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Tilak Gondavi
जागती आँखो में ख्वाबों का मंजर होना। बहोत मुशकिल था समंदर को समंदर होना। बनने की चाह।
Ilyas Gazi
बचपन और क्रिकेट बचपन में पूँछा गया सवाल, बड़े होकर क्या बनना है, जवाब अब मिला है, फिर से बच्चा बनना है।। बच्चा बनने की चाह।।
Rajesh Khanna
मोहब्बत हो गई नहीं तो उम्र कहा थी मोहब्बत करने की वो तो किस्मत के पड़ाव थे सारे नहीं तो उम्र भी कहा थी शायर बनने की ©Rajesh Khanna शायरी बनने की #Ray
SK Poetic
#5LinePoetry श्रेष्ठ बनने की चाहत सभी को है। लेकिन व्यक्ति अपने गुणों और आचरण से श्रेष्ठता को प्राप्त करता है। श्रेष्ठता त्याग और नैतिकता के मार्ग पर चलकर ही प्राप्त की जा सकती है। अगर ऐसा नहीं होता तो रामायण में बलशाली बाली का वध करने के लिए स्वयं प्रभु श्री राम को धनुष नहीं उठाना पड़ता।बाली वध से एक बहुत बड़ी सीख मिलती है। जिसे हर व्यक्ति को जानना चाहिए और किसी भी तरह के पाप और अपराध से दूर रहना चाहिए। बाली बहुत बलशाली था।उसे एक ऐसा वरदान प्राप्त था जिससे वह सामने वाले की शक्ति को ले लेता था। इस कारण लंकापति रावण भी उससे घबराता था। एक युद्ध में बाली ने रावण को बहुत बुरी तरह से परास्त किया और बगल में दबाकर पूरे महल की परिक्रमा की। सुग्रीव बाली के भाई थे।। लेकिन बाली ने सुग्रीव का सब कुछ छीन लिया और अपमान करके राज्य से भगा दिया ।वन गमन के दौरान जब सुग्रीव की भगवान राम से भेंट हुई तो सुग्रीव ने अपनी पूरी पीड़ा प्रभु को बताई।प्रभु राम ने उन्हें सब कुछ वापस दिलाने का वचन दिया।इसके लिए योजना बनाई गई सुग्रीव को बाली के पास युद्ध करने के लिए भेजा। शक्ति के मद में चूर बाली सुग्रीव से युद्ध करने के लिए तैयार हो गया।इस दौरान उचित समय पाकर भगवान राम ने अपने बाण से बाली का वध कर दिया। बाण लगते ही बाली जमीन पर आ गिरा, प्रभु राम उसके सामने आ गए प्रभु राम को देखकर जमीन पर पड़े बाली ने हाथ जोड़कर कहा- धर्म हेतु अवतरेहु गोसाईं मारेहु मोहि ब्याध की नाई मैं बैरी सुग्रीव पिआरा अवगुण कवन नाथ मोहि मारा अर्थात 'हे गुसाई,धर्म की रक्षा के लिए अवतार लिया है और मुझे एक व्याध की तरह मारा।प्रभु बताओ मैं बैरी और सुग्रीव क्यों प्यारा है। हे नाथ आपने किस दोष की सजा दी है।' तब प्रभु राम बाली के इस प्रश्न का उत्तर देते हुए कहते हैं- अनुज बधू भगिनी सुत नारी। सुनु सठ कन्या सम ए चारी। इन्हहि कुदृष्टि विलोकइ जोई ताहि बधे कछु पाप न होई।। अर्थात भगवान राम बाली से कहते हैं 'हे मूर्ख, सुन छोटे भाई की स्त्री,बहन, पुत्र की स्त्री और कन्या ये चारों समान है।इन्हें जो कोई बुरी दृष्टि से देखता है, उसे मारने में कुछ भी पाप नहीं।' ©S Talks with Shubham Kumar श्रेष्ठ बनने की चाहत #5LinePoetry
Ashoka The Shayar
प्रिय दोस्तो, मेरे शायर बनने की कहानी कब और कैसे शुरू हुई, यह मैं आपको संक्षेप में बताने की कोशिश करूँगा। सन 1982 में कमरे में अकेला था और सोने की कोशिश कर रहा था, मगर सो नही पा रहा था। कारण मच्छर सोने नही दे रहे थे। मच्छरों पर सोचते हुए एक कविता मच्छरों पर ही बन गयी, तब मुझे एहसास हुआ कि मैं लिख सकेता हूँ उसके बाद तमाम कविताएं और शायरी लिखता रहा। मगर फिर किसी की मोहब्बत में ऐसा डूबा कि आज तक रोमांटिक शायरी और गजलें लिख रहा हूँ। और सच्चाई यह भी थी कि हम दोनों की मोहब्बत अपने-अपने मतलब की थी। उनको अपना काम निकालना होता था और हमें शायरी और गजल लिखनी होती थी। और अब वो कारवां तो गुजर चुका है और अब मेरी शायरी ही मेरी महबूबा है । सच मे अपनी शायरी से मुझे बहुत इश्क है। शुक्रिया दोस्तो। ------अशोका द शायर ©Ashoka The Shayar मेरे शायर बनने की कहानी-----