच आसमान मेरी कल पर नाच नाच मैं खड़ा रहा भेजता बीचो-बीच। -अरुण कमल ©gudiya #NatureQuotes #मातृभूमि #Nojoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
#NatureQuotes #मातृभूमि #nojotohindi nojotophoto #nojoyopoetry आज इस्लाम जब मैं भेजता खड़ा हूं आसमान और धरती के बीच
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