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VISHAL SONI
https://www.facebook.com/111608066959448/posts/111665003620421/ निरतंर चलना कर्म है मेरा, सब को साथ लेकर चलना धर्म है मेरा, हाँ, मैं लोह पथ गामिनी हूँ मैं लोहपथ गामिनी हूँ। #train #रेल #यात्रा #सफर #वृत्तांत
DR. LAVKESH GANDHI
" माँ..." " माँ "एक ऐसा पवित्र शब्द है जिसके स्मरण मात्र से ही मन के सारे पाप निर्मूल हो जाते हैं... वहीं दूसरी ओर जो कोई व्यक्ति दुनियाँ की किसी भी मांँ के साथ बदतमीजी करता है तो वह निश्चय ही अपनी मांँ के साथ भी वैसा ही व्यवहार करता है... मांँ माँ हीं मंदिर,माँ हीं मस्जिद, माँ हीं कावा और गुरुधाम #yqman #yqdham # #yqbaba #yqdidi #
Monu.singh Monu.singh
अरे यू जिंदगी को मुस्कुराने दो जिंदगी में सदा वही कामयाबी होते हैं जो नींद और चैन कावा कर कामयाबी की सीढ़ी पे चलता है
Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
औरत..! --------------- एक औरत ही है जो, मां है ,बेटी है, बहन है , बहू है भगिनी है ! कहीं गज गामिनी , तो कहीं जीवनसंगिनी है !! ममता की मूरत , निर्भीक निडर ,वात्सल्य , दया करुणा से परिपूर्ण वो औरत ही जो, बगैर रुके, बगैर थके ! कर्मपथ पर निरंतर , बढ़ती रहती है तत्पर !! बगैर रूके, बगैर थके बाँधे हर एक डोर को, हर रिस्तो के डोर से !! लोक -लाज रित-रिवाज , समाज को चारो ओर से !! और , वो औरत ही हैं , जो देती है जन्म , एक काया जगत जननी है अबला , बता"अनवर" , है कैसी माया ..? --अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #Women's#Day औरत..! --------------- एक औरत ही है जो, मां है ,बेटी है, बहन है , बहू है भगिनी है ! कहीं गज गामिनी , तो कहीं जीवनसंगिनी है !!
Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
औरत..! --------------- एक औरत ही है जो, मां है ,बेटी है, बहन है , बहू है भगिनी है ! कहीं गज गामिनी , तो कहीं जीवनसंगिनी है !! ममता की मूरत , निर्भीक निडर ,वात्सल्य , दया करुणा से परिपूर्ण वो औरत ही जो, बगैर रुके, बगैर थके ! कर्मपथ पर निरंतर , बढ़ती रहती है तत्पर !! बगैर रूके, बगैर थके बाँधे हर एक डोर को, हर रिस्तो के डोर से !! लोक -लाज रित-रिवाज , समाज को चारो ओर से !! और , वो औरत ही हैं , जो देती है जन्म , एक काया जगत जननी है अबला , बता"अनवर" , है कैसी माया ..? --अनवर हुसैन अणु भागलपुरी #Womens_Day औरत..! --------------- एक औरत ही है जो, मां है ,बेटी है, बहन है , बहू है भगिनी है ! कहीं गज गामिनी , तो कहीं जीवनसंगिनी है !!
सोमेश त्रिवेदी
तू सुचित्त, चंचल चित्तवाली कामिनी, मन भामिनी... मेरा हृदय हो भवन तेरा, मेरे हृदय पथ गामिनी... अधर पाटल नैन कज्जल, मुख है चमकती चांदनी... केशपाश जस मेघाकाश, उस बीच दमके दामिनी... पाँव नूपुर छमक छम छम, चलत भूमि पग धरे... कंगन करे जो खनक खन खन, मेरा हृदय कंपन करे... मुदित मन, सुरभित पवन हो, स्पर्श तुझसे सुहावनी... प्रेम की परिभाषा तुझसे, है प्रेम का पर्याय तू... प्रेम का अध्ययन करूँ मैं, है प्रेम का अध्याय तू... हाँथ में हो हाँथ तेरा, साथ में हो साथ तेरा... तू मेरे हिय में समायी, तू ही बनी मन भाविनी... #NojotoQuote शृंगार रस में स्वरचित कविता... त्रूटियों से अवश्य अवगत करायें... तू सुचित्त, चंचल चित्तवाली कामिनी, मन भामिनी... मेरा हृदय हो भवन तेरा, मे